रतनपुर में बवाल : ब्राह्मण समाज ने खोला मोर्चा, न्याय मिलने तक आंदोलन जारी रखने का ऐलान, कहा- पुलिस पर भरोसा नहीं... हो न्यायिक जांच, कलेक्टर ने मानी चूक

संदीप करिहार/बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में रेप पीड़िता की मां को जेल भेजे जाने के मामले में सोमवार को सर्व ब्राम्हण समाज ने कलेक्ट्रेट का घेराव किया। इस दौरान FIR को वापस लेने की मांग उठाई गई। समाज ने कलेक्ट्रेट में पुलिस प्रशासन के खिलाफ उग्र आंदोलन किया। प्रदर्शनकारी कलेक्ट्रेट में ही धरने पर बैठ गए और पुलिस के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। साथ ही पीड़िता की मां को बिना शर्त जेल से बाहर निकालने की मांग की। इस धरना में रेप पीड़िता भी शामिल हुई। पीड़िता सामाजिकजनों का अभिवादन कर धरने में बैठी। प्रदर्शनकारियों ने ADM आरए कुरवंशी को ज्ञापन सौंपने से इंकार कर दिया और आईजी, कलेक्टर और एसपी को ज्ञापन देने की जिद पर अड़ गए। समाज के पदाधिकारियों ने कहा कि बवाल मचने के बाद मामले को दबाने के लिए TI को लाइन अटैच किया गया है। वहीं, जांच कमेटी बनाकर गंभीर केस को ठंडा करने की साजिश चल रही है। उन्होंने कहा कि पुलिस की जांच पर उन्हें भरोसा नहीं है। जांच कमेटी में एक भी महिला अफसर नहीं है। ऐसे में पूरे कांड की न्यायिक जांच होनी चाहिए। इस दौरान कलेक्टर सौरभ कुमार ने केस में पुलिस की भूल मानी है और जांच कर पीड़िता को न्याय दिलाने का भरोसा दिलाया है।
दरअसल, आज सर्व ब्राह्मण समाज के लोग नेहरु चौक में एकत्रित हुए और रैली निकालकर कलेक्टोरेट पहुंचे। यहां हंगामा मचाते हुए जमकर नारेबाजी की है। कलेक्ट्रेट का घेराव करने पहुंचे समाज के लोग परिसर में ही धरने पर बैठकर हंगामा मचाते रहे। जब समाज के पदाधिकारी वहां पहुंचे उस समय कलेक्टर सौरभ कुमार अपने दफ्तर से बाहर थे। समाज के लोग कलेक्टर से मिलने पर ही अड़े रहे। लिहाजा, कलेक्टर सौरभ कुमार अपने दफ्तर पहुंचे। समाज के पदाधिकारियों ने उन्हें इस पूरे केस की जानकारी दी और पीड़िता की मां के खिलाफ दर्ज केस निरस्त कराने की मांग की। समाज के पदाधिकारियों ने बताया कि कलेक्टर सौरभ कुमार ने मामले में गंभीरता दिखाई है और पुलिस की भूल बताई है। उन्होंने कहा कि वे खुद इस केस को देख रह हैं और बहुत जल्द महिला को न्याय दिलाने का प्रयास किया जाएगा। देखिए वीडियो-
जांच कमेटी में आईपीएस अफसर भी हो
समाज के पदाधिकारियों ने पूरे कांड की निष्पक्ष और न्यायिक जांच की मांग की है। उन्होंने कहा कि महिला पर आरोप लगा है और पुलिस ने जांच के लिए जो कमेटी बनाई है, उसमें महिला पुलिस अफसर को ही शामिल नहीं किया गया है। जांच कमेटी पर यह भी सवाल है कि कमेटी में सभी अफसर DSP रैंक के हैं, जो टीआई के खिलाफ जांच नहीं कर सकते। कमेटी में आईपीएस अफसर भी होना चाहिए था। पहली बार जब यह केस आया, तब इसकी सूक्ष्मता से जांच होनी चाहिए थी। पाक्सो एक्ट जैसे गंभीर केस दर्ज करने से पहले पुलिस ने सुनियोजित और षडयंत्र तरीके से कार्रवाई की है। ऐसे में पुलिस की कमेटी पर भी भरोसा नहीं है और मामले की न्यायिक जांच होनी चाहिए।
न्याय न मिलने तक जारी रहेगा आंदोलन
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि कलेक्टर सौरभ कुमार ने उन्हें इस मामले में निष्पक्ष जांच और पीड़िता को न्याय दिलाने का भरोसा दिला है। उन्होंने 48 घंटे के भीतर रिजल्ट दिखने का भी इशारा किया है। लेकिन, समाज के लोगों का कहना है कि जब तक पीड़िता को न्याय नहीं मिल जाता, तब तक उनका आंदोलन और प्रदर्शन जारी रहेगा। देखिए वीडियो-
सुनियोजित तरीके से पुलिस ने खेल किया
वहीं, कांग्रेस नेता और ब्राह्मण समाज से जुड़े महेश दुबे ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि इस केस में सुनियोजित और अजीब तरीके से पुलिस ने खेल किया है। भाजपा के कद्दावर नेता के फोन करने के बाद पुलिस ने 151 जैसे प्रतिबंधात्मक कार्रवाई से भी तेज पाक्सो एक्ट का केस दर्ज कर लिया। इस मामले में नगर पंचायत के पार्षदों ने पुलिस प्रशासन को लिखकर चरित्र प्रमाण पत्र दिया है। उनके खिलाफ भी कार्रवाई करनी चाहिए। क्योंकि, इस तरह के गंभीर केस में राजनीति होगी, तो फिर क्या होगा।
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