आरक्षण पर बवाल : राज्यपाल के सरकार से 10 सवालों के जवाब मांगने पर बोले मुख्यमंत्री - भाजपा का है राज्यपाल पर दबाव

सोमनाथ तोंडेकर- महासमुंद। छत्तीसगढ़ में संशोधित विधेयक पर राजभवन द्वारा सरकार से पूछे गए 10 सवालों पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मीडिया से कहा कि, राज्यपाल आरक्षण विधेयक पर तुरंत हस्ताक्षर करने की बात कह रहीं थीं, लेकिन अब किंतु-परंतु लगा रही हैं। इसका मतलब यह है कि वे तो चाहती थीं। राज्यपाल आदिवासी महिला हैं, निश्छल हैं। लेकिन भाजपा के लोग उन पर दबाव बनाकर रखे हुए हैं। इस कारण उन्हें ऐसा करना पड़ रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा ने प्रदेश के लोगों का मजाक बनाकर रख दिया है।
भाजपा आरक्षण नहीं चाहती : मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री ने कहा -राज्यपाल जब तक विधेयक पर हस्ताक्षर नहीं करेंगी, जब तक वह सरकार को वापस नहीं मिलेगा और इस पर काम शुरू नहीं कर सकते। BJP का एक नेता कहता है कि 70 दिन तक क्या करते रहे, दूसरा कहता है कि इतनी जल्दी करने की क्या जरूरत है। विधानसभा में डा. रमन सिंह और नेता प्रतिपक्ष धरम कौशिक का भाषण निकालकर देख लीजिए। इन लोगों ने फिर वैसी ही भाषा का इस्तेमाल शुरू कर दिया है, ये सभी आरक्षण विरोधी हैं। विधेयक सर्वसम्मति से पारित है, इसे रोकना नहीं चाहिए।
19 सितंबर को खारिज हुआ आरक्षण
19 सितंबर 2022 को हाईकोर्ट ने 58% आरक्षण के फैसले को असंवैधानिक बताकर नकार दिया और कहा कि पूर्व में की गई नियुक्तियां बरकरार रहेंगी। आने वाली भर्तियां कोर्ट के बताए नियम के अनुसार होंगी। लोकसेवा आयोग और व्यापमं ने आरक्षण नहीं होने से भर्ती परीक्षाएं टाल दीं। जिन पदों के लिए परीक्षा हो चुकी थीं, उनके परिणाम रोके। बाद में नये विज्ञापन निकले तो उनमें आरक्षण रोस्टर नहीं दिया गया। देखिए वीडियो...
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