कोल माइंस के खिलाफ ग्रामीण हुए उग्र : परसा कोल माइंस को मंजूरी पर बवाल, तीन गांवों के ग्रामीणों ने अस्थाई पोस्ट, जनरेटर फूंक दी

कोल माइंस के खिलाफ ग्रामीण हुए उग्र : परसा कोल माइंस को मंजूरी पर बवाल, तीन गांवों के ग्रामीणों ने अस्थाई पोस्ट, जनरेटर फूंक दी
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पारंपरिक हथियार तीर-धनुष, टंगिया-फरसा से लैस होकर करीब एक हजार ग्रामीणों ने रैली निकाली। इसके बाद 2 किमी पैदल चलते हुए खदान स्थल के पास बनाई गई अस्थाई पोस्ट तक पहुंच गए। हाथों में पेट्रोल से भरी बोतलें लिए ग्रामीण वहां पहुंचकर खदान वापस लो के नारे लगाने लगे और पोस्ट में आग लगा दी। इससे माइंस कर्मियों का कैंप और वहां रखा जनरेटर जलकर खाक हो गया। पढ़िए पूरी खबर...

अंबिकापुर। हाल ही में राज्य सरकार द्वारा राजस्थान को कोयला देने के लिए स्वीकृत अंबिकापुर जिले की परसा कोल खदान का विरोध उग्र हो गया है। आस-पास के तीन गांवों के लोग हथियारों से लैस होकर पहुंचे और जमकर उत्पात मचाया। ग्रामीणों ने अस्थाई पोस्ट व जनरेटर को आग लगा दी। सूचना मिलने पर प्रशासन और पुलिस के अफसर कई थानों की फोर्स के साथ मौके पर पहुंच गए। माहौल तनावपूर्ण हो गया है।

घटनास्थल से मिली जानकारी के मुताबिक, पारंपरिक हथियार तीर-धनुष, टंगिया-फरसा से लैस होकर करीब एक हजार ग्रामीणों ने रैली निकाली। इसके बाद 2 किमी पैदल चलते हुए खदान स्थल के पास बनाई गई अस्थाई पोस्ट तक पहुंच गए। हाथों में पेट्रोल से भरी बोतलें लिए ग्रामीण वहां पहुंचकर खदान वापस लो के नारे लगाने लगे और पोस्ट में आग लगा दी। इससे माइंस कर्मियों का कैंप और वहां रखा जनरेटर जलकर खाक हो गया।

पता चला है कि उदयपुर क्षेत्र के हरिहरपुर, फतेहपुर और साल्ही ग्राम पंचायत के लोग खदान खोलने का साल 2019 से विरोध कर रहे हैं। प्रधानमंत्री से लेकर राष्ट्रपति और मुख्यमंत्री तक को ग्रामीण पत्र लिख चुके हैं। यहां के ग्रामीण 300 किलोमीटर पैदल चलकर राज्यपाल से मिलने राज्य की राजधानी रायपुर भी गए थे, लेकिन इसके बाद भी सुनवाई नहीं हुई। इस पर 2 मार्च से साल्ही गांव में प्रदर्शन कर रहे थे। इसी बीच कोल माइंस को अनुमति मिल गई। जिसके बाद हाल ही में वहां खनन के लिए कैंप लगाया गया है।

परसा ईस्ट माइंस में काम चालू है

परसा के पास पहले से ईस्ट बासेन कोल माइंस चल रही है। इसके लिए 640 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण कर लिया गया है। यहां 2028 तक खनन करना था, लेकिन उससे पहले ही खनन कर लिया गया और इस खदान के सेकंड फेज के लिए अनुमति मिल गई है। यहां घाटबर्रा गांव में आधे लोग खदान के पक्ष में तो आधे विरोध में हैं।

30 साल तक चलेगी खुदाई

राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादक निगम लिमिटेड के लिए अडानी की कंपनी माइनिंग करेगी और इसके लिए यहां की 12 सौ हेक्टेयर जमीन खदान में जा रही है। इसमें 841 हेक्टेयर जंगल साफ हो जाएगा। वहीं चार गांव के 1 हजार लोग यानी 250 परिवार विस्थापित हो जाएंगे। वहीं 30 सालों तक प्रति वर्ष यहां से पांच मिलियन टन कोयला निकालने की तैयारी है।

80 फीसदी ग्रामीणों ने मुआवजा ठुकराया

परसा कोल ब्लॉक से चार ग्राम पंचायतें हरिहरपुर, फतेहपुर, साल्ही और जनार्दनपुर गांव प्रभावित हो रहे हैं। इनमें से हरिहरपुर और फतेहपुर पूरी तरह तो साल्ही का एक मोहल्ला और जनार्दनपुर के दो-तीन किसानों की जमीन जा रही है। इसमें से 80 प्रतिशत किसानों ने जमीन का मुआवजा लेने से इंकार कर दिया है। वहीं 20 प्रतिशत लोगों ने मुआवजा प्राप्त कर लिया है।




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