महतारी से डिगा भरोसा, पुलिस को प्रसव पीड़ा के 4280 कॅाल, चलती वैन में ही जन्मे 122 नवजात

कोरोना संकटकाल में प्रसव पीड़ा दूर करने के लिए तैनात महतारी एक्सप्रेस से कहीं ज्यादा पुलिस की पीसीआर वैन पर मरीजों का भरोसा बढ़ा है। आलम ये है कि संकट की घड़ी में महतारी एक्सप्रेस को बुलाना छोड़ मरीजों ने पुलिस वैन को मदद के लिए कॉल किया। डॉयल 112 के पास हाल के चंद दो से तीन महीने के अंदर फोन कॉल्स की रिकार्ड संख्या चौंका रही है।
पुलिस के डाॅयल 112 में प्रसव पीड़ा के 42480 फोन कॉल्स पहुंचे। त्वरित कार्रवाई करते हुए गर्भवती महिलाओं को पुलिसकर्मियों ने अपनी गाड़ी में अस्पताल तक पहुंचाया है। इस अवधि में इतने प्रकरण महतारी एक्सप्रेस के पास भी नहीं आए हैं। सीधे फोन काॅल्स आने के बाद पुलिस ने पीड़ित महिलाओं को अस्पताल में भर्ती कराया और उपचार तक के इंतजाम किए।
डाॅयल 112 के पास मौजूदा रजिस्टर में 122 बच्चे पुलिस वैन में ही जन्मे हैं। दो महीने के अंदर यह भी एक तरह से रिकार्ड है। पुलिस का कहना है कि ज्यादातर प्रकरण ऐसे रहे हैं, जिसमें परिजनों को महतारी एक्सप्रेस की सलाह देने के बाद उन्होंने वहां से रिस्पांस नहीं मिलने के बाद मदद की गुहार लगाई। मामलों की गंभीरता को देखकर पुलिस ने भी उनके लिए अपनी क्विक रिस्पांस वैन दौड़ा दी।
एसपी डाॅयल 112 धर्मेंद्र सिंह ने बताया है कि प्रसव पीड़ा के केस में प्राथमिकता के साथ मदद करने टीमों को प्रशिक्षित किया गया है। बाकायदा अब पुलिस वैन में प्रसव पीड़ा संबंधी केस होने पर लाभकारी दवाइयां भी रख रहे हैं ताकि ऐसी दवाएं जच्चा और बच्चा दोनों के काम आ सकें।
शहरों से ज्यादातर लोग मायूस
डाॅयल 112 के पास आए प्रसव पीड़ा के प्रकरणों में मदद के लिए सबसे ज्यादा बिलासपुर, दुर्ग और रायपुर जिले से लोगों ने फोन घुमाया है। तीनों जिलाें से करीब 5 हजार लोगों ने प्रसव पीड़ा के दौरान उपचार के लिए मदद मांगी। ये फोन कॉल्स जनवरी के बाद दर्ज किए हैं, जिसमें सबसे ज्यादा केस लॉकडाउन लगने के बाद के हैं।
उपचार संबंधी शिकायतें
कोविड काल के दौरान पुलिस ने संक्रमितों के घर तक गाड़ियां दौड़ाई हैं। 31512 संक्रमितों को अस्पताल पहुंचाया गया है, जबकि लगभग 80 हजार ऐसे केस हैं, जिसमें उपचार संबंधी, लापरवाही बरतने और फिर अस्पतालों में तकलीफ के संबंध में सूचनाएं दी गई हैं।
चार जवानों की गई जान
संक्रमण के दौरान जहां जरूरतमंदों की मदद के लिए पुलिस ने अपनी मुस्तैदी बढ़ाए रखी, वहीं विभाग को भी बड़ा नुकसान उठाना पड़ा। डाॅयल 112 में अटैच चार जवानों की कोरोना संक्रमण से मौत हो चुकी है। रायपुर से सेवाराम यादव, हरिशम टंडन, कबीरधाम से हरिकुमार चंद्राकर और कोरबा से भोजेंद्र साहू का काेरोना से निधन हो गया। कोविड संक्रमण के दौरान सभी ड्यूटी में रहते हुए महामारी से ग्रसित हुए थे।
हर मोर्चे पर मुस्तैद
कोरोनाकाल में पुलिस ने डाॅयल 112 के जवानों को हर मोर्चे के लिए तैनात किया। इसी दौरान जब प्रसव पीड़ा के मामलों में फोन आने लगे, तत्काल प्रभाव से उनकी मदद करने गाड़ियां दौड़ाईं। सौ से ज्यादा केस में महिलाओं ने पुलिस गाड़ी में ही बच्चों को जन्म दिया। उन्हें सुरक्षित अस्पताल तक पहुंचाया गया।
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