नक्सलगढ़ में इस सड़क से खुलेगी विकास की राह : कोयलीबेड़ा-परतापुर सड़क पूर्णता की ओर, 40 किमी. तक घटेगी पखांजुर से कोयलीबेड़ा की दूरी

गौरव श्रीवास्तव- कांकेर। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित क्षेत्र कांकेर जिले के सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित कोयलीबेड़ा कस्बे से परतापुर को जाने वाली सड़क निर्माण का कार्य अब अपने अंतिम पड़ाव पर है। नक्सलियो का कोर इलाका कहलाने वाले इस क्षेत्र में सड़क बनाना प्रशासन और सुरक्षाबलों के लिए बहुत बडी चुनौती थी। लेकिन अब यह सड़क बहुत जल्द लोगों के इस्तेमाल के लिए उपलब्ध हाने जा रही है। कहा जा रहा है कि ये सड़क इलाके में विकास की बहार लेकर आने वाली है।
उल्लेखनीय है कि कोयलीबेड़ा से परतापुर सड़क के पूर्ण होने पर पखांजुर से कोयलीबेड़ा की दूरी लगभग 40 किलोमीटर तक कम हो जाएगी। अब कोयलीबेड़ा से पखांजुर जाने के लिए अन्तागढ़ ब्लॉक से होकर गुजरना पड़ता है, लेकिन अब यह दूरी घटने वाली है। परतापुर से जब सड़क निर्माण का कार्य शुरू हुआ तब महला में बीएसएफ का कैम्प लगाया गया था। इस कैम्प को कई बार नक्सलियों ने निशाना बनाकर जवानों पर हमले किए। इस सड़क के लिए बीएसएफ के 8 जवानों ने अपनी शहादत दी। फिलहाल 31 किलोमीटर लम्बी इस सड़क के लिए 3 बीएसएफ कैम्प महला, कटगांव और कामतेडा में बनाये गए हैं। जवानों की देखरेख में यह सड़क अपना अंतिम रूप लेने वाली है। इस सड़क पर 3 बड़े पुल बनने थे जिसमें एक पुल का काम पूर्ण हो चुका है, वहीं दो पुलों का काम तेजी से चल रहा है। इनके अलावा 75 छोटे पुल-पुलिये इस मार्ग पर बनने थे जिसमें से 60 से ज्यादा का काम पूर्ण हो चुका है। इस सड़क के बनने से जिले के बेहद पिछड़े हुए माने जाने वाले इन इलाकों में विकास की गति में तेजी लाई जा सकेगी। सड़क को ही विकास की पहली डगर माना जाता है, ऐसे में पुलिस, सुरक्षाबल और प्रशासन ने वो काम कर दिया है, जिसकी संभवनाएं कभी ना के बराबर नजर आती थीं।
नक्सल पैठ होगी कमजोर : एसपी
एसपी शलभ सिन्हा ने बताया कि यह मार्ग बहुत जल्द पूरा हो जाएगा, इस मार्ग से आवाजाही भी शुरू हो चुकी है। इस मार्ग ने बनने से नक्सलियो की पैठ भी इस इलाके में कमजोर होगी।
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