रायपुर में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 10 हजार आवासीय घर बनकर तैयार, 9800 आवास खाली पड़े, लेने वाला कोई नहीं, अब किरायेदारों को बेचने का प्रस्ताव पारित

रायपुर में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 10 हजार आवासीय घर बनकर तैयार, 9800 आवास खाली पड़े, लेने वाला कोई नहीं, अब किरायेदारों को बेचने का प्रस्ताव पारित
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प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत रायपुर में 10 हजार आवासीय फ्लैट बनकर तैयार हैं, पर मुख्यालय द्वारा आवंटन के बाद भी मात्र 1200 आवास का आवंटन नगर निगम हितग्राहियों को कर पाया है। 9800 आवास खाली पड़े हैं पढ़िए काम की खबर।

रायपुर: वर्षों से खाली पड़े मकान को किफायती दर पर किराएदारों को बेचने की योजना शासन स्तर पर बनाई गई है। इसके लिए रायपुर नगर निगम महापौर आवास ढेबर की अध्यक्षता में 3 नगरीय निकाय के महापौर की कमेटी बनाई गई है। जिनसे यह सुझाव मांगा गया कि नगरीय निकाय क्षेत्र में ईडब्लूएस के तहत खाली पड़े आवास को लेकर अभिमत दें।

शहर के अलग-अलग इलाकों में इस तरह के 10 हजार आवासीय फ्लैट बनकर तैयार हैं। गरीबों को नजूल की जमीन पर राज्य शासन द्वारा पट्टा बांटने की घोषणा के बाद पट्टे की बाट जोह रहे जरूरतमंद परिवार अपनी पुरानी जगह छोड़कर नगर निगम द्वारा बनाए गए ईडब्लूएस आवास में जाने से आनाकानी कर रहे हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत रायपुर शहर के अलग-अलग इलाकों में इस तरह के 10 हजार आवासीय फ्लैट बनकर तैयार हैं, पर मुख्यालय द्वारा आवंटन के बाद भी 9800 घर खाली पड़े हैं

पट्टा बांटने दो साल पहले हो चुका सर्वे

प्रदेश की कांग्रेस सरकार द्वारा गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले चिन्हांकित परिवार को नजूल जमीन का पट्टा बांटने चुनाव के समय घोषणा की गई। इसके बाद निगम स्तर पर इसके लिए शहरभर में सर्वे किया गया। तुंहर सरकार तुंहर द्वार शिविर के दौरान शहर के 70 वार्डों में जनप्रतिनिधियों के बीच जाकर जल्द पट्टा वितरण का वादा कर चले आए, पर आज तक चिन्हांकित परिवारों को शासन की ओर से निशुल्क पट्टा वितरण नहीं हो पाया है।

इन्हें है प्राथमिकता

  • सड़क चौड़ीकरण के दौरान प्रभावित परिवार
  • तालाब सौंदर्यीकरण प्रोजेक्ट में हटाई जाने वाली झुग्गी बस्ती के प्रभावित जन
  • केंद्र अथवा राज्य शासन के किसी प्रोजेक्ट के दायरे में आने वाली स्लम बस्ती, या नजूल की जमीन पर रह रहे लोग।

किराएदार को ईडब्लूएस के आवास के लिए ये हैं शर्तें

  • 2015 से पहले रायपुर नगर निगम में निवासरत हो
  • ऐसे हितग्राही की सालाना आमदनी 3 लाख से ज्यादा न हो
  • आवेदन करने वाले हितग्राही के नाम से भारत देश में कहीं कोई पक्का मकान नही होना चाहिए

एमआईसी से जुड़े अधिकारियों ने बताया, ईडब्लूएस के खाली पड़े आवास को कमजोर व गरीब वर्ग के ऐसे पात्र हितग्राही, जिनका खुद का कोई घर न हो और किराए के मकान में रहता हो, उसे नियम के तहत सबके लिए आवास योजना में शामिल करते हुए किफायती दर पर आवास उपलब्ध कराने रायपुर नगर निगम की एमआईसी से प्रस्ताव पारित हो चुका है। 4 लाख 75 हजार की लागत वाले ईडब्लूएस आवास में हितग्राही को डेढ़ लाख की सब्सिडी केंद्रांश के रूप में मिलेगी, जबकि किराएदार होने की वजह से उसे राज्यांश के रूप में अनुदान नहीं मिलेगा। कुल मिलाकर 3 लाख 25 हजार में किराएदार को मकान देने का प्रस्ताव है।

तीन सदस्यीय कमेटी ने भेजी अनुशंसा

ईडब्लूएस के तहत बनाए गए बहुमंजिला आवास के उपयोग को लेकर राज्य शासन की ओर से रायपुर नगर निगम महापौर एजाज ढेबर की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की गई, जिसमें राजनांदगांव और बिलासपुर नगर निगम के महापौर को सदस्य बतौर शामिल किया गया। समिति ने राय-मशविरा करने के बाद राज्य शासन को यह अनुशंसा भेजी है कि प्रदेश के सभी नगर निगम से कम से कम 35 फीसदी ईडब्लूएस आवास को किराएदारों को नियमों के तहत बेचने के लिए सुरक्षित रखा जा सकता है। जबकि 65 फीसदी ईडब्लूएस आवास व्यवस्थापन प्रभावितों के लिए प्राथमिकता के आधार पर सुरक्षित रखा जाए।

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