Tribal Reservation : नेताम बोले- हमारी शिकायत की वजह से राज्य सरकार को झुकना पड़ा...

अम्बिकापुर- कैबिनेट बैठक में राज्य सरकार ने कई बड़े फैसले लिए, जिसमें से शैक्षणिक संस्थाओं में प्रवेश के लिए 58% आरक्षण लागू करने का निर्णय लिया गया है। इस फैसले पर आज प्रेस को जारी किए गए अपने वक्तव्य में छत्तीसगढ़ शासन के पूर्व गृहमंत्री और राज्यसभा सांसद रामविचार नेताम (Ramvichar Netam) ने कहा कि, कांग्रेस सरकार ने आख़िरकार हम सभी के विरोध के कारण आदिवासी आरक्षण (Tribal Reservation) पर नियम लागू कर दिया। जिसके अनुसार अब राज्य में मेडिकल कॉलेजो में एमबीबीएस की कुल 973 सीटो में से अनुसूचित जनजाति वर्ग के छात्रो को 32% के हिसाब से पूरे 300 सीट मिलेंगी।
आदिवासी युवाओं के साथ छल की शिकायत की थी...
राज्यसभा सांसद रामविचार नेताम (Ramvichar Netam) ने कहा कि, भूपेश सरकार ने आदिवासी छात्रो को महज़ 190 सीटे देकर आदिवासी बाहुल्य राज्य के आदिवासी समाज के युवाओं के साथ धोखा किया था। जिसकी शिकायत हम सभी भाजपा नेताओं ने चुनाव सह प्रभारी और केंद्रीय स्वास्थ मंत्री मनसुख मंडाविया के समक्ष शिकायत की थी। जिसके बाद केंद्र सरकार और भाजपा के दवाब में भूपेश सरकार को फैसला लेने को मजबूर होना पड़ा।
सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाएगी आदिवासी जनता...
राज्यसभा सांसद रामविचार नेताम ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि, राज्य की आदिवासी जनता कांग्रेस को आगामी चुनाव (Assembly Election) में सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाने वाली है। मेडिकल सीटों पर आदिवासियों के लिए आरक्षण के मामले को समझने के लिए यह जानना जरूरी है कि, कैसे आरक्षण को लेकर माननीय उच्च न्यायालय और माननीय सर्वोच्च न्यायालय में अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई में राज्य सरकार छत्तीसगढ़ के आदिवासियों का पक्ष सही ढंग से नहीं रख रही और आदिवासी हित के प्रति लचर रवैया अपना रही हैं।
MBBS की पहली अलॉटमेंट लिस्ट जारी नहीं हुई...
MBBS की पहली अलॉटमेंट लिस्ट को लेकर राज्यसभा सांसद नेताम ने कहा कि, चिकित्सा शिक्षा विभाग अपनी तय समय सारणी से हट गया और MBBS की पहली अलॉटमेंट लिस्ट जारी नहीं हुई। MBBS में अवैध आरक्षण रोस्टर का विरोध किया जा रहा था। माननीय हाई कोर्ट के 19 सितंबर 2022 में गुरु घासीदास अकादमी के फैसले के बाद सात महीनों तक भूपेश बघेल सरकार ने आदिवासी हित में अंतरिम राहत नहीं दी थी।
लोक सेवा परिक्षा में अंतरिम राहत मिली थी...
1 मई को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से सिर्फ़ लोक सेवा में आरक्षण रोस्टर से भर्तियां करने की अंतरिम राहत मिली थी। यह राहत इस निवेदन पर दी गई थी कि, आरक्षण पूरी तरह शून्य हो गया है और प्रशासन के लिए मानव संसाधन की कमी हो रही है। अब अगर छग शासन बिना किसी नई आरक्षण नीति को बनाता है तो इसका मतलब होगा कि उसने सुप्रीम कोर्ट में झूठ बोला है।
अवैध आरक्षण रोस्टर से दिया था MBBS में प्रवेश...
9 मई को सामान्य प्रशासन विभाग ने अपने सर्कुलर में मान लिया था कि शिक्षा में फ़िलहाल एससी-एसटी-ओबीसी का कोई आरक्षण नहीं है। तब से अब तक सामान्य प्रशासन विभाग ने स्थिति में बदलाव होने का कोई सर्कुलर जारी नहीं किया है। सत्र 2022 में भी भूपेश बघेल सरकार ने आदिवासी युवाओं के विरोध को नजर अंदाज करते हुए अवैध आरक्षण रोस्टर से ही MBBS में प्रवेश दिया था? पिछले हफ़्ते ही प्रवेश प्रक्रिया के बीच स्वास्थ्य मंत्रालय ने अचानक आयुक्त चिकित्सा शिक्षा हटा कर पुष्पा साहू को नियुक्त कर दिया। यह सारी प्रक्रिया राज्य सरकार की नियत को उजागर करती है।
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