6 साल से ट्राइसिकल का इंतजार : अफसरों के पास चक्कर काट रही महिला, कलेक्टर के जनदर्शन में भी मिली निराशा

रविकान्त सिंह राजपूत/मनेंद्रगढ़। छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले में पूर्ण रूप से दिव्यांग और फेफड़े की गंभीर बीमारी से ग्रसित एक महिला पिछले 6 साल से बैटरी चलित ट्राइसिकल के लिए चक्कर काट रही है। दिव्यांग महिला कई बार दिव्यांग शिविरों में गई और ट्राइसिकल की मांग की लेकिन अब तक उसे नहीं मिली। अब वह एमसीबी कलेक्टर के जनदर्शन में भी ट्राइसिकल के लिए आवेदन लेकर पहुंची थी, लेकिन यहां भी उसे निराशा हाथ लगी। ऐसा लगता है कि अब प्रदेश के मुख्यमंत्री को स्वयं दिव्यांग महिला की सुध लेनी पड़ेगी, क्योंकि जिले के अफसर मानवीय संवेदनाओं को पूरी तरह से भूल चुके हैं। पूरी तरह से दिव्यांग होने और फेफड़े की बीमारी से ग्रसित होने की वजह से लकड़ी का सहारा लेकर चल रही मनेंद्रगढ़ में वार्ड क्र. 14 निवासी कोलकी मोहल्ला खेड़िया टॉकीज के समीप रहने वाली 34 वर्षीय दिव्यांग महिला मीना यादव पिता धनीराम यादव पिछले 6 सालों से बैटरी चलित ट्राइसिकल के लिए अफसरों के पास चक्कर काट रही है। लेकिन, उसे ट्राइसिकल इसलिए प्राप्त नहीं हो पा रही है, क्योंकि उसके पास 70 प्रतिशत का ही दिव्यांगता प्रमाण पत्र प्राप्त है।
फेफड़े की गंभीर बीमारी से भी ग्रसित
अफसरों का कहना है कि बैटरी चलित ट्राइसिकल के लिए 80 फीसदी दिव्यांग होना जरूरी है। एमसीबी कलेक्टर के जनदर्शन में संबंधित दिव्यांग महिला ने आवेदन सौंपकर ट्राइसिकल और जिंदगी की गाड़ी चलाने के लिए छोटे-मोटे कारोबार के लिए सहायता राशि देने की मांग की। उसने कहा कि वह बचपन से दिव्यांग है। लकड़ी के सहारे किसी प्रकार चलती है। फेफड़े की गंभीर बीमारी से ग्रसित होने पर वह हमेशा बीमार रहती है। उसके पिता मजदूरी करते हैं। वहीं माँ दूसरों के घरों में चौका-बर्तन कर रही है, जिससे किसी प्रकार उसका इलाज और घर चल रहा है। उसने कलेक्टर से मांग की कि यदि उसे बैटरी वाली ट्राइसिकल और दुकान के लिए सहायता मिल जाए तो वह कपड़े या मनिहारी आदि का काम कर अपना और माता-पिता की सहायता कर सकती है। देखिए वीडियो-
दिव्यांगता प्रमाण पत्र देख लौटा देते हैं अफसर
कलेक्टोरेट में उपस्थित दिव्यांग महिला मीना ने बताया कि, समय-समय पर आयोजित होने वाले दिव्यांग शिविर में उपस्थित होकर वह बैटरी चलित ट्राइसिकल की मांग की, लेकिन शिविर में उपस्थित अफसर उसके पास मौजूद दिव्यांगता प्रमाण पत्र को देखकर यह कहकर उसे लौटा देते हैं कि उसकी दिव्यांगता मात्र 70 प्रतिशत है। 80 फीसद से अधिक दिव्यांग होने पर ही उसे बैटरी से चलने वाली ट्राइसिकल उपलब्ध कराई जाएगी। कलेक्टर जनदर्शन में भी दिव्यांग महिला को निराशा हाथ लगी। उपस्थित अधिकारियों ने उसे जिला चिकित्सालय बैकुंठपुर में प्रमाण पत्र में संशोधन की सलाह देकर उसे लौटा दिया।
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