आदिवासी नेता डॉ. नंदकुमार साय ने सोशल मीडिया पर डाला अपना इस्तीफा, राजनीति में आया भूचाल

आदिवासी नेता डॉ. नंदकुमार साय ने सोशल मीडिया पर डाला अपना इस्तीफा, राजनीति में आया भूचाल
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हरिभूमि रायपुर समाचार: छत्तीसगढ़ के वरिष्ठतम आदिवासी नेताओं में से एक डॉ. नंदकुमार साय ने रविवार को बेहद खामोशी से सोशल मीडिया पर अपना इस्तीफा डाल दिया। इस्तीफे की एक कॉपी उन्होंने भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष अरुण साव को भी भेज दी। इसके साथ ही राज्य की राजनीति में भूचाल आ गया।

हरिभूमि रायपुर समाचार: छत्तीसगढ़ के वरिष्ठतम आदिवासी नेताओं में से एक डॉ. नंदकुमार साय ने रविवार को बेहद खामोशी से सोशल मीडिया पर अपना इस्तीफा डाल दिया। इस्तीफे की एक कॉपी उन्होंने भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष अरुण साव को भी भेज दी। इसके साथ ही राज्य की राजनीति में भूचाल आ गया। उसके इस कदम से भाजपा के दिग्गज नेता सकते में आ गए। अब तक किसी भाजपाई ने श्री साय को लेकर विरोधी बयान नहीं दिया है। सभी कह रहे हैं कि उन्हें मनाने का प्रयास किया जाएगा। दूसरी ओर श्री साय ने सोशल मीडिया पर इस्तीफा पोस्ट करने के बाद से अपना मोबाइल बंद कर लिया है, अलबत्ता उन्होंने रात नौ बजे के करीब एक दस मिनट से लंबा वीडियो डालकर अपने मन की बात कही। बोले कि मुझे और मेरे कार्यकर्ताओं को दरकिनार किर दिया गया था। मैं भयाक्रांत था। इस्तीफा दे रहा हूं। भाजपा के बड़े दिग्गज नेताओं ने कहा है कि साय से उनका संपर्क नहीं हो पा रहा है। इसी बीच ये चर्चा भी सामने आई कि श्री साय आम आदमी पार्टी में शामिल हो सकते हैं, लेकिन आप पार्टी के प्रदेश प्रभारी संजीव झा ने हरिभूमि से चर्चा में कहा कि इस पर कोई बातचीत नहीं हुई है। इस सियासी गहमागहमी के बीच प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम और सरकार के मंत्री अमरजीत भगत का ये बयान आया है कि कांग्रेस में श्री साय का स्वागत है।

दूसरी ओर श्री साय से जुड़े लोगों का कहना है कि वे लगातार दिल्ली दौरे कर, वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात कर छत्तीसगढ़ में पार्टी का नेतृत्व उनके हाथों में देने का आग्रह करते रहे, लेकिन पार्टी ने पहले ही तय कर रखा है कि आने वाले समय में नए लोगों को आगे बढ़ाया जाएगा, लेकिन वरिष्ठ लोगों का भी सम्मान बरकरार रखा जाएगा। राजनीतिक प्रेक्षकों का कहना है कि इस्तीफे के बाद श्री साय की खामोशी और कांग्रेस नेताओं की प्रारंभिक प्रतिक्रियाओं से संकेत मिल रहे हैं कि नंदकुमार साय के कदम कांग्रेस की ओर बढ़ रहे हैं।

श्री साय के इस्तीफे के बाद छत्तीसगढ़ की राजनीति में मची सियासी खलबली के बीच आदिवासी बहुल सरगुजा की राजनीति में भी हड़कंप मचा है। दरअसल श्री साय छत्तीसगढ़ की राजनीति में सरगुजा क्षेत्र से ही आते हैं। प्रदेश के पूर्व गृहमंत्री रामविचार नेताम ने कहा कि मुझे सोशल मीडिया से ही नंदकुमार साय के इस्तीफे की जानकारी मिली है। मैं लगातार श्री साय से बात करने की कोशिश कर रहा हूं, लेकिन रिमोट एरिया में होने के कारण उनसे संपर्क नहीं हो पा रहा है। उनसे बात करने के बाद ही इस संबंध में कुछ कह सकता हूं।

साय का इस्तीफा दुर्भाग्यजनक जूदेव

पूर्व सांसद एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता रणविजय सिंह जूदेव ने कहा है कि श्री साय का इस्तीफा दुर्भाग्यजनक है। वे वरिष्ठ नेता रहे हैं और उन्होंने संकट के समय भाजपा का साथ दिया है। मेरा अनुरोध है कि उन्हें अपने फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए। यदि पार्टी मुझे कहेगी तो मैं खुद उनसे बात करूंगा ।

हमने उनसे राजनीति सीखी गोमती

रायगढ़ क्षेत्र की सांसद गोमती साय ने कहा कि नंदकुमार साय राजनीतिक और पारिवारिक रूप से वरिष्ठ सदस्य रहे हैं। हमने उनसे राजनीति सीखी है। उनसे बात करने के बाद ही कहा जा सकता है कि उन्होंने यह कदम क्यों उठाया।

भगत बोले - साय की सोच कांग्रेस से मेल खाती है

प्रदेश सरकार के मंत्री और सीतापुर के आदिवासी विधायक अमरजीत भगत ने कहा कि नंदकुमार साय भाजपा के वरिष्ठ नेता हैं। वे तीन बार सांसद और तीन बार विधायक रहे। एमपी के समय पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे। वे आदिवासी मुद्दों पर कई बार सकारात्मक निर्णय के पक्षधर रहे। वे छत्तीसगढ़ बनने के बाद नेता प्रतिपक्ष रहे। जब मुख्यमंत्री बनने का मौका आया तो उन्हें पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी से चुनाव लड़ाकर उनका पत्ता काटने का प्रयास किया गया। उस समय पार्टी ने उनकाे किनारे कर दिया। श्री साय आदिवासियों के मुद्दे पर हमेशा मुखर होकर आगे आते रहे। जब सरगुजा विधानसभा के परिसीमन की बात आई तो वे पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिलने गए। वे आदिवासियों के मुद्दे पर कांग्रेसी विधायकों के साथ रहे। उनकी सोच हमारी पार्टी से मेल खाती है। कांग्रेस में उनका स्वागत है।

मरकाम बोले- साय का कांग्रेस में स्वागत है

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम और खाद्य एवं संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत ने भाजपा के आदिवासी नेता नंदकुमार साय के इस्तीफे पर कहा कि कांग्रेस पार्टी के द्वार उनके लिए खुले हैं। अगर वे कांग्रेस पार्टी में आते हैं ताे उनका स्वागत है। श्री मरकाम ने कहा, भाजपा में पिछले कुछ दिनों आदिवासियों की पूछपरख कम हो गई थी। उनके इस्तीफे से भाजपा का आदिवासी हितैषी होने का दावा बेनकाब हो गया है। एक बार फिर साबित हो गया है कि भाजपा आदिवासी विरोधी है। श्री साय का इस्तीफा इसका सीधा उदाहरण है। उन्होंने कहा, कांग्रेस के दरवाजे उनके लिए खुले हुए हैं।

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