ये राह नहीं आसां : देशभर के गांव जुड़े पीएम सड़क से, अभागा रह गया डोगरीपारा- इस पर वाहन चलना तो दूर पैदल चलना भी दूभर

फिरोज खान/भानुप्रतापपुर। सरकारें भले ही यह दावा करें कि ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों का जाल बिछ चुका है और हर गांव पक्की सड़क से जुड़ चुका है, परन्तु हकीकत इससे उलट है, अभी भी क्षेत्र में ऐसे सैकड़ों गांव हैं जो मुख्यालयों से केवल पगडंडियों या घटिया सड़कों से ही जुड़ पाए हैं।
इसका उदाहरण है ग्राम डोंगरीपारा। ग्राम पंचायत घोठा के आश्रित ग्राम डोगरीपारा जाने वाला मार्ग इस कदर खस्ताहाल है कि यहां पर किसी चारपहिया, दोपहिया वाहन का चल पाना असंभव है, यहां तक कि सायकिल से भी इस मार्ग पर चल पाना नाको चने चबाने के जैसा है। हां यहां से पैदल आया जाया जा सकता है, परन्तु शर्त यही है कि आप को सड़क से नहीं अपितु सड़क के किनारे किनारे चलना होगा। ग्रामीण नागेश कोमरे जगदीश कोरेटी, प्यारे लाल, शत्रुघ्न कावड़े, धरम कावड़े ने बताया डोगरीपारा के लोगो को मुख्य मार्ग तक आने जाने के लिए एकमात्र सड़क यही है, वो भी कीचड़ में तब्दील हो गई है, जिससे आवागमन में काफी दिक्कतों का सामना करना पडता है। हल्की बारिश होने पर इस डोगरीपारा के लोग राशन दुकान तक नहीं जा पाते हैं। इसके अलावा ब्लाक मुख्यालय, तहसील कार्यकाल भानुप्रतापपुर या अन्य स्थानों पर जरूरी काम से जाना होता है, पर खराब सड़क की वजह से कहीं आ जा नहीं पाते हैं।
स्कूली बच्चे सबसे ज्यादा परेशान
सड़क की वजह से आश्रित ग्राम डोंगरीपारा के स्कूली बच्चों को बेहद परेशानी हो रही है। डोंगरीपारा में कोई स्कूल नहीं होने के कारण सारे बच्चों को अध्ययन के लिए घोठा के स्कूलों में आना पड़ता है। ग्राम घोठा में हाईस्कूल तक शिक्षा की व्यवस्था है। यहां बारहवीं तक शासकीय स्कूल की सुविधा है। ऐसे में डोंगरीपारा के सारे बच्चों को तीन किलोमीटर की इस खराब सड़क के सहारे आना जाना पड़ता है।
डोंगरीपारा लगभग 20 घरों की छोटी बस्ती है, परन्तु फिर भी आकलन करें तो एक परिवार में दो बच्चों के हिसाब से लगभग 40 बच्चे शिक्षा पाने के लिए रोजाना इतनी तकलीफ झेलते हैं, वहीं ग्रामीण भी अपनी जरूरतों के लिए इस खस्ताहाल सड़क का सहारा लेने को मजबूर हैं। ग्रामीणों के अनुसार पहले यह पगडंडी थी, जिसे ग्राम पंचायत द्वारा मिट्टी वाली कच्ची सड़क बनाया गया, पिछले वर्ष ग्राम पंचायत ने यहां मुरमीकरण किया गया है, पर सड़क सुधरने की बजाय और अधिक कष्टप्रद हो गई है। ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन से मांग की है कि इस सड़क को प्रधानमंत्री सड़क योजना के तहत पक्की बना कर ग्रामीणों को राहत प्रदान करें।
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