एक उत्तरपुस्तिका में दो हैंडराइटिंग, किसी ने चिपकाई फोटोकॉपी तो कहीं पूरी कक्षा के उत्तर गलत

रायपुर. छत्तीसगढ़ में 2 अगस्त से कॉलेज खोलने के निर्देश दिए जा चुके हैं, लेकिन फिलहाल कॉलेजों में वार्षिक परीक्षाओं की कॉपियां जांची जा रही हैं। कोरोना संक्रमण के चलते पं. रविशंकर शुक्ल विवि द्वारा ब्लैंडेड मोड में परीक्षाएं ली गई थीं। प्रश्नपत्र व्हाॅट्सएप और ईमेल के जरिए छात्रों को भेजे गए थे। इसके उत्तर उन्हें घर से ही लिखकर अपने कॉलेजों में जमा करने थे। महाविद्यालयीन परीक्षाओं के इतिहास में इससे अधिक सुविधा छात्रों को शायद ही कभी मिली हो। इसके बाद भी छात्रों ने जो कारनामे किए हैं, उसे देखकर प्रबंधन हैरान है। मेहनत से बचने छात्रों ने जो तरीके अपनाए हैं, उनमें कई का जिक्र तो नकल प्रकरण के लिए बनाई गई नियमावली में भी नहीं है। आलम यह है कि मूल्यांकनकर्ता कॉपियां जांचना भूल सिर पकड़कर बैठे हैं। कई मामलों में वे समझ नहीं पा रहे हैं कि आखिर क्या किया जाए?
केस-01
मौदहापारा स्थित एक महाविद्यालय में एक ही उत्तरपुस्तिका में दो तरह की हैंडराइटिंग मिली है। स्पष्ट है, छात्र की उत्तरपुस्तिका दो अलग-अलग लोगों ने लिखी है। ऐसे तीन मामले यहां मिले हैं। मूल्यांकनकर्ता ने पहली हैंडराइटिंग में लिखे गए उत्तरों को जांचा और दूसरी हैंडराइटिंग में लिखे उत्तरों को काट दिया।
केस-02
कांग्रेस भवन के समीप स्थित एक महाविद्यालय में छात्र ने अपने दोस्त की उत्तरपुस्तिका मांगी। उसकी फोटोकॉपी करने के पश्चात अपने रोल नंबर वाला पेज फोटोकॉपी के सामने लगाकर कॉलेज में जमा कर दिया। फोटोकॉपी वाली उत्तरपुस्तिका को अमान्य कर दिया गया। चूंकि अंतिम तिथि में वक्त था, इसलिए छात्र ने हाथ से लिखकर पुन: उत्तरपुस्तिका जमा की।
केस-03
बैरनबाजार स्थित एक महाविद्यालय के प्रबंधन को पूरी उम्मीद थी कि घर से उत्तर लिखे जाने के कारण छात्र अच्छे अंक प्राप्त करेंगे। किंतु उत्तरपुस्तिका जांचने के दौरान मूल्यांकनकर्ता उस वक्त हैरान रह गए, जब बड़ी संख्या में छात्रों ने पूरे प्रश्न हल ही नहीं किए। कई छात्रों ने पांच यूनिट की जगह सिर्फ 2-3 यूनिट ही हल किए। कालीबाड़ी स्थित महाविद्यालय में एक छात्र ने मात्र एक पेज ही लिखकर जमा कर दिया।
केस-04
कालीबाड़ी स्थित एक महाविद्यालय में गणित के पर्चे में पूछे गए एक सवाल का उत्तर पूरी कक्षा ने गलत दिया है। शिक्षकों ने जब छात्रों से पूछा तो पता चला कि कोचिंग सेंटर द्वारा प्रश्नपत्र हल करके दिए गए थे, जिसकी नकल सभी छात्रों ने की। मौदहापारा स्थित महाविद्यालय में कॉमर्स संकाय के एक विषय में पूछे गए सवाल का उत्तर 19,500 आना था। दरअसल 20,000 में से 500 को घटाया जाना था। 240 छात्रों में से 200 से अधिक छात्रों ने इसका जवाब 15,000 लिखा। मूल्यांकनकर्ता के अनुसार, ऐसा प्रतीत हो रहा है कि सभी ने किसी एक स्त्रोत से नकल की है।
40-45 प्रतिशत अंक ही
छात्रों को घर से पर्चे हल करने थे। हमने सोचा था कि 90 से अधिक अंक मिलेंगे। कई छात्रों के अंक तो मुश्किल से 40-45 प्रतिशत तक पहुंच पाए हैं।
- डॉ. अमिताभ बनर्जी, प्राचार्य छत्तीसगढ़ महाविद्यालय
शब्दों का भी अंतर नहीं
कुछ कॉपियों में शब्दों का भी अंतर नहीं है। या तो छात्रों ने गाइड देखकर हुबहू उत्तर लिख दिए हैं या आपस में ही नकल की है।
- देवाशीष मुखर्जी, प्राचार्य, महंत कॉलेज
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