पानी की किल्लत : इंद्रावती के जल पर चल रही 58 बरस से लड़ाई ... नहीं मिला हिस्से का पानी, चार जिलों में मुसीबत

पानी की किल्लत : इंद्रावती के जल पर चल रही 58 बरस से लड़ाई ... नहीं मिला हिस्से का पानी, चार जिलों में मुसीबत
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इन्द्रावती नदी के पानी से बस्तर संभाग के चार जिलों की प्यास बुझती है। जल बंटवारे पर हाईलेवल मीटिंग के बाद पिछले सिंचाई विभाग के अफसरों ने जोरानाला स्ट्रक्चर इलाके का निरीक्षण किया, यहां पता चला कि ओडिशा में अब भी छग के हिस्से का पानी रुक रहा है। पढ़िए पूरी खबर ...

अनिल सामन्त - जगदलपुर। इन्द्रावती नदी का पानी जब से जोरानाला में समाहित हो रही है, छत्तीसगढ़ सरकार चाहे लाख प्रयास करें, इस मसले का स्थायी हल निकालने का नाम ही नहीं ले रहा है। समस्या इसलिए भी गहरी होती जा रही है, क्योंकि इन्द्रावती नदी के पानी से बस्तर संभाग के चार जिलों की प्यास बुझती है। जल बंटवारे पर हाईलेवल मीटिंग के बाद पिछले सिंचाई विभाग के अफसरों ने जोरानाला स्ट्रक्चर इलाके का निरीक्षण किया, यहां पता चला कि ओडिशा में अब भी छग के हिस्से का पानी रुक रहा है। गौरतलब है, इन्द्रावती नदी ओडिशा के कालाहांडी के थुआमल रामपुर क्षेत्र से निकलती है।

ओडिशा में अब भी रुक रहा छत्तीसगढ़ का हिस्से का पानी

बस्तर की सीमा भेजापदर तक लगभग 139 किमी. बहकर दंतेवाड़ा -बीजापुर जिले के भद्रकाली 264 किमी बहती हुई गोदावरी में समाती है। बस्तर में इन्द्रावती नदी का पानी 1975 में एकाएक उसकी सहायक नाला जोरा में समाहित होने लगी। इसके चलते बस्तर में जल समस्या उत्पन्न हुई। उस कालखंड से लेकर इन 58 वर्ष में भी छग ओर ओडिशा सरकार के बीच कई दौर की बैठक के बाद भी जल बंटवारा समस्या का स्थायी समाधान नहीं हो पाया। बस्तर में इन्द्रावती नदी से बस्तर की ओर पानी समाहित कम होने की गम्भीर समस्या उत्पन्न होने लगी। 24 दिसम्बर 2003 को दोनों राज्यों के प्रमुख अभियंताओं की बैठक में निर्णय लिया गया कि इन्द्रावती जोरा संगम के मुहाने पर बराबर मात्रा में पानी के बंटवारे के लिए एक पक्का स्टेक्टर निर्माण किया जाए।

अस्थाई रोड भी बनी बांधा

इन्द्रावती नदी में जोरानाला हाईड्रोलिक कन्ट्रोल स्ट्रक्चर वियर बनाते समय टेमोरी बण्ड बनाया गया था। उसे भी नहीं हटाया गया है। इन्द्रावती नदी में बने हाईड्रोलिक कन्ट्रोल स्ट्रक्चर के अपस्ट्रीम में अस्थाई अप्रोच रोड बनाया गया था, जिससे पानी अवरुद्ध हो कर अप्रोच दंड के कटिंग पोर्सन से होते हुए घूमकर पानी इन्द्रावती की तरफ आ रहा था, जिसके मुहाने में बोरी बंधान किया गया है। जिससे इन्द्रावती नदी जगदलपुर की ओर के चैनल में सीधी पानी आ रहा है। किन्तु अस्थाई रोड बनाया गया था। उसमें अवरुद्ध हो रहा है। उक्त अस्थाई रोड हटाने से इन्द्रावती नदी की ओर जल प्रवाह में वृद्धि होगी।

अफसरों ने फिर किया स्ट्रक्चर का निरीक्षण

इंद्रावती नदी एवं जोरानाला पर हाइड्रोलिक कंट्रोल स्ट्रक्चर का निरीक्षण गत दिनों जल संसाधन विभाग उपसंभाग क्रमांक 2 के एसडीओ धर्मेन्द्र मेश्राम एवं उप अभियंता टीआर नाग ने किया था। निरीक्षण में यह खुलासा हुआ कि, इन्द्रावती जोरानाला हाईड्रोलिक कन्ट्रोल स्ट्रक्चर के इन्द्रावती नदी की ओर जल का प्रवाह लगभग 3.37 क्यूमेक, अर्थात 41.05 प्रतिशत है। वहीं इन्द्रावती हाईड्रोलिक कन्ट्रोल स्ट्रक्चर के जोरानाला की ओर जल का प्रवाह लगभग 484 क्यूमेक अर्थात 58.95 प्रतिशत है। कंट्रोल स्ट्रैक्टर के निरीक्षण की पुष्टि एसडीओ मेश्राम ने की है।

बण्ड से रोका जा रहा जल प्रवाह

यह अस्थायी रोड बोल्डर पत्थर से बनाई गई थी, जो एक प्रकार से बंड के चलते पानी बस्तर की ओर समाहित नहीं हो है। इस खंड के अपस्ट्रीम में नदी की गहराई लगभग 1 मीटर है। इस खंड के हट जाने से 1 मीटर की गहराई में इन्द्रावती की ओर जल प्रवाह हो सकेगी।

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