भोरमदेव, बारनवापारा, गोमर्डा अभयारण्य का संचालन वाइल्ड लाइफ, बायोस्फीयर करेगा

भोरमदेव, बारनवापारा, गोमर्डा अभयारण्य का संचालन वाइल्ड लाइफ, बायोस्फीयर करेगा
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पूरे देश में 18 बायोस्फीयर रिजर्व हैं। उनमें से छत्तीसगढ़ तथा मध्यप्रदेश को मिलाकर अचानकमार - अमरकंटक बायोस्फीयर रिजर्व है। अब इसमें गोमर्डा के शामिल होने के बाद गोमर्डा अभयारण्य को एक अलग पहचान मिलेगी। पढ़िए पूरी खबर...

रायपुर। राज्य में जैव विविधता ( Biodiversity)को बढ़ावा देने तथा वन्यजीवों (wildlife) की संख्या बढ़ाने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार के वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग (Forest and Climate Change Department) ने एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए भोमरदेव, (Baranwapara)बारनवापारा (Baranwapara) तथा गोमर्डा (Gomarda) को प्रशासकीय नियंत्रण से मुक्त करते हुए सीसीएफ वाइल्ड लाइफ यूएसटीआर के अधीन करते हुए इन तीनों अभयारण्य के संचालन की जिम्मेदारी जंगल सफारी डायरेक्टर को दी गई है। इसके साथ ही रायगढ़ वनमंडल के अधीन गोमर्डा अभयरण्य का संचालन अब अचानकमार - अमरकंटक बायोस्फीयर बिलासपुर करेगा ।

गौरतलब है, राज्य का 44 प्रतिशत भू-भाग वनक्षेत्र है। राज्य का 44 प्रतिशत भू-भाग वनक्षेत्र होने के बावजूद यहां के वनों से वन्यजीव गायब होते जा रहे हैं। साथ ही वनों में कब्जा होता जा रहा है। अभयारण्य केवल नाम के संरक्षित क्षेत्र रह गए हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए वनमन्त्री मोहम्मद अकबर के निर्देश पर वन एवं जलवायु परिवर्तन विभग ने वनक्षेत्रों में वन्यजीवों की संख्या बढ़ाने के साथ ही जैव विविधता का संरक्षण, संवर्धन करने बारनवापारा, भोरमदेव के संचालन की जिम्मेदारी जंगल सफारी डायरेक्टर को दी गई है।

बायोस्फीयर में जुड़ने से अलग पहचान बनेगी

उल्लखनीय है कि, जैवमंडल रिजर्व को संयुक्त राष्ट्र ने बायोस्फीयर के रूप में अंतर्राष्ट्रीय नाम दिया है। पूरे देश में 18 बायोस्फीयर रिजर्व हैं। उनमें से छत्तीसगढ़ तथा मध्यप्रदेश को मिलाकर अचानकमार - अमरकंटक बायोस्फीयर रिजर्व है। अब इसमें गोमर्डा के शामिल होने के बाद गोमर्डा अभयारण्य को एक अलग पहचान मिलेगी। बायोस्फीयर रिजर्व होने के बाद गोमर्डा के जिन इलाकों में बेजा कब्जा किया गया है, उसे कब्जा मुक्त कराया जाएगा।

पर्यटकों को आकर्षित करने बनेंगी योजनाएं

तीनों वन क्षेत्रों के प्रशासकीय नियंत्रण से मुक्त होने के बाद यहां पर्यटकों को आकर्षित करने तथा वनों को संवारने के लिए योजनाएं बनाने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही जैव विविधता के संरक्षण, संवर्धन के लिए राज्य सरकार अलग से बजट जारी करेगी। गौरतलब है, राज्य में वर्तमान में 11 अभयारण्य हैं, इनमें से तीन अभयारण्य में नया प्रयोग किया जा रहा है।

तीन वर्ग में विभाजित कर करेंगे विकास

अन्य वनक्षेत्रों की तरह ही इन वनक्षेत्रों में तीन वर्गों में कोर, बफर तथा सामान्य वन क्षेत्र के रूप में बांटकर विकास करेंगे। कोर एरिया संरक्षित वनक्षेत्र रहेगा, वहां बगैर अनुमति आवाजाही पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेगी। इसके साथ ही बफर क्षेत्र का प्रयोग ऐसे कार्यों के लिए किया जाएगा, जो पूर्णतया नियंत्रित व गैर - विध्वंशक हो। यहां अनुसंधान करने की अनुमति रहेगी। साथ ही सामन्य क्षेत्र जंगल तथा आबादी क्षेत्र का बाहरी हिस्सा रहेगा।

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