20 सालों से 29 जिलों में कार्यरत प्रशिक्षित गो-सेवकों की ये मांग, अब तक पूरी नहीं, राजधानी में किया प्रदर्शन

रायपुर: प्रदेश के 29 जिलों में 20 सालों से काम कर रहे प्रशिक्षित गो-सेवकों(cow-sevaks) को महीनों से मानदेय(honorarium) नहीं मिला है। कृत्रिम गर्भाधान, पशुओं के टीकाकरण में अहम भूमिका निभाने वाले गो-सेवकों का कहना है, कांग्रेस पार्टी ने चुनाव के समय उनका विभागीय संविलय करने का वादा किया।
इसे चुनावी घोषणापत्र में शामिल किया गया, पर संविलियन तो दूर ग्रामीण इलाकों में पदस्थ प्रशिक्षित गो-सेवकों को टीकाकरण एवं कृत्रिम गर्भाधान के एवज में मिलने वाली राशि 3 से 4 माह से नहीं मिली। इस वजह से उनके सामने आर्थिक संकट की स्थिति है। गाे-सेवकों(cow-sevaks) ने काम ठप कर बूढ़ापारा में रविवार से बेमियादी आंदोलन शुरू कर दिया।
कलेक्टर दर पर दिया जाए मानदेय
छत्तीसगढ़ प्रशिक्षित गो-सेवक(cow-sevaks) संघ के आव्हान पर जुटे प्रशिक्षित गो-सेवकों का कहना है, अविभाजित मध्यप्रदेश के समय से वे पशु चिकित्सा विभाग की विभिन्न योजनाओं को संचालित करते आ रहे हैं। जिसमें पशुओं का टीकाकरण, (vaccination)बधियाकरण, कृत्रिम गर्भाधान के अलावा बहुउद्देशीय पशु चिकित्सा शिविर में शासन के सभी कार्य संपादित करते हैं। तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के समय ग्राम पंचायत से प्रस्ताव मांगा गया और गो-सेवकों को सैद्धांतिक एवं व्यावहारिक प्रशिक्षण के लिए 3-3 माह की ट्रेनिंग दी गई। प्रदेश के 29 जिलों में 4 हजार प्रशिक्षित गो-सेवक दो दशक से कार्य कर रहे हैं, पर इन्हें निश्चित वेतनमान नहीं मिला। पशुपालन विभाग की ओर से प्रति मवेशी टीकाकरण करने पर 3 रुपए और बधियाकरण के लिए 5 रुपए प्रति मवेशी सेवा शुल्क दिया जाता है। पिछले 4 महीनों से यह राशि भी गो-सेवकों को नहीं मिली। धरना-प्रदर्शन में छुरिया राजनांदगांव से आए बिसमदास साहू, दुर्ग जिले के बारगांव से प्रशिक्षित गो-सेवक परेटन लहरे का कहना है, गो-सेवकों को कलेक्टर दर से मानदेय दिया जाए। जब तक मांगें पूरी नहीं होंगी, तब तक राजधानी में प्रदर्शन जारी रहेगा।
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