गांव का रेडी टू ईट शहर पहुंचा : 108 बोरी रेडी टू ईट की अफरा-तफरी, गांव के बच्चों का निवाला छीनकर बेचने के शक में पुलिस ने पकड़ा

उमेश यादव-कोरबा। कोरबा जिले के रामपुर से महिलाओं और बच्चों के लिए आंगनवाड़ी केंद्रों को भेजे जाने वाले रेडी टू ईट को भारी मात्रा में एक वाहन से जप्त किया गया है। रामपुर पुलिस ने इस सामान के साथ वाहन को जप्त किया है। मिली जानकारी के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्र में इस सामान की आपूर्ति होनी थी, लेकिन इसे कोरबा में खपाने की कोशिश की जा रही है।
दरअसल पिछले वर्ष रेडी टू इट व्यवस्था बदली हुई थी। इसके अंतर्गत रेडी टू ईट की जिम्मेदारी महिला समूहों से छीनकर, उसे दूसरे हाथों को सौंप दिया गया। इससे पहले इस काम को महिला समूह के हवाले किया गया था। वर्तमान में छत्तीसगढ़ बीज निगम, इसे छत्तीसगढ़ एग्रो के नाम से भी जाना जाता है। इसके जरिए इस काम को संपादित करने की व्यवस्था बनाई गई है।
108 बोरियों सहित पुलिस ने वाहन किया जप्त
मिली जानकारी के अनुसार विकासखंड कोरबा के अंतर्गत जिलगा बरपाली क्षेत्र की आंगनवाड़ी में रेडी टू ईट की आपूर्ति कराई गई थी। संबंधित क्षेत्र में यह मात्रा का उपयोग करने के बजाय इसे मनमाने तरीके से कोरबा भेज दिया गया। एक गाड़ी में 108 बोरियों में यह सामान भेजा जा रहा था, जिस पर पुलिस की नजर पड़ी और उसे रुकवाने के साथ-साथ जप्त कर लिया गया।
छत्तीसगढ़ एग्रो को पुलिस ने लिखा पत्र
आईसीडीएस के डीपीओ एमडी नायक से इस बारे में हमारे "हरिभूमि डॉट कॉम " के सहयोगी चैनल INH24×7 NEWS ने इस बारे में रामपुर थाना प्रभारी से बातचीत की और मामले को जानना चाहा, तो उन्होंने बताया कि मौजूदा व्यवस्था में सामानों की आपूर्ति की जिम्मेदारी छत्तीसगढ़ एग्रो को दी गई है। वे ही इस काम को कर रहे हैं। यह सब आखिर हुआ कैसे ? इस बारे में वाहन चालक को तलब किया गया है। उन्होंने ने कहा कि इस तरह की घटनाओं के रोकथाम के लिए फौरी तौर पर हमने छत्तीसगढ़ एग्रो को पत्र लिखा है। इस पत्र में यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि सामान भेजने की सूचना हमारे विभाग को उपलब्ध कराई जाए।
सिस्टम सुधरेगा कब ?
सरकार के द्वारा विभिन्न वर्गों का हित संवर्धन करने के लिए कई प्रकार की योजनाएं चलाई जा रही है। इन योजनाओं के पीछे प्रतिवर्ष करोड़ों की राशि खर्च की जाती है। बहुत सारे मामलों में अंधेर गर्दी करने की शिकायतें सामने आती रही हैं। इसके पीछे सिस्टम से जुड़ी खामियों को जिम्मेदार ठहराया जाता रहा है। सवाल इस बात का है कि यह सिस्टम सुधरेगा कब ?
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