शेड्यूल तय करने में वैक्सीन की कमी का रोड़ा, कोरोना के चक्कर में दूसरी बीमारियों के टीके भी प्रभावित

कोरोना वैक्सीनेशन की वजह से प्रदेश में दूसरी बीमारियों के लिए होने वाले टीकाकरण का काम प्रभावित होने लगा है। इसे देखते हुए सप्ताह में चार दिन कोरोना और एक दिन दूसरा टीका के लिए शेड्यूल तय नहीं हो पा रहा है। वर्तमान में केंद्र से वैक्सीन की जिस तरह खेप मिल रही है उसकी वजह से रोजमर्रा की स्थिति बनी हुई है।
प्रदेश में 14 जनवरी से कोरोना का टीका लगाने की शुरुआत की गई है। स्वास्थ्य विभाग के तमाम वैक्सीनेटर इसी अभियान में झोंक दिए गए हैं। वर्तमान में सप्ताह में सातों दिन कोरोना से बचाव के टीके लगाए जा रहे हैं। जिसकी वजह से शून्य से लेकर 16 साल तक के बच्चों को लगाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के टीकों का अभियान प्रभावित होने लगा है। इसे ध्यान में रखते हुए सभी तरह के टीकाकरण अभियान के संचालन के लिए शेड्यूल तय करने पर विचार किया जा रहा था।
सप्ताह में चार दिन कोरोना और एक दिन अन्य वैक्सीनेशन और रविवार को छुट्टी देने का प्रस्ताव बनाया गया था लेकिन सूत्रों के मुताबिक इस योजना में वैक्सीन की किल्लत आड़े आ रही है जिसकी वजह से इस सिस्टम को लागू नहीं कर पा रहे हैं। वर्तमान में केंद्र सरकार द्वारा कम मात्रा में वैक्सीन भेजी जा रही है जिसकी वजह से रोज वैक्सीन आवंट्न और टीकाकरण का काम करना पड़ रहा है।
थोड़ी-थोड़ी वैक्सीन
केंद्र सरकार द्वारा काफी समय से छोटी खेप में वैक्सीन भेजी जा रही है। इसके तहत सोमवार को कोविशिल्ड की 1.24 लाख डोज की सप्लाई की गई जिसे 15 जुलाई को भेजा जाना था। अब दो दिन बाद पुन: 35 हजार को-वैक्सीन भेजे जाने की खबर है। सूत्रों के मुताबिक कम उत्पादन की वजह से छोटी खेप में वैक्सीन की सप्लाई की जा रही है।
लग जाएंगे सालभर
प्रदेश में अगर 24 लाख वैक्सीन की सप्लाई प्रतिमाह की जाती है तो निर्धारित लक्ष्य को पूरा करने में सालभर का वक्त लग सकता है। वर्तमान मेें 2.35 करोड़ से ज्यादा लोगों को वैक्सीन की पहली और दूसरी खुराक देनी है। अब तक प्रदेश में 18 से 44 साल के 86894 लोगों को ही वैक्सीन की दूसरी खुराक दी गई है। जबकि लक्ष्य 1.34 करोड़ से अधिक का है।
पर्याप्त वैक्सीन के बाद शेड्यूल पर विचार
पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन मिलने पर ही इस पर ही शेड्यूल के आधार पर टीकाकरण पर विचार किया जा सकता है। अभी काफी कम मात्रा में वैक्सीन आ रही है इसलिए व्यवस्था नहीं बन पा रही है।
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