विपक्ष चर्चा से कटा रहा तो इसी सप्ताह समाप्त हो सकता है सत्र

विपक्ष चर्चा से कटा रहा तो इसी सप्ताह समाप्त हो सकता है सत्र
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छत्तीसगढ़ विधानसभा में विपक्ष के चर्चा में भाग नहीं लेने के कारण दो दिन में पांच मंत्रियों के विभागों के अनुदान मांगें पारित हो गईं। सोमवार को विपक्ष का बहिष्कार जारी रहा तो बजट सत्र के समय पूर्व समाप्त होने की संभवना जताई जा रही है। दो दिन से अनुदान मांगों की चर्चा का विपक्ष द्वारा बहिष्कार किए जाने से सदन में सत्तापक्ष, जनता कांग्रेस और बसपा के वक्ता ही अनुदान मांगों की चर्चा में भाग ले रहे थे। विभागों की अनुदान मांगें इसके कारण जल्दी पारित हो रही हैं।

रायपुर. छत्तीसगढ़ विधानसभा में विपक्ष के चर्चा में भाग नहीं लेने के कारण दो दिन में पांच मंत्रियों के विभागों के अनुदान मांगें पारित हो गईं। सोमवार को विपक्ष का बहिष्कार जारी रहा तो बजट सत्र के समय पूर्व समाप्त होने की संभवना जताई जा रही है। दो दिन से अनुदान मांगों की चर्चा का विपक्ष द्वारा बहिष्कार किए जाने से सदन में सत्तापक्ष, जनता कांग्रेस और बसपा के वक्ता ही अनुदान मांगों की चर्चा में भाग ले रहे थे। विभागों की अनुदान मांगें इसके कारण जल्दी पारित हो रही हैं।

विधानसभा का बजट सत्र 26 मार्च तक के लिए आहूत की गई थी। बजट पारित होने के बाद विभागों की अनुदान मांगों पर चर्चा के बाद पारित किया जाता है। अंत में विनियोग विधेयक पारित कर बजट पारित किया जाता है। सदन में सरकार की योजनाओं और अन्य गतिविधियों को उजागर करने का विपक्ष को मौका मिलता है। पिछले दिनों विपक्ष इसमें भाग लेने के दौरान समय को लेकर आसंदी से निर्णय से असंतुष्ट होकर चर्चा का लगातार बहिष्कार कर रहा है। चर्चा में कम लोगों के भाग लेने के कारण पहले दिन दो और दूसरे दिन तीन मंत्रियों के विभाग से संबंधित मांगों को पारित कर दिया गया। अब सात मंत्रियों के विभागों की अनुदान मांगों पर चर्चा होनी बाकी है। सोमवार से फिर से शुरू होने वाले सत्र के दौरान विपक्ष के रूख को देखकर ही कहा जा सकता है कि आने वाले दिनों में कब तक सत्र चलेगा। मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य विभाग की अनुदान मांगों पर एक-एक दिन चर्चा कराने की तैयारी विधानसभा सचिवालय की है। सत्र के दौरान विधेयक भी लाए जाते हैं, पर इस सत्र में अब तक केवल एक विधेयक की सूचना है।

विधायक दल में बनी थी ये रणनीति

भाजपा विधायक दल की बैठक में सत्र के दौरान सरकार को घेरने की रणनीति बनी थी। विधायक दल ने यह भी तय किया था कि किस विभाग के तहत विधायक चर्चा की शुरुआत करेंगे। भाजपा विधायकों ने इसके अनुसार तैयारी भी की थी। बजट आने के बाद सभी विधायकों ने उसके अनुसार सदन में चर्चा की तैयारी भी शुरू कर दी थी। सदन में समय को लेकर आसंदी के निर्णय के बाद भाजपा ने रणनीति में परिवर्तन किया है।

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