देखिए वीडियो- ये टीचर है या फटीचर : नशे में टुन्न इस मास्साहब ने मीडिया के सामने ही ये क्या कह दिया...!

कोरबा. नशे में टुन्न इस शिक्षक की दुस्साहस तो देखिए, बाकायदा मीडिया के सामने अपनी फजीहत कराने से भी इन्हें कोई गुरेज नहीं है. नशेड़ी टीचर ने मीडिया के सामने कहा कि मैं महुआ पीता हूँ. महुआ फूल का रस पीता हूँ. मेरे बाप के बदले मेरी नौकरी लगी है. मैं कभी-कभी स्कूल देरी से पहुँचता हूँ. मैंने मेरे बदले पढ़ाने के लिए एक लड़की को स्कूल में नियुक्त भी किया है. मैं उसे दो हजार रुपए हर महीने पगार भी देता हूँ.
कोरबा जिले के विकासखंड पोड़ी-उपरोड़ा के ग्राम बरतराई के प्राइमरी स्कूल में पदस्थ है यह दारूबाज शिक्षक, जिसका नाम है शशिकांत कंवर. इसकी करतूत देख आप भी हैरान हो जाएंगे. ऐसा लगता है जैसे इस टीचर को अधिकारियों का जरा सा भी ख़ौफ़ नहीं है. शशिकांत एक ही बार में अपने बारे में सब कुछ बिना किसी भय के बता देता है, कि उसे अपने पिता के बदले नौकरी मिली, वह कौन सा दारू पीता है और उसने अपनी जगह स्कूल में अलग से महिला टीचर रखा हुआ है, जिसे वह हर महीने पैसे भी देता है.
अक्सर जब भी मीडिया में इस तरह शराबी या अनुशासनहीन शिक्षकों की खबरें आती हैं, तब सबसे पहले उन्हें निलंबित किया जाता है. ऐसा नहीं है कि इस तरह के शिक्षकों की जानकारी इलाके के शिक्षा अधिकारी को पहले से नहीं होगी. इस मामले में भी ऐसा ही कुछ हुआ. जब इस संबंध में हमारे संवाददाता ने पोड़ी-उपरोड़ा के BEO एल एस जोगी से पूछा, तब उन्होंने सवाल पूछते ही कहा कि शिक्षक के निलंबन का प्रस्ताव भेजा जा चुका है. संभवतः आज ही निलंबन का आदेश पहुँच जायेगा. मगर जब उनसे पूछा गया कि क्या आपको इस शिक्षक के बारे में पहले पता नहीं था. आपको पहले कार्रवाई करनी चाहिए थी. इस सवाल के जवाब में BEO जोगी ने कहा कि पता था, मैंने एक बार पहले भी उसे कार्रवाई की चेतावनी देकर छोड़ दिया था.
BEO एल एस जोगी स्वीकार करते हुए कहते हैं कि उनके विकासखंड में एक-दो और शिक्षक ऐसे ही नशेड़ी हैं. BEO की बातों से उनकी लाचारगी झलक रही थी. साफ़ है कि दूर-दराज के इलाकों में अक्सर ऐसे ही कई शिक्षक नशे में स्कूल पहुँचते हैं और अगर उनके ऊपर भी कार्रवाई कर दी जाये तो स्कूल में पढ़ाने वाला कोई शिक्षक ही नहीं रह जायेगा. आदिवासी बाहुल्य कोरबा जिला ही नहीं बल्कि प्रदेश के दर्जनों ऐसे जिले हैं, जहां के वनांचल के स्कूलों की हालत ऐसे ही नशेड़ी शिक्षकों के चलते ख़राब है. इलाके में इनकी मॉनिटरिंग के लिए संकुल शिक्षक और फिर खंड शिक्षा अधिकारी भी होते हैं जिनका दबाव भी कोई काम नहीं आता. यही वजह है कि अक्सर ऐसे शराबी शिक्षक मीडिया में सुर्खियां बन जाते हैं.
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