ग्रामीणों ने पुलिस पर मारपीट का लगाया आरोप: नक्सलियों ने वाहनों को किया था आग के हवाले, सरपंच ने कहा- ग्रामीण बेकसूर है...

ग्रामीणों ने पुलिस पर मारपीट का लगाया आरोप: नक्सलियों ने वाहनों को किया था आग के हवाले, सरपंच ने कहा- ग्रामीण बेकसूर है...
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पुलिस और नक्सलियों की लड़ाई में ग्रामीणों की परेशानी बढ़ती जा रही है। नक्सलियों ने वाहनों को किया था आग के हवाले। जिसके बाद पुलिस 9 ग्रामीणों को थाने लेकर आ गई है।...पढ़े पूरी खबर

लीलाधर राठी/सुकमा। छत्तीसगढ़ के सुकमा में नक्सलियों ने सड़क निर्माण में लगी तीन वाहनों को आग के हवाले कर दिया था। जिसका खामियाजा गांव के ग्रामीणों को उठाना पड़ रहा है। इस मामले को लेकर पुलिस और नक्सलियों की लड़ाई में ग्रामीणों की परेशानी बढ़ती जा रही है। पिछले दिनों फलबगड़ी मे नक्सलियों द्वारा तीन वाहनों में आग लगाने के बाद पुलिस का गुस्सा ग्रामीणों पर उतर गया और गांव से ही 9 ग्रामीणों को दो दिनों से थाने में रखा हुआ है। इस बात की शिकायत परिजनों और गांव के सरपंच ने की है।

ग्रामीणों ने रिहाई की लगाई गुहार...

सुकमा जिला मुख्यालय से महज 24 किलोमीटर की दूरी पर स्थित फुलबगड़ी थाने का ग्रामीणों ने घेराव किया है। इतना ही नहीं ग्रामीणों समेत बोड़को सरपंच मुया कुरामी ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि जिन 9 लोगों को कस्टडी में रखा गया है वे बेगुनाह है। इसके अलावा थाने में बैठे ग्रामीणों दो दिनों से अपनी रिहाई की गुहार लगा रहे है।

पूछताछ के बहाने लाया गया थाने...

एक तरफ नक्सलियों ने सड़क निर्माण में इस्तेमाल होने वाली गाड़ियों को आग लगा दी, वहीं दूसरी तरफ पुलिस 9 ग्रामीणों को पुछताछ के बहाने थाने लेकर आई थी। लेकिन सोमवार 11 बजे से लेकर मंगलवार शाम तक ग्रमीणों को रिहा नही किया गया था। वहीं ग्रामीणों ने बताया कि, आगजनी नक्सली करके गये है। लेकिन परेशान हमे किया जा रहा है।

ग्रामीणों ने पुलिस पर मारपीट का लगाया आरोप...

आपको बता दें, 100 से अधिक ग्रामीणों ने बताया कि, सोमवार 11 बजे से गावं के 9 ग्रामीणों को पुलिस पुछताछ के बहाने उठा कर ले गई है। उसके बाद से थाने मे बुरी तरह से पिटाई की जा रही है। वहीं बोड़को सरपंच कुरामी मुया ने बताया कि, थाने के अंदर 9 ग्रामीणों से मिलने पर पता चला कि दो ग्रामीणों को बुरी तरह से पीटा गया है। सरपंच ने बताया कि इस पूरे मामले में ग्रामीणों का दूर-दूर तक वास्ता नही है। पुलिस के द्वारा भी जल्द रिहा करने की बात कही जा रही है। लेकिन ये सिर्फ आश्वासन दिया जा रहा है।


जब भी कोई घटना होती है पुलिस ग्रामीणों को उठा ले जाती है- ग्रामीण

ग्रामीणों का साफ तौर पर कहना है कि जब भी गांव में नक्सली घटना होती है। तब पुलिस ग्रामीणों को थाने ले जाती है। ग्रामीणों की स्थिति दो पाटों मे पिसने जैसी हो गई है। पुलिस को समझना चाहिए कि क्या नक्सली आगजनी ग्रामीणों से पुछ कर करते है। बेगुनाह ग्रामीणों के साथ मारपीट निंदनीय बात है। इसी तरह से ग्रामीणों को उठा कर पीटना शुरू कर देंगे तो ग्रामीणों के बीच विश्वास कैसे कायम हो पायेगा।

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