महाराष्ट्र के बाघ बढ़ाएंगे छत्तीसगढ़ में कुनबा, तीन राज्यों तक करेंगे आवाजाही

महाराष्ट्र के बाघ बढ़ाएंगे छत्तीसगढ़ में कुनबा, तीन राज्यों तक करेंगे आवाजाही
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रायपुर: बाघों के लिए तरस रहे छत्तीसगढ़ को महाराष्ट्र के बाघों से आस जगी है। इसकी वजह महाराष्ट्र के तड़ोबा नेशनल नेशनल पार्क से एक दर्जन बाघों को छत्तीसगढ़ के बार्डर नवेगांव-नागझिरा टाइगर रिजर्व में शिफ्ट करना है।

रायपुर: बाघों के लिए तरस रहे छत्तीसगढ़ को महाराष्ट्र के बाघों से आस जगी है। इसकी वजह महाराष्ट्र के तड़ोबा नेशनल नेशनल पार्क से एक दर्जन बाघों को छत्तीसगढ़ के बार्डर नवेगांव-नागझिरा टाइगर रिजर्व में शिफ्ट करना है। तड़ोबा के बाघ शिफ्ट करने की वजह वहां बाघों की संख्या ज्यादा होने से बाघों में टेरिटरी को लेकर आपसी द्वंद्व के साथ रिहायशी इलाकों में घुसना है। इससे वहां जानमाल का नुकसान हो रहा है। इस वजह से तड़ोबा के बाघों की नवेगांव-नागझीरा में शिफ्टिंग करने एनटीसीए ने कार्ययोजना बनाई है। नवेगांव-नागझीरा राज्य के इंद्रावती टाइगर रिजर्व तथा राजनांदगांव से जुड़ा हुआ है।

उल्लेखनीय है कि बाघों का महाराष्ट्र के नवेगांव-नगझीरा से लेकर छत्तीसगढ़ के गुरु घासीदास नेशनल पार्क के साथ मध्यप्रदेश स्थित संजय दुबरी नेशनल पार्क तथा झारखंड के पलामू नेशनल पार्क तक कॉरिडोर बना हुआ है। इसी बात का फायदा छत्तीसगढ़ के दो टाइगर रिजर्व के साथ नेशनल पार्क को मिलेगा। वन्यजीवों के जानकारों के मुताबिक बाघों के संरक्षण, संवर्धन में सावधानी बरतने पर इनकी संख्या तेजी से बढ़ती है। इसी वजह से मध्यप्रदेश के साथ महाराष्ट्र में बाघों की संख्या में तेजी से वृद्धि दर्ज की गई।

दस साल पहले महाराष्ट्र के बाघ काे मारा था

उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में पूर्व से ही पड़ोसी राज्यों के टाइगर रिजर्व के बाघों की आवाजाही होती रही है। राजनांगदांव में वर्ष 2010 में लोगों ने नवेगांव-नागझीरा से भटककर आए सूर्या नाम के बाघ को लाठी डंडे तथा पत्थर से पीटकर मार दिया था। इसी तरह से अब भी महाराष्ट्र के बाघों का मूवमेंट राजनांदगांव सहित राज्य के कई जिलों के जंगलों में होता है।

नवेगांव-नागझीरा से बाघों का नए टेरिटरी बनेगा

नवेगांव-नागझीरा में बाघ आने के बाद नर बाघ अपना अलग टेरिटरी (सीमा) निर्धारित करेंगे। ऐसे में कमजोर नर बाघ मजबूत नर बाघ से दूर अपने लिए सीमा क्षेत्र का निर्धारण करेंगे। इससे राज्य के वनों में महाराष्ट्र के बाघ अपना सीमा बना सकते हैं। ऐसी स्थिति में वन अफसरों को विशेष सतर्कता बरतने की जरूरत है।

छत्तीसगढ़ बाघों का बड़ा काॅरिडोर

छत्तीसगढ़ के वन बाघों का एक बड़ा कॉरिडोर हैं। महाराष्ट्र का नवेगांव-नागझीरा टाइगर रिजर्व राज्य के इंद्रावती टाइगर रिजर्व से जुड़ता है। साथ ही बाघ का कॉरिडोर राजनांदगांव तथा भोरमदेव अभयारण्य से होते हुए अचानकमार टाइगर रिजर्व को जोड़ता है। अचानकमार टाइगर रिजर्व गुरु घासीदास नेशनल पार्क के साथ संजय दुबारी टाइगर रिजर्व के साथ झारखंड के पलामू टाइगर रिजर्व से जुड़ता है।

बाघों का सतकोसिया जैसा हाल न हो

उल्लेखनीय है कि चार वर्ष पूर्व ओडिशा के सतकोसिया टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या बढ़ाने मध्यप्रदेश के कान्हा तथा बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से सुंदरी तथा महावीर नामक बाघ-बाघिन को शिफ्ट किया गया था। स्थानीय रहवासी अपने क्षेत्र में बाघ लाने का विरोध कर रहे थे। इसके चलते ग्रामीणों ने मादा बाघ का शिकार कर दिया। इसके बाद दूसरे नर बाघ को वहां से दूसरी जगह शिफ्ट किया गया। छत्तीसगढ़ भी बाघों के शिकार के नाम से बदनाम राज्य है। इस लिहाज से वन विभाग के अफसरों को बाघों का संरक्षण, संवर्धन करने से पहले स्थानीय ग्रामीणों में जागरूकता अभियान चलाना होगा।

बाघ बढ़ाने करने होंगे उपाय

राज्य में बाघों की संख्या बढ़ाने वन्यजीव एक्सपर्ट को जंगलों की स्थिति का जायजा लेना होगा। इसके साथ ही बाघों के शिकार के अनुकूल हिरण, सांभर, चीतल, नीलगाय, जंगली सुअर जैसे वन्यजीवों की संख्या बढ़ानी होगी। तभी दूसरे टाइगर रिजर्व के बाघ छत्तीसगढ़ के जंगल की ओर आकर्षित होंगे। इसके लिए वन विभाग के मैदानी अमले को बाघों के शिकार पर सख्ती से अंकुश लगाना होगा।

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