Tradition of Bastar : ढोल-नगाड़े लेकर पहाड़ी पर पहुंचे ग्रामीण, अच्छी बारिश के लिए हिलाया भीमसेन पत्थर

दंतेवाड़ा। इस बार मानसून में छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग (bastar region) में अच्छी बारिश नहीं हुई। इस वजह से किसान परेशान हैं। अच्छी बारिश की कामना और इंद्रदेव को मनाने के लिए लगभग 85 गांवों के लोगों ने परंपरा (tradition) और आस्था का सहारा लिया है। पूजा-अर्चना के बाद ग्रामीणों ने उदेला (udela) की पहाड़ी पर देव भीमसेन (dev bhimsen) के पत्थर को हिलाया है।
बता दें कि, दंतेवाड़ा (dantewada) जिले के कुआकोंडा (kuakonda) क्षेत्र के अंदरूनी इलाके उदेला (udela) की पहाड़ी में भीमसेन (bhimsen) पत्थर है। इस पत्थर को ग्रामीण देव के रूप में पूजते हैं। इस पत्थर पर यहां के 85 गांवों के सैंकड़ों ग्रामीणों की आस्था है। ग्रामीणों ने बताया कि, अच्छी बारिश नहीं होने पर भीमसेन पत्थर को हिलाने की परंपरा है। इसे हिलाने के बाद अच्छी बारिश होती है।

विधि-विधान से की देव भीमसेन की पूजा
देव भीमसेन को मनाने के लिए दंतेवाड़ा जिले के गुडरा, मोखपाल, मोलसनार, गंजेनार, उदेला, बुरगुम, पोटाली, नहाड़ी सहित कुआकोंडा इलाके के ही 85 गांव के ग्रामीण ढोल-नगाड़ा लेकर पहुंचे। वहां उन्होंने विधि-विधान के साथ स्थानीय देवी-देवताओं और देव भीमसेन की पूजा की। इसके बाद शिला को हिलाया। ग्रामीणों ने कहा कि, हमने शिला को हिलाया है अब अच्छी बारिश होगी।
ये है मान्यता
ग्रामीणों ने बताया कि, उदेला (udela) की पहाड़ी पर स्थित देव भीमसेन (bhimsen) का असली नाम भीमचंद (bhimchand) है। इस शिला को देवताओं की शक्तियों से ही हिलाया जा सकता है। सामान्य मनुष्य चाहे जितना भी बल लगा ले शिला इंच भर भी नहीं हिलती। मान्यता है कि, जब भी अच्छी बारिश नहीं होती तो ढोल-नगाड़े और पूरे विधि-विधान के साथ पूजा कर भीमसेन (bhimsen) पत्थर को हिलाने से इंद्रदेव प्रसन्न होते हैं और फिर अच्छी बारिश होती है। यह परंपरा 52 साल पुरानी है।
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