अनूठी मिसाल : कॉलेज को बनाया 200 बेड का अस्पताल, सेवा के लिए झोंक दिया अपना परिवार

रायपुर. पूरे देश में कोरोना से हाहाकार मचा रखा है। हर जगह लोग परेशान हैं, लेकिन इन्ही परेशानियों के बीच कुछ सामाजिक संगठन ऐसे भी हैं, जो इंसानियत की मिसाल पेश कर रहे हैं। राजधानी रायपुर में सामाजिक संगठनों की एक ऐसी ही बानगी देखने को मिल रही है। इस कड़ी में दक्षिणी रायपुर से भाजपा विधायक और पूर्व कृषि मंत्री बृजमोहन अग्रवाल ने नरदहा स्थित कृति कॉलेज को कृति कोविड केयर अस्पताल में तब्दील कर एक अनूठी पहल की है।
ये देश का पहला ऐसा प्राइवेट कोविड सेंटर है, जहां कोविड मरीजों का इलाज बिल्कुल मुफ्त शुरू किया गया है। भाजपा के वरिष्ठ नेता बृजमोहन अग्रवाल ने इस महामारी से निपटने के लिए खुद यह फैसला लिया है। इसके लिए उन्होंने नरदहा स्थित कृति कॉलेज को कोविड केयर सेंटर बनाने का काम किया। मरीजों को ऑक्सीजन की कमी न हो, इसके लिए ऑक्सीजन पाइपलाइन बिछाई गई है। इस सेंटर की देखरेख में श्री अग्रवाल का पूरा परिवार लगा हुआ है। खुद विधायक श्री अग्रवाल रोज सेंटर में बैठते हैं और देखरेख करते हैं। वे लगातार डॉक्टरों से बात कर मरीजों के हालचाल की जानकारी भी लेते हैं।
कई डॉक्टर दे रहे सेवा
यह सेंटर मानवता चैरिटेबल एंड वेलफेयर ट्रस्ट, अग्रवाल समाज, भाजपा चिकित्सा प्रकोष्ठ, तेरापंथ प्रोफेशनल समाज, सेवाभारती एवं सर्व समाज के सहयोग से संचालित किया जा रहा है। यहां डॉ. कमलेश अग्रवाल, डॉ. अखिलेश दुबे, डॉ. जेपी शर्मा एवं डॉ. शैलेश खंडेलवाल, डॉ. अशोक त्रिपाठी के नेतृत्व मे 10 डॉक्टरों की टीम लगातार मरीजों की देखरेख कर रही हैं। डॉ. गंभीर सिंह, डॉ. विकास अग्रवाल, डॉ. गिरीश अग्रवाल, डॉ. ऋषि अग्रवाल, डॉ. सुरेंद्र शुक्ला, डॉ. अजय अग्रवाल, डॉ. नितिन जैन, डॉ. शुभकीर्ति अग्रवाल, डॉ. तन्मय अग्रवाल, डॉ. नेहा खेतान अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इसके अलावा कृति कोविड केयर सेंटर में 5 ड्यूटी डॉक्टर 25 नर्सिंग स्टाफ के साथ पर्याप्त सफाई कर्मचारी एवं वार्ड ब्वॉय की व्यवस्था की गई है। यहां कुल 200 बेड हैं, जिसमें 50 ऑक्सीजन बेड हैं, ऑक्सीजन देने के लिए पृथक से ऑक्सीजन पाइपलाइन लगाई गई है और 10 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर मशीनों की सुविधा उपलब्ध है। इस सेंटर में अत्याधुनिक कांटेक्टलेस रिमोट पेशेंट मॉनिटरिंग सिस्टम लगा गया है। इससे मरीजों की सतत निगरानी और आपात स्थिति में मैनेजमेंट करने में मदद मिल रही है।
मरीजों को योगा भी करा रहे
इसके अलावा मरीजों का मनोबल बनाए रखने के लिए रोज मरीजों को जूम द्वारा योगा, मोटिवेशनल स्पीकर और सीनियर डॉक्टरों से काउंसिलिंग भी की जा रही है। सेंटर में मरीजों को पौष्टिक भोजन, आवश्यक दवाइयां एवं ऑक्सीजन के साथ सतत चिकित्सीय देखरेख उपलब्ध है। यह सारी व्यवस्था "सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया" की भावना के साथ निशुल्क है।
जो सक्षम हैं, उन्हें ऐसी पहल करनी चाहिए
सेंटर की शुरुआत कैसे हुई?
छत्तीसगढ़ में कोरोना का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा था। यहां के बड़े-बड़े अस्पतालों में मरीजों को ऑक्सीजन, सामान्य और वेंटिलेटर वाले बेड नहीं मिल रहे थे। लाेगों के लगातार फोन आ रहे थे। ऐसे में मुझे ध्यान आया, हमारा एक काॅलेज है। यह बड़ी बिल्डिंग है तो मैंने सोचा, इसे काेविड सेंटर के रूप में प्रारंभ कर सकते हैं। इसके लिए मैंने डॉक्टरों और अग्रवाल समाज के कई लोगों से बात की। उन्होंने कहा, ऐसे समय में जबकि ऑक्सीजन की जरूरत है, सेंटर खोलना आसान नहीं है। तब मैंने अपने बड़े बेटे से बात की जो कॉलेज देखता है। उससे कहा, हमें ऑक्सीजन की लाइन डलवानी है। कहीं से व्यवस्था करके 50 बेड ऑक्सीजन वाले बनाने हैं। सात दिनों में इसकी तैयारी की गई। सात दिनों बाद इसे प्रारंभ किया गया। आज हमें संतुष्टि है कि 18 अप्रैल से प्रारंभ किए गए इस सेंटर में दो सौ मरीज भर्ती हुए और सौ मरीज ठीक होकर लौट गए हैं।
अच्छे खानपान और मरीजों को स्वस्थ करने की कैसे व्यवस्था की गई?
सेंटर में 11 डॉक्टरों को रखा, उन्होंने बताया, कोरोना के मरीज ज्यादातर डिप्रेशन में आते हैं। ऐसे में मरीजों के लिए योगा की व्यवस्था की गई। मरीजों के लिए डॉक्टरों ने अच्छे खाने के लिए भी जाेर दिया गया तो खाने की भी व्यवस्था की गई। करीब 50 लोगों की टीम अलग-अलग काम में लगी है। डॉक्टरों और सामाजिक लोगों के सुझाव आए, उनके हिसाब के काम किया गया। हमने सोचा कि राजधानी के जो गरीब हैं, उनको मुफ्त इलाज की सुविधा दिलानी है और हमने यह कर दिखाया है।
इस संकट काल में क्या डर नहीं लगता?
मुझे लगता है कि डरने की जरूरत नहीं है। जो सावधानी है, वह जरूरी है। सेंटर में काम करने वालों को प्रशिक्षण दिया गया है। यहां पर सावधानी और सुरक्षा का ध्यान रखकर काम किया जा रहा है, इसलिए डरने वाली कोई बात नहीं है।
किस तरह के मरीज आए?
कई मरीज ऐसे भी आए, जिनका निजी अस्पतालों में इलाज चल रहा था और जिनका बिल दो से तीन लाख आ गया था। ऐसे मरीजों को भी हमने भर्ती कराया। इसी के साथ जो आर्थिक रूप से कमजोर है, वो भी यहां आए और यहां से ठीक होकर गए हैं। यह हमारे लिए संतुष्टि का विषय है।
क्या ऐसी पहल सभी शहरों में होनी चाहिए?
ऐसी पहल सभी को करनी चाहिए। जो सक्षम हैं, उनको हर जिलों में ऐसे सेंटर प्रारंभ करने चाहिए। समाज के लाेगों को आगे आकर काम करना चाहिए। ऐसे लोग आगे आएंगे तो युवा भी काम करने तैयार रहते हैं। हमारे यहां भी कई युवा सेवा दे रहे हैं। हमारे सेंटर के युवा 24 घंटे काम कर रहे हैं। रात को भी मरीजों को लाया जाता है।
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