"हर गांव-प्रिंटरिच गांव, हर वार्ड-प्रिंटरिच वार्ड" के साथ नायकों ने जलाए रखी शिक्षा की ज्योत

रायपुर। कोरोनाकाल के दौरान स्कूली शिक्षा बहुत बुरी तरह प्रभावित हुई। ऐसी विषम परिस्थिति में छात्रों को शिक्षा से जोड़े रखना शिक्षकों के लिए एक नई चुनौती है। किन्तु स्कूल शिक्षा विभाग, शिक्षकों के साथ मिलकर बीते एक वर्ष से नए-नए विचारों और तकनीकों के माध्यम से हर चुनौती का सामना कर रहा है, और छात्रों को कोविड संक्रमण से सुरक्षित रखते हुए शिक्षा से जोड़े रखने में सफल रहा है।
वर्तमान में छत्तीसगढ़ समग्र शिक्षा अकादमी द्वारा शाला ग्राम को "हर गांव-प्रिंटरिच गांव, हर वार्ड-प्रिंटरिच वार्ड" बनाने पर जोर दिया जा रहा है, जिससे बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो। इस प्रकार यदि इच्छाशक्ति हो तो कोई कार्य कठिन नहीं होता। इस बात को सार्थक करने वाली हमारी नायिका हैं, मरवाही विकासखण्ड की शिक्षिका डीना टांडिया, जिनके द्वारा वो हर प्रयास किया जा रहा है, जो बच्चों को पढ़ाई से जोड़े रखने के लिए आवश्यक है।
शिक्षिका टांडिया ने बताया कि प्रिंटरिच वातावरण मांग करने की जानकारी मिलते ही वो इस कार्य को करने का ढृढ़ निश्चय कर तन्मयता से जुट गई। इसके लिए वो अपने साथी शिक्षिका सुचिता उंराव के साथ मिलकर शाला ग्राम में स्वयं शैक्षिक प्रिंटरिच निर्माण करने का कार्य कर रही है। उनके द्वारा ककहरा, गिनती, अंग्रेजी, गणित, समान्य ज्ञान आदि से संबंधित विषयवस्तु का लेखन कार्य किया जा रहा है। टांडिया और उनकी साथी शिक्षिका उंराव के इस कार्य से न सिर्फ छात्र बल्कि समस्त ग्रामवासी भी लाभांन्वित हो रहे है। शिक्षिका की इस पहल से गांव में शैक्षिक वातावरण निर्मित हो रहा है। इनके द्वारा बनाये गए शैक्षिक प्रिंट इतने आकर्षक एवं सुन्दर है कि राहगीर भी रूककर इनके कार्य की प्रशंसा करते है।
कोविड संक्रमण के कारण विद्यालय संचालन को स्थगित करते हुए ऑनलाईन क्लास संचालन के निर्देश पर टांडिया ने सर्वप्रथम विद्यालय का व्हॉट्अप ग्रुप बनाकर छात्रों के अभिभावकों को जोड़ने का कार्य किया। उसके बाद वेबेक्स के माध्यम से ऑनलाईन क्लास प्रारंभ की। इतना ही नहीं जिन छात्रों के अभिभवकों के पास स्मार्ट फोन नहीं थें, उन्हें अन्य छात्रों के माध्यम से ऑनलाईन क्लास में जुड़ने के लिए प्रेरित भी किया।
मोहल्ला क्लास लिए जाने की सूचना मिलते ही टांडिया ने कोविड-19 के निर्देशों का पालन करते हुए मोहल्ला क्लास लेना शुरू किया। मोहल्ला क्लास में लगभग 90 फीसदी छात्र जुड़ गए थे। इसमें छात्रों को जोड़े रखने और रूचि बनाए रखने के लिए टांडिया द्वारा सहायक शिक्षक सामग्री, खिलौना निर्माण, कहानी कथन और विभिन्न प्रकार की नवाचारी गतिविधियों का प्रयोग किया जाता रहा। टांडिया ने बुल्टू के बोल एप्प के माध्यम से छात्रों के बीच ऑडियो शैक्षणिक सामाग्रियों का वितरण भी किया।
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS