मरवाही के जंगलों में कोल माफियाओं की सुरंग : अधिकारियों की नाक के नीचे धड़ल्ले से हो रहा कोयले का अवैध खनन

आकाश पवार-गौरेला-पेंड्रा-मरवाही। छत्तीसगढ़ के गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले में कोयले का उत्खनन का खेल खेला जा रहा। जरा-जरा सी बात और कानून के उल्लंघन का हवाला देकर धौंस दिखाने वाले पुलिस और प्रशासन सहित खनिज विभाग की मौजूदगी में कई किलोमीटर लंबी सुरंग बनाकर पर्यावरण और नियम कायदों को ताक पर रखकर कोयले का उत्खनन का व्यापार चल रहा है। पर हद तो तब है कि जब तमाम आला अधिकारी जानकारी नहीं होने का हवाला देकर किनारा कर रहे हों और अन्तर्राज्यीय स्तर पर कोयले के काले कारोबार को सभी की मौन सहमति से बल मिल रहा हो।
उल्लेखनीय है कि, हम बात जिला गौरेला पेंड्रा मरवाही के मरवाही रेंज और मरवाही थाना क्षेत्र के कोरिया जिले से लगने वाली सीमा की कर रहे हैं। जिसकी बानगी यहां जमीन के नीचे खोदी गयी इस सुरंग से देखने को मिलती है। मरवाही वनमंडल में खुलेआम कोयला माफिया जंगलां को खोखला कर कोयले का अवैध उत्खनन कर कोयले की तस्करी कर रहे हैं। माफियाओं ने जमीन के अंदर ही अंदर कई किलोमीटर तक जंगलां को खोखला कर दिया है और मरवाही के आसपास गाँवों में कोयले का अवैध कारोबार कर रहे हैं, जिसकी भनक कहने को तो न तो जंगल विभाग को है न ही माइनिंग विभाग को है जबकि जिले गठन को ढाई वर्ष से ज्यादा समय हो चुका है, जिले में वन विभाग समेत माइनिंग विभाग के बड़े अधिकारी भी पदस्थ है आश्चर्य की बात है कि इन आला अधिकारियों के नाक के नीचे जिला मुख्यालय से लगभग 50 किलोमीटर की दूरी पर कोरिया वनमंडल की सीमा से लगने वाले जंगलां के अंदर कई किलोमीटर की सुरंग बनाकर कोयले का अवैध कारोबार पनप रहा है।
जंगलां में बड़ी-बड़ी सुरंगे बना दी
मामला मरवाही वनमंडल के मरवाही वन परिक्षेत्र अंतर्गत उषाढ़ बीट का है। जहां कई साल से कोयले उत्खनन का सिलसिला बदस्तूर जारी है, हालात यह है कि जमीन के अंदर ही अंदर कई किलोमीटर तक कोयले का उत्खनन कर जंगलो को खोखला कर सुरंग बना दी गई है। तब सवाल यह उठता है कि जंगलो के रक्षक जिनको जंगलो कि सुरक्षा का जिम्मा दिया गया है। उनकी नाक के नीचे यह अवैध उत्खनन का खेल कैसे चल रहा है। उषाड़ बीट गार्ड समेत पुलिस के आला अधिकारियों तक तस्करी की मोटी रकम पहुचाई जा रही है तब तो खुलेआम अवैध उत्खनन कर तस्करी का कार्य संचालित हो रहे है। ग्रामीण बताते है कि गर्मी और ठण्डी के समय व्यापक तरीके से कोयले का उत्खनन किया जाता है दशकों से जंगलो के अवैध उत्खनन से जंगलो में बड़ी-बड़ी सुरंगे बना दी गई है जो कई किलोमीटर तक अंदर है।
किस प्रकार कोयला ले जाया जा रहा- वीडियो में भी देख सकते हैं
बरसात के समय इन सुरंगों को पत्थर डालकर बंद कर दिया जाता है और गर्मी में पुनः माफिया सुरंग बनाकर कोयले की तस्करी करते है। वही सुरंगों के भस्कने के बचाओ हेतु जंगलो से ही काटी हुई सरई , साजा की लकड़ियों को काटकर टेका बनाया गया है ताकि सुरंगों में सुरक्षित रूप से अंदर घुसा जा सके। इसके साथ ही इन सुरंग से निकाला गया कोयला बोरियों में भरकर ले जाया जाता है। जिसे कि आप वीडियो में भी देख सकते हैं कि किस प्रकार कोयला ले जाया जा रहा है।
इस पर तत्काल रोक लगाने की मांग की
मरवाही पुलिस और वनविभाग ने आज तक कोई कार्यवाही नहीं की जबकि सालों से ये खेल जारी है। वहीं अब जिले के एसपी जहां जानकारी नहीं होने की बात कह रहे हैं। तो वहीं डीएफओ जांच कराने की बात कहते हुये उषाढ़ गांव के बीटगार्ड को हटाने की बात कहते नजर आए तो जिला खनिज अधिकारी तो इन सबसे अनजान बने हुये हैं जबकि मरवाही विधायक को मीडिया के जरिये कोयला सुरंग और काले कारोबार की जानकारी होने की बात कही गयी तो वहीं पूर्व नेता प्रतिपक्ष अर्न्तजिला और अन्तर्राज्यीय स्तर पर इस कोयले के खेल को काफी गंभीर बतलाते हुये इस पर तत्काल रोक लगाने की मांग करते हुये राज्य सरकार पर कोल माफियाओं को संरक्षण देने का आरोप लगा रहे हैं।
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