बजट में हो जीएसटी, जैम्स जैमलाजी का कोर्स प्रारंभ करने का प्रावधान

रायपुर. प्रदेश सरकार का बजट एक मार्च को पेश होने वाला है। प्रदेश सरकार से यहां के व्यापारियों के साथ उद्योगों ने अपने लिए कुछ राहत मांगी है। इसी के साथ उद्योगों ने औद्याेगिक क्षेत्रों में ही स्किल डेवलपमेंट सेंटर खोलने की मांग रखी है, ताकि बेराेजगारों को इसका ज्यादा से ज्यादा फायदा मिल सके।
इसी के साथ प्रदेश से विश्वविद्यालयों में जैम्स, जैमलाजी और जीएसटी पर कोर्स प्रारंभ करने की भी मांग रखी है। विधानसभा में बजट सत्र प्रारंभ हो गया है, अब प्रदेश की कांग्रेस सरकार का तीसरा बजट मुख्यमंत्री भूपेश बघेल एक मार्च को पेश करेंगे। इस बजट पर पूरे प्रदेश की निगाहें हैं कि प्रदेश को क्या मिलेगा। व्यापारी और उद्योगपति भी बजट से बहुत कुछ आस लगाकर बैठे हैं। बजट में चैंबर ऑफ कामर्स के साथ उरला एसोसिएशन और छत्तीसगढ़ मिनी स्टील प्लांट ने अपनी तरफ से कुछ मांगें और सुझाव प्रदेश सरकार को दिए हैं। इनको उम्मीद है कि उनकी मांगों पर प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपसे बघेल गंभीरता से विचार कर इनको जरूर बजट में शामिल करेंगे।
नए काेर्स की मांग : चैंबर ऑफ कासर्म के अध्यक्ष जितेंद्र बरलाेटा ने बताया, प्रदेश के बजट में चैंबर की तरफ से जहां टैक्स सेंटलमेंट को सरल करने की मांग की गई है। इसमें जीएसटी आने से पहले वैट और प्रवेश कर के जो पुराने मामले हैं, उन मामलों को निपटाने के लिए ब्याज और पेनाल्टी की राशि पर फैसला करके इनका निपटारा करना चाहिए। महाराष्ट्र, मप्र और बंगाल में सरलीकरण करके मामले निपटाए गए हैं। इसी के साथ ज्वेलरी पार्क यहां खुल रहा है, तो जैम्स जैमलॉजी पर कोर्स के साथ यहां जीएसटी का कोर्स भी विश्वविद्यालयों में प्रारंभ करना चाहिए। हल्दी, धनिया, सरसों, जीरा, मैथी, सौंफ आदि पर मंडी शुल्क हटाने की मांग की गई है, किराना के ऐसे कई सामान बाहर के राज्यों से मंगाए जाते हैं। दलहन, तितहन पर एक साल की नहीं स्थाई छूट की मांग की गई है। मंडी में बंगलादेश से आए लोगों के नाम से लगाया गया निराश्रित शुल्क समाप्त करने की भी मांग है।
बिजली की दरें कम करने की मांग
मिनी स्टील प्लांट ने बिजली की दरें कम करने की मांग एक बार फिर रखी है। संघ के अध्यक्ष अशोक सुराना और महासचिव मनीष धुप्पड़ का कहना है, 2009-10 से 2020 तक लगातार उद्याेगों की बिजली दरें बढ़ी हैं। इसके कारण उत्पादन की कीमत पर बड़ा असर पड़ता है। उद्योगों के लिए अलग टैरिफ कैटेगिरी की मांग रखी गई है। इसी के साथ विद्युत शुल्क को छह के स्थान पर दो प्रतिशत करने की मांग की गई है। उद्योगों को दिए जाने वाले रियायत पैकेज को भी बजट में शामिल करने का सुझाव दिया गया है। सरकारी योजनाओं में लोकल उद्योगों को प्राथमिकता देने की मांग भी की गई है।
रखरखाव का बजट हो ज्यादा : उरला एसाेसिएशन के अध्यक्ष अश्विन गर्ग का कहना है, सीएसआईडीसी को प्रदेश भर के औद्योगिक क्षेत्र के रखरखाव के लिए महज 5 से 6 करोड़ का बजट दिया जाता है। यह बजट बहुत कम है। रायपुर के साथ कोरबा, भिलाई, रायगढ़, राजनांदगांव और बस्तर में औद्योगिक क्षेत्र हैं। इसका इतने कम बजट में रखरखाव संभव नहीं है। यह बजट 25 से 30 करोड़ का होना चाहिए।
उरला के औद्योगिक क्षेत्र में अब तक फायर ब्रिगेड स्टेशन प्रारंभ नहीं हुआ है, इसको प्रारंभ करना चाहिए। रायपुर सहित प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्रों में ही स्कील डेवलपमेंट सेंटर खोले जाए। सेंटर इनसे दूर रहने के कारण युवाओं को इसका फायदा नहीं मिल पाता है।
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