ग्रामीणों ने कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन: कलेक्टर के जनदर्शन में सुनाई आपबीती, बोले- अपनी जान दे देंगे, लेकिन एसईसीएल की मनमानी नहीं सहेंगे

ग्रामीणों ने कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन: कलेक्टर के जनदर्शन में सुनाई आपबीती, बोले- अपनी जान दे देंगे, लेकिन एसईसीएल की मनमानी नहीं सहेंगे
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प्रबंधन ने गांव की जमीन वर्ष 2008-09 में ही अधिग्रहित कर ली थी। तब प्रबंधन को उतनी जमीन की आवश्यकता नहीं थी, लेकिन अब उत्पादन बढ़ाने का दबाव होने के कारण उन्हें हर हाल में जमीन चाहिए। इसकी वजह से प्रबंधन गांव के आसपास ही कर रहा है, जिससे ग्रामीण दहशत में हैं। पढ़िए पूरी खबर...

कोरबा। एसईसीएल की कुसमुंडा खदान से प्रभावित ग्राम पाली पड़निया के ग्रामीणों का जीना मुश्किल हो गया है। प्रबंधन ने पहले ही गांव का अधिग्रहण कर लिया है, लेकिन नौकरी और मुआवजे को लेकर ग्रामीणों के साथ बात नहीं बन पाई जिसके वजह से प्रबंधन गांव के नजदीक ही ब्लास्टिंग कर रहा है। जिससे लोगों के घर प्रभावित हो रहे हैं। धमाकों से उड़ने वाले पत्थर के कारण लोग घायल भी हो रहे हैं। इसी वजह से परेशान ग्रामीण अपनी समस्या लेकर कलेक्टर के पास पहुंचे।

मिली जानकारी के अनुसार अब प्रबंधन अपनी मनमानी पर उतारू हो गया है। ग्रामीण मुआवजे और नौकरी को लेकर असहमत हैं फिर भी प्रबंधन उन्हें उनकी जमीन से बेदखल करने की तैयारी में लगा हुआ है। गांव के आस-पास हैवी ब्लास्टिंग कर रहा है, जिससे ग्रामीण दहशत में हैं। वहीं, कलेक्टर जनदर्शन में ग्राम पाली पड़निया के ग्रामीण पहुंचे, जहां उन्होंने मीडिया को अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा कि, प्रबंधन ने उनकी जमीन वर्ष 2008-09 में ही अधिग्रहित कर ली थी। उस समय प्रबंधन को उतनी जमीन की आवश्यकता नहीं थी, लेकिन अब उत्पादन बढ़ाने का दबाव होने के कारण उन्हें हर हाल में जमीन चाहिए। यही वजह है,कि वे पुराने दर पर मुआवजा का भुगतान और अपनी शर्तों पर नौकरी देना चाहता है, जो ग्रामीणों को मंजूर नहीं है।

एसईसीएल के खिलाफ की अपनी आवाज बुलंद

ग्रामीणों ने स्पष्ट रुप से कह दिया है कि, भले ही वे अपनी जान दे देंगे, लेकिन एसईसीएल की मनमानी नहीं सहेंगे। प्रबंधन जब तक उनके अनुरुप मुआवजा का भुगतान व नौकरी नहीं देता, तब तक वे अपनी जमीन छोड़कर नहीं जाएंगे। फिर इसके लिए चाहे प्रबंधन जो भी कदम उठाए। इस मामले को लेकर पाली पड़नियों के ग्रामीण कलेक्टर के पास पहुंचे। कलेक्टर को अपनी आपबीती सुनाई और एसईसीएल के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की। प्रबंधन की मनमानी के खिलाफ कार्यवाही की अपील की।

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