कोरोना से मृत 500 की अस्थियां लेने नहीं पहुंचे परिजन, कहीं लॉकर में बंद, कही गड्ढे में दफन

रायपुर. छत्तीगसढ़ में 500 से ज्यादा लाेगों की अस्थियां अपनों का इंतजार करते करते दुर्गति को प्राप्त हो गईं। रायपुर में 150 लोगों की अस्थियों को गड्ढे में दफन करना पड़ा तो भिलाई में लॉकर में रखे कलश अभी भी अपनों का इंतजार कर रहे हैं। वहीं जगदलपुर, कोंडागांव, गरियाबंद में भी 100 से ज्यादा अस्थियों को लेने उनके परिजन नहीं पहुंचे। श्मशान के कर्मचारी कई दिनों तक परिजनों का इंतजार करते रहे। मजबूरन रायपुर निगम को बूढ़ातालाब स्थित श्मशान घाट में गड्ढा खोदकर अस्थियों को दफनाना पड़ा।
कर्मचारी मनीष पाल का कहना है, श्मशान घाटों में कोविड शवों की अंत्येष्टि कर अस्थियां अगले दिन मिल जाती हैं। कुछ परिजन किन्हीं कारणों से इसे श्मशान में ही सुरक्षित रखवा लेते हैं और दो से तीन दिन में आकर ले जाते हैं। अप्रैल से मई महीने में 250 मृतकों की अस्थियों को श्मशान में खोदे गए 15 फीट के गड्ढे में दफन किया गया है। प्रत्येक गड्ढे में 60 से अधिक अस्थियां दबी हैं। उनका कहना है, कई मृतकों की अस्थियां महीनेभर से अधिक लावारिस पड़ी हुई थीं। कई लोगों ने तो फोन भी नहीं उठाया, जिससे बाद में गड्ढे में दफन कर दिया गया।
महीनों तक संग्रह घर में पड़ी रही अस्थियां
दूसरी लहर में मारवाड़ी श्मशान घाट में सर्वाधिक काेराेना मरीज जलाए गए हैं, जिसमें कई लोगों के परिजनों की पहचान नहीं होने पर अस्थियां महीनों तक श्मशान के संग्रह घर में पड़ी रहीं। देवेन्द्र नगर स्थित मारवाड़ी श्मशान घाट के कर्मचारी बलराम सोनवानी ने बताया, अप्रैल में अंत्येष्टि होने के बाद एक से दो दिन का इंतजार किया जाता था। जिनके परिजन नहीं आने थे, उनकी अस्थियां संग्रह घर में रख दी जाती थीं। तीन महीने में 100 से अधिक मृतकों की अस्थियों को लेने अपने ही नहीं पहुंचे। जब लोगों से अस्थियां ले जाने के लिए संपर्क किया जाता है, तो वे पूरे परिवार समेत खुद संक्रमित होने की जानकारी देते रहे हैं। उन्होंने बताया, 50 से अधिक मृतकों की अस्थियां ऐसी थीं, जो बहुत पुरानी हाे चुकी थीं। महीनेभर में पुरानी अस्थियाें से संग्रह घर भर चुका था, जिसे बाद में निगम में सौंप दिया गया। उन्होंने बताया, जिनके परिजन अस्थियां लेने नहीं आते, उसे बोरी में डालकर निगम काे दे दिया जाता है। अप्रैल व मई महीने में दिन रात भट्ठा जलता था, इस कारण अस्थियों के लिए ज्यादा इंतजार नहीं किया गया। रायपुर के अलग अलग श्मशान घाट में ऐसे मृतकों की संख्या ढाई सौ से ज्यादा है।
सुविधा अनुसार दफनाया गया
लगभग 4 हजार लोगों का अंतिम संस्कार निगम द्वारा किया गया है। जिस केस में अस्थियां लेने परिजन नहीं आ सके, उस स्थिति में निगम कर्मी ने अग्नि देने के बाद अवशेष को विसर्जित किया व सुविधा अनुसार श्मशान में गड्ढे खोदकर अस्थियों को दफनाया गया।
- पुलक भट्टाचार्य, अपर आयुक्त, नगर निगम
भिलाई में 55 कलशों को मुक्ति का इंतजार
भिलाई के राम नगर मुक्तिधाम में 1 मार्च से लेकर 11 जून तक करीब 400 अस्थियों को रखा गया था। इसमें से करीब 55 अस्थियां ही वर्तमान समय में मुक्तिधाम में रखी है। इन्हें लंबे समय से कोई लेने नहीं आया। इन्हें मुक्ति का इंतजार है। भिलाई के रामनगर स्थित मुक्तिधाम में अस्थियों को सुरक्षित रखने की व्यवस्था बनाई गई है। मुक्तिधाम में एक कमरा अस्थियों को रखने के लिए ही बनाया गया है। इस कमरे में चार आलमारी रखी हुई हैं। इन आलमारियों में अस्थियों को उनके परिजनों के नाम और नंबर के साथ सुरक्षित रखा जाता है, वह भी नि:शुल्क।
कुछ लोग ले गए, कुछ बाकी हैं
कोरोना सहित अन्य वजहों से जिनकी मौत हुई, उनका अंतिम संस्कार किया गया। लेकिन करीब 400 मृतकों की अस्थियों को परिजनों ने विसर्जित करने के बजाए मुक्तिधाम में ही रखा था। हमारे यहां अस्थियों को सुरक्षित रखने की व्यवस्था है। लॉकडाउन खुलने के बाद अब परिजन अस्थियों को ले जा रहे हैं। अभी भी 55 कलश लॉकर में हैं।
शंकर साहू, प्रभारी अधिकारी मुक्तिधाम रामनगर
समाज सेवी ने किया अंतिम संस्कार
गरियाबंद से गोरेलाल सिन्हा. कोरोनाकाल में गरियाबंद में कुछ 4 लोगों की मौत कोविड से होने के बाद उनकी अंतिम क्रियाकर्म नगर के समाजसेवी द्वारा किया गया। दाह संस्कार के बाद भी परिजन उनके अस्थि कलश लेने नहीं पहुंचे। गरियाबंद जिले के जयराम पिता उजल गोंड 42 वर्ष बरबहाली देवभोग जिसकी मौत 20 अप्रैल को हुआ। अंजन कुमार चटोपाध्याय पिता एलके चटोपाध्याय वार्ड नंबर 01 गरियाबंद इनकी मौत 26 अप्रैल 2021 और लोकेश जांगड़े 40 वर्ष आमदी गरियाबंद इनकी भी मौत अप्रैल माह में हुआ था। नेपाली इंदागांव का रहवासी था इसका परिजनों का तो अब तक पता नहीं चल है।
मुक्तिधाम में अस्थियां सुरक्षित
बिलासपुर के मुक्तिधामों में अप्रैल के 15 दिनों में 201 शवों का अंतिम संस्कार किया गया है। इनमें 136 बिलासपुर के रहने वाले थे। अन्य दूसरे जिले के निवासी थे। हालत यह थी कि निगम और प्रशासन के कर्मचारी लोगों से जल्द अस्थियों को ले जाने का आग्रह भी कर रहे थे दूसरे शव जलाने के बाद उनकी अस्थियां रखने के लिए जगह मिल सके। कई परिजन महीनों तक अस्थियां नहीं ले गए थे क्योंकि उन्हें इससे भी संक्रमित होने का खतरा था। कई मृतकों की अस्थियों को लेने उनके परिजन लंबे समय तक नहीं पहुंचे।
20 शवों की अस्थियां लेने ही नहीं पहुंचे परिजन
कोंडागाांव। कोरोना से हुई मौतों के शवों के अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी जिला प्रशासन ने कोण्डागांव नगर पालिका परिषद को सौंपी रखी थी। शव की सूचना मिलने पर मुख्य नगरपालिका अधिकारी की देखरेख व मौजूदगी में शवों को कनेरा रोड पर चयन किये गये स्थल पर अग्नि संस्कार पूरे विधिविधान से किया जाता था। केरोना
वट वृक्ष पर टंगी अस्थियां
कोण्डागांव में लगभग 60 कोरोना शवों को अंतिम संस्कार किया गया। जिसमें तकरीबन 20 परिवारों के लोग अपने प्रियजन की अस्थियों के संकलन के लिये संस्कार स्थल पर नहीं पहुंचे।
जगदलपुर. कोरोना काल में अब तक 391 लोगों की मौत हो चुकी है, जिसमें छत्तीसगढ़ के 3 एवं अन्य प्रदेश के 3 मृतकों के परिजन नहीं होने से रेडक्रॉस के उपाध्यक्ष अलेक्जेंडर चेरियन ने मुखाग्नि दी थी। उन शवों के अस्थि को मटके में रखकर वट वृक्ष में टांगा गया है, ऐसे 6 अस्थियों को विसर्जन का इंतजार है। श्री चेरियन ने बताया कि उक्त 6 मृतकों के अस्थि को कोरोना काल कम होने पर कलेक्टर के निर्देश पर हिंदू संस्कृति से विसर्जन किया जाएगा।
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