VIDEO: जियें तो जियें कैसे बिन 108 के- पहाड़ी कोरवा बस्ती में स्वास्थ्य सेवाओं का ये हाल, झलगी में मरीज को सड़क तक लाते हैं

VIDEO: जियें तो जियें कैसे बिन 108 के- पहाड़ी कोरवा बस्ती में स्वास्थ्य सेवाओं का ये हाल, झलगी में मरीज को सड़क तक लाते हैं
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विकास की लहर की बात करने वाले छत्तीसगढ़ में आज भी ऐसे कई इलाके हैं जहां के लोग आधारभूत सुविधाओं के लिए भी तरस रहे हैं। बलरामपुर का पहाड़ी कोरवा बस्ती सनमन्दरा कोठली भी ऐसा ही गांव है। करीब 300 मीटर तक पत्थर और चट्टान होने की वजह से इस पहाड़ी कोरवा बस्ती में कोई भी वाहन नहीं पहुंचता है। पढ़िए ख़ास ख़बर...

बलरामपुर। पहाड़ी कोरवा बस्ती सनमन्दरा कोठली एक ऐसा गांव है जो चारों तरफ से पत्थरों और चट्टानों से घिरा है। ग्रामीणों की समस्याएं तब तो और भी बढ़ जाती हैं जब कोई बीमार हो जाता है या गांव में अचानक ही कोई इमरजेंसी आ जाती है। यहां सड़क की समस्या इस हद तक है कि बीमारी से पीड़ित मरीज को परिजन झलगी में बैठाकर 108तक पहुंचाया करते हैं। ऐसे में कई बार तो अस्पताल तक पहुंचने में ही इतना समय लग जाता है कि पीड़ित व्यक्ति रास्ते में ही दम तोड़ देता है।

गर्भवती महिलाओं को अस्पताल ले जाने में खासी दिक्कत-

मरीजों और गर्भवती महिलाओं को अस्पताल तक पहुंचाने के लिए उन्हें काफी दिक्कतें होती हैं। कोई इमरजेंसी होने पर पीड़ित व्यक्ति को कंधे पर ही टांग कर चट्टानों को पार करवाना पड़ता है। गांव में सड़क न होने की सूचना कई बार अधिकारियों को दे चुके हैं, लेकिन इसके बाद भी अभी तक जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा कोई कदम नहीं उठाए गए हैं। हर बार आश्वसन देकर ग्रामीणों को वापस जाने के लिए कह दिया जाता है। नेता भी चुनाव से पहले यहां वोट मांगने के लिए आते हैं। बड़े-बड़े वादे करते हैं, लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद हमारी सुध लेने कोई नहीं आता।

राशन लाने तक में होती है दिक्कत-

ग्रामीणों के मुताबिक, हमें कभी भी किसी भी मंत्री से कोई मदद नहीं मिली। नेता-मंत्री सिर्फ चुनावों के समय गांव आते हैं और उसके बाद कोई हमें पूछता तक नहीं है। गांव में बदहाली का यह आलम प्रदेश के जिम्मेदार अधिकारियों के काम और इनकी जिम्मेदारियों को पूरी करने की कोशिशों पर सवाल उठाता है। गांव में सड़क जैसी जरूरी सुविधा न होना यहां के बच्चों और ग्रामीणों को रोज जोखिम उठाने को मजबूर करती है। वहीं गांव में सड़क न होने के कारण ग्रामीणों को राशन लाने तक में दिक्कत होती है। ग्रामीण सड़क की समस्या से इस कदर परेशान हैं कि वह राशन भी कम ही लेकर आते हैं। ताकि आसानी से चट्टान पार कर पाएं। देखिए वीडियो।







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