चीन से जुड़े है खाल तस्करी के तार : छत्तीसगढ़ ही नही, सात समुंदर पार तक फैला है जाल

चीन से जुड़े है खाल तस्करी के तार : छत्तीसगढ़ ही नही, सात समुंदर पार तक फैला है जाल
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छत्तीसगढ़ में जानवरों को मारकर उनकी खाल और दूसरे अंगों की तस्करी महाराष्ट्र के जरिए चीन तक होने की आशंका है। अफसरों का कहना है कि ऐसी जानकारी सामने आ रही है कि खाल की तस्करी चीन ही नहीं, कई दूसरे देशों में की जा रही है। पढ़िए पूरी खबर...

दुर्ग। तेंदुआ, भालू और हिरण जैसे वन्य प्राणियों की खाल तस्करी में जैसे- जैसे जांच आगे बढ़ रही है। वैसे-वैसे नए तथ्य सामने आ रहे हैं। छत्तीसगढ़ में जानवरों को मारकर उनकी खाल और दूसरे अंगों की तस्करी महाराष्ट्र के जरिए चीन तक होने की आशंका है। अफसरों का कहना है कि ऐसी जानकारी सामने आ रही है कि खाल की तस्करी चीन ही नहीं, कई दूसरे देशों में की जा रही है। जांच में अभी बहुत सारे लोग सामने आएंगे। उनकी गिरफ्तारी की जाएगी। सूत्रों के अनुसार इसमें जानवरों को मारने और खाल का इंतजाम करने के लिए सीधे-साधे ग्रामीणों को लालच देकर मोहरा बनाया जा रहा है।

वन विभाग के उडनदस्ता द्वारा किए जा रहे आपरेशन में अंतरराष्ट्रीय तस्करी के गोरखधंधा का सनसनीखेज खुलासा हुआ है। विगत दिनों दुर्ग की उड़नदस्ता टीम ने डोंगरगढ़ के मोहारा थाना के घोटिया गांव में पकडे तीन आरोपियों से व्यापक पैमाने पर तेंदुआ, भालू की खाल, हिरण का सिर और कछुआ बरामद किया था। इसमें एक आरोपी राजनांदगांव का ही है। इन तीनों आरोपियों से पूछताछ के बाद यह भी पता चला है कि, तस्करी के लिए कॉरीडोर बन गया है। यह चैनल गोंदिया, नागपुर के रास्ते विदेशों तक फैला हुआ है। बकायदा इस तस्करी को अंजाम देने तीन चरण में काम हो रहा है।

गांव-गांव में तस्करी का जाल बिछाया, सैकड़ों जानवरों को मारकर अंग निकाले

पहला जानवरों को मारकर खाल का इंतजाम करना है। फिर इसे मीडिएटर (दलाल) के जरिए खरीदार तक पहुंचाना। विभाग की अब तक जांच में यह बात सामने आई है, कि यह गिरोह सिर्फ छत्तीसगढ़ ही नही बल्कि विदेश के सात समुंदर पार भी फैली हुई है। जांच में वन विभाग ने आशंका जताई है कि, खाल की तस्करी विदेश में चीन तक हो रही है और छग का केन्द्र बिन्दु राजनांदगांव बार्डर बना हुआ है। वन विभाग द्वारा डोगरगढ में पकडे गए खाल की एक तस्वीर भी वायरल की है। जिसमें दुर्ग वन विभाग के अफसरों की अहम भूमिका सामने आई है।

अंतरराष्ट्रीय गिरोह के सक्रिय होने की आशंका

वन विभाग के अफसरों का कहना हैं कि, अभी छग और महाराष्ट्र के कडी को सुलझाया गया है। लेकिन ऐसी आशंका है कि, इसमें चीन तक खाल की सप्लाई हो रही थी। जिसके चलते जांच का दायरा और बढ़ गया है। अफसरों का कहना हैं कि, इस आपरेशन में छग और महाराष्ट्र के आधा दर्जन वन विभाग के अफसर जांच कर रहे है। अब तक पूरे मामले का खुलासा नही किया जा रहा हैं। इस आपरेशन में प्रशिक्षु आईएएस लक्ष्मण तिवारी, डीएफओ शशि कुमार, सीएसपी उड़नदस्ता प्रभारी धीरेन्द्र साहु और रेंजर मोना माहेश्वरी की अहम भूमिका रही है।

पुलिस को कार्य से रखा दूर

जानकारी अनुसार वन विभाग दुर्ग की उड़नदस्ता टीम द्वारा आरोपियों को पकड़ लिया गया है। लेकिन इसे पुलिस के हवाले नही किया गया है। डोंगरगढ़ से पकडे तीन आरोपियों को बीजापुर वन विभाग पूछताछ के लिए ले गई है, क्योंकि पहले उस इलाको में भी तस्करी की घटना सामने आई है। वन विभाग द्वारा तीनों आरोपियों पर वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 की धारा 50 (1) (सी) के तहत कार्यवाही की गई थी।

राजनांदगांव बार्डर बना पनाह

वन विभाग की माने तो खाल की तस्करी पिछले लंबे समय से हो रही थी। महाराष्ट्र तक तस्करी के लिए राजनांदगांव के बार्डर का उपयोग हो रहा था। सवाल यह उठता है कि, इस तस्करी मामले पर कार्यवाही दुर्ग के उडनदस्ता ने की है। जबकि राजनांदगांव वन विभाग इस पूरे मामले पर पर्दा डाला हुआ था। यहां सांठगांठ के चलते ही तस्कर आसानी से महाराष्ट्र के गोंदिया और नागपुर तक सप्लाई कर रहे थे। तस्करी में डोगरगढ, खैरागढ, नांदगांव केन्द्र बिन्दु बताए जा रहे है।

राजनांदगांव के मिले तीनों आरोपी

डोगरगढ के थाना मोहारा के गांव घोटिया में दुर्ग उडनदस्ता ने छापामार कार्यवाही कर तेंदुए और भालू का खाल, हिरण का सिर, कछुआ और तेंदुए कानख से लेकर उन्नीस तरह के अंश बरामद किए है। जानकारी अनुसार मुलेन कुमार साहु (संदीप) पिता देवलाल साहू ग्राम मोखली राजनांदगांव का निवासी है। इसी तरह हलधर वशिष्ट आयुर्वेदिक डाक्टर और अगनू नेटी जो तेंदुए को मारा था। वही मुन और हलधर दोनों मीडिएटर का काम करते थे। इन्हें बीजापुर वन विभाग पूछताछ के लिए ले गई है।

वन्यजीव तस्कर को वन अमले ने दबोचा

कांकेर। कांकेर जिले के पूर्व वनमंडल भानुपतापपुर के वन परिक्षेत्र कापसी की टीम ने बीजापुर मामले में वन्यजीव अपराध से जुड़े पांच आरोपियों को गिरफ्तार करने में सफलता मिली है। बीजापुर वन विभाग को आरोपियों को कापसी से बीजापुर ले गई। जानकारी के अनुसार कुछ दिनों पूर्व ग्राम डोंगरगढ़ से पेंगोलिन की तस्करी के मामले में एक आरोपी की गिरफ्तारी हुई थी, जिसमें पीव्ही 31 का • आरोपी ग्राम बारदा निवासी रंजीत कुलदीप पिता अनंत कुलदीप के नाम का खुलासा हुआ था। वन विभाग को आरोपियों को कापसी से बीजापुर ले गई। जानकारी के अनुसार कुछ दिनों पूर्व ग्राम डोंगरगढ़ से पेंगोलिन की तस्करी के मामले में एक आरोपी की गिरफ्तारी हुई थी, जिसमें पीव्ही 31 का • आरोपी ग्राम बारदा निवासी रंजीत कुलदीप पिता अनंत कुलदीप के नाम का खुलासा हुआ था।

जहर देकर उतारते हैं मौत के घाट

वन विभाग के अफसरों ने बताया कि, जिस आरोपी को पकड़ा गया था, उसने तेंदुए को मारने की बात स्वीकार की है। साथ ही उसने यह भी बताया कि मारने के लिए सबसे आसान तरीके जहर देना है। वन विभाग के आपरेशन में यह भी पता चला है कि गांव में लालच देकर जानवरो को मारने उकसाया जा रहा है। वही इसे खपाने से लेकर इसे बेचने के लिए बडा दलालों का गिरोह छग और महाराष्ट्र में काम कर रहा है।

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