self help group: इस स्व सहायता समूह की महिलाओं ने बनाईं अद्भुत राखियां... आनलाइन भी बिक रही....

दुर्ग। छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिले(Durg district) में परिवर्तन महिला स्व सहायता समूह (Parivartan Mahila Self Help Group)की महिलाओं ने आज भीड़ में अलग पहचान बनाने में सफल हो गई है। समूह की महिलाओं की हाथों में हुनर है और वैज्ञानिक तथा तकनीकि कामों में दक्ष हो गई हैं। इस हुनर से समूहों को अलग पहचान मिल रही है। विगत दिनों प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने भेट मुलाकात कार्यक्रम में शामिल होने दुर्ग पहुंचे थे। इस दौरान परिवर्तन महिला स्व सहायता समूह(Parivartan Mahila Self Help Group) की अध्यक्ष गीता राजपूत(Geeta Rajput) ने समूह के बारे में विस्तृत जानकारी दी। वही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल गीता राजपूत की बेबाकी से बेहद गद-गद नजर आए, जो काफी दिनों तक चर्चा का विषय बना रहा था।
आपके बता दें कि, दुर्ग जिले के बघेरा निवासी गीता राजपूत (Geeta Rajput) की अध्यक्षता में स्व सहायता महिला समूह परिवर्तन संचालित हो रही है। उनके नेतृत्व में महिला समूह के सदस्यो के जीवन में परिवर्तन की बयार बह रही है। इस समूह की महिलाएं कई तरह की प्रोडक्ट बना रही है, जैसे- धान का दुल्हन सेट, धान का बैच, गोबर का दिया, गणवेश सिलाई, रंगोली, तिली के लड्डू, वाशिंग पावडर, हर्बल गुलाल, धूपबत्ती, फिनाइल, मौली धागा की राखी, धान की राखी , चावल की राखी, रुद्राक्ष की राखी, गोबर की राखी आदि। परिर्वतन महिला स्व सहायता समूह (Parivartan Mahila Self Help Group)की अध्यक्ष गीता राजपूत ने बताया कि, स्व सहायता समूह के एक एक समूह में 10 से 12 सदस्य जुड़े हुए है। हमारी महिलाएं स्व सहायता समूह के माध्यम से बहुत सारी महिला समूह का गठन हुआ है इसमें हर समूह में कुछ न कुछ बनाने का काम चल रहा है। हमारा जो एक समूह है उसमे स्वास्थ केन्द्र बघेरा में पीएससी में खाना सप्लाई होता था।
कई तरह के निर्माण करती हैं समूह की महिलाएं
मरीजों के लिए हमारी समूह में गणवेश सिलाई भी किया गया था। प्रतिवर्ष गणेश चतुर्थी से लेकर दीपावली तक रंगोली का कार्य भी किया जाता है। गीता राजपूत ने आगे बताया कि जनवरी माह में तिली लड्डू बनाया जाता है अभी सिलाई का कार्य चल रहा है, ध्वज सिलाई के साथ ही होली में हर्बल गुलाल भी बनाया गया था। धूपबत्ती का निमार्ण भी किए है और हमारी एक और समूह है जो वाशिंग पावडर भी बना रही है। अब हम चाहती है कि, हमारा प्रोडक्ट मार्केट तक पहुंचे। और सभी महिलाए कई तरह के प्रोडक्ट का निर्माण कर अपने आय का जरिया दुगुना बना सके। हमारा प्रयास है हर महिलाओ को आत्मनिर्भर करना है और उनके लिए आय का जरिया उत्पन्न करना है। इसके साथ ही यह राखियां देश के कोने-कोने में जा रही है, समूह की महिलाओं ने इन राखियों का मूल्य नौ रूपये रखा है।
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