काली धूल से परेशान लोगों ने रायपुर बलौदाबाजार रोड पर लगाया चक्काजाम

रायपुर: विधानसभा रोड सड्डू के पास स्थित शिवाजी पार्क कॉलोनी के रहवासी एक राइस मिल से निकलने वाली खतरनाक काली डस्ट से खासे परेशान हैं। कई लोगों ने प्रशासन से शिकायत की है कि काली डस्ट ने उनका जीना हराम कर दिया है। कई लोगों के फेफड़ों में समस्या शुरू हो गई है, वहीं आंखों में भी परेशानी पैदा हो गई है। शासन-प्रशासन से कई बार शिकायत करने के बाद आखिरकार उनका गुस्सा फूटा और काॅलोनीवासियों ने सोमवार दोपहर 12 बजे करीब राइस मिल के पास रायपुर-बलौदाबाजार रोड पर चक्काजाम कर दिया।
दरअसल पार्क के पास स्थित राइस मिल से निकलने वाले कचरे व काली धूल से लोगों की जिंदगी खतरे में आ चुकी है। आए दिन कॉलोनीवासी अस्पताल के चक्कर काट रहे हैं। गुस्साए कॉलोनीवासियों ने करीब एक घंटे मुख्य मार्ग जाम कर दिया। मौके पर पुलिस और प्रशासन के अधिकारी पहुंचे। वहीं बाद में फैक्ट्री मालिक के बेटे ने सप्ताहभर के अंदर लिखित में इसका निवारण करने की बात कही। तब जाकर कॉलोनीवासियों ने चक्काजाम खत्म किया। शिवाजी पार्क समेत आसपास के हजारों लोग कंपनी से निकलने वाली डस्ट से बेहद प्रभावित हो रहे हैं। स्थिति ऐसी बन चुकी है कि बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक अस्पताल के चक्कर काट रहे हैं। लोगों की आंख, स्किन व लंग्स में समस्या शुरू हो गई है।
कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन
शिवाजी पार्क समेत आसपास की काॅलोनी के रहवासियों ने इस समस्या को लेकर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। वहीं कलेक्टर ने जल्द ही समाधान की बात कही। रहवासियों ने बताया कि पहले भी कलेक्टर समेत अन्य लोगों के पास इस संबंध में ज्ञापन सौंप चुके हैं, पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। साथ ही एनजीटी से भी शिकायत की गई थी, पर कुछ नहीं हुआ।
आंख में समस्या, अस्पताल के चक्कर काट रहे
शिवाजी पार्क निवासी अरुण रॉय ने बताया कि राइस मिल से निकलने वाली काली डस्ट इतनी ज्यादा मात्रा में उड़ती है कि घर से बाहर निकलते ही ये आंखों में घुस रही। साथ ही फेफड़ों में भी समस्या हो रही है। यह डस्ट इतनी खतरनाक है कि पानी डालने से भी नहीं निकल रही, अस्पताल में इलाज चल रहा है। सैकड़ों की संख्या में लोगों को आंख व सांस से संबंधित बीमारियां हो रही हैं। 5 से 6 लोगों की आंख का ऑपरेशन भी हो चुका है।
काली धूल से होली खेल रहे
रहवासी पूजा गर्ग ने हरिभूमि को बताया कि समस्या बहुत ज्यादा बढ़ चुकी है। आए-दिन अस्पताल जाना पड़ रहा है। हर बार हजार रुपए खर्च होते हैं। बाहर निकलना भी मुश्किल हो चुका है। निकलेंगे नहीं तो कैसे काम होगा। ऐसा लगता है कि काली धूल से होली खेल रहे हैं। यदि अब सुनवाई नहीं होगी तो बच्चों-बुजुर्गों के साथ मिलकर सब लड़ेंगे।
बच्चों का घर से निकलना बंद
योगिता मूंदड़ा ने बताया कि बच्चों का घर से निकलना बंद हो गया है। मार्निंग वॉक पर भी नहीं निकल पा रहे हैं। बहुत ज्यादा समस्या हो रही है। छत में काली धूल की परत जमी रहती है। सड़क, गाड़ी, पेड़, पौधे सब धूल-धूसरित हो जाते हैं। कपड़े भी बाहर नहीं सुखा सकते, ऐसी स्थिति है।
पुलिस तक वो लोग नहीं आए
चक्का जाम नहीं था, रहवासियों ने राइस मिल वाले से बात कर उनको लेटर दिया। राइस मिल वालों ने आश्वासन दिया है कि जो धूल उड़ रही है उसको दो से तीन दिनों में ठीक कर दूंगा। पुलिस तक वो लोग नहीं आए हैं, कोई कंप्लेंट नहीं है, यदि कुछ इनोशेंस होगा, तब हम उस पर कार्रवाई करेंगे।
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