Chhattisgarh: जल जीवन मिशन के तहत अब तक सिर्फ 36 प्रतिशत घरों में ही लगे नल कनेक्शन, योजना को पूरा होने में 9 महीने बाकी

रायपुर। केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना जल जीवन मिशन पर राज्य में सुस्त काम चल रहा है। छत्तीसगढ़ में जल जीवन मिशन के तहत अब तक 36 प्रतिशत घरों में ही नल कनेक्शन लगे हैं। राज्य में जल जीवन मिशन के अंतर्गत प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 55 लीटर के मान से शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने का लक्ष्य है। सितंबर 2023 तक इस योजना को पूरा करने का टारगेट तय किया गया है। 50 लाख घरों में नल से पानी पहुंचाना था, जाे अब तक 18 लाख 16 हजार घरों में पहुंच पाया है। योजना को पूरा करने केवल 9 माह का समय शेष है, ऐसे में कार्य तेजी से करने पर जोर दिया जा रहा है।
अगस्त 2019 से केंद्र सरकार ने जल जीवन मिशन के तहत घरों में स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए योजना लागू की थी। शुरुआत में याेजना के समय पर शुरू नहीं हो पाने से देर हुई। योजना में टेंडर में गड़बड़ी और अन्य दिक्कतों को देखते हुए जिलों के लिए दिए गए लक्ष्य को पूरा करने काम शुरू किया गया। योजना के तहत धमतरी जिले में लगभग 70 प्रतिशत काम पूरा किया गया है। रायपुर में 60 और दुर्ग में 51 प्रतिशत काम पूरा किया गया है। बाकी जिलों में यह इससे कम है। सबसे कम 25 प्रतिशत काम सुकमा जिले में हुआ है। कई जिलों में इसके काम में सुस्ती पर अधिकारियों से जवाब मांगा गया है। इनमें कांकेर, राजनांदगांव, बालोद, कोंडागांव शामिल हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में पौने दो लाख नल कनेक्शन
अगस्त 2024 तक ग्रामीण इलाकों में हर घर नल से जल पहुंचाने के लिए अफसरों को रोज चार हजार कनेक्शन देने हैं। पहले चरण के काम में प्रदेश के कुल 1516 गांवों को टारगेट में रखा गया है। 1 लाख 88 हजार 481 घरों तक नल कनेक्शन दिया जाएगा। इसमें जांजगीर चांपा जिले के 34 हजार 783 घरों तक पानी पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है, जबकि सबसे कम सुकमा जिले में है, जहां पहले चरण में सिर्फ 174 परिवारों तक ही पानी पहुंचाया जाएगा। वहीं रायपुर औैर बेमेतरा में 11-11 हजार, रायगढ़ में 14 हजार, सूरजपुर में 17 हजार घर शामिल हैं।
ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में चुनौती
ग्रामीण और आदिवासी बहुल क्षेत्रों के साथ शहरों में भी स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। बस्तर के कई गांवों में पानी में कार्बनिक आयरन और फ्लोराइड कारण स्वास्थ्य संबंधित समस्याएं देखने में आई हैं। बस्तर में इससे निपटने बांध से पानी लाने की योजना पर काम कर रहे हैं, लेकिन जब तक योजना पूरी नहीं हो जाती, तब तक लोग दूषित पानी पीने के लिए मजबूर हैं। गरियाबंद के देवभोग, गरियाबंद और मैनपुर में पानी सर्वाधिक प्रदूषित है। कांकेर के चरामा, कांकेर सहित कई विकासखंड के गांवों में प्रदूषित जल बड़ा संकट है। आम लोगों के लिए स्वच्छ पेयजल की उपलब्धता राज्य में बड़ी चुनौती है।
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS