32 साल से बिना वेतन के ट्रैफिक कंट्रोल कर रहे ये बुजुर्ग, पा चुके हैं कई सम्मान

32 साल से बिना वेतन के ट्रैफिक कंट्रोल कर रहे ये बुजुर्ग, पा चुके हैं कई सम्मान
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गंगाराम की इस निष्ठा और त्याग को देखकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक कार्यक्रम में उन्हें पगड़ी पहनाकर सम्मानित किया था। इसके अलावा 15 अगस्त और 26 जनवरी को गंगाराम को बुलाकर सम्मान दिया जाता है।

बड़े शहरों में आये दिन सड़क हादसों में कई लोग मारे जाते हैं। लेकिन हम में से कई लोग अपनो को खोकर जल्द ही उस गम को भुलाकर आगे बढ़ जाते है। साहिबाबाद के रहने वाले गंगाराम की कहानी बिल्कुल अलग और दुख भरी है। उनकी कहानी बताने से पहले हम आपको उनके बारे में थोड़ा बताना चाहेंगे कि 75 वर्षीय बुजुर्ग गंगाराम हाथ में डंडा लिये दिल्ली के सीलमपुर चौक पर पिछले 32 सालों से बिना किसी वेतन के ट्रैफिक कंट्रोल के तौर पर सेवा कर रहे हैं।

गंगाराम की इस निष्ठा और त्याग को देखकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने एक कार्यक्रम में उन्हें पगड़ी पहनाकर सम्मानित किया था। इसके अलावा 15 अगस्त और 26 जनवरी को गंगाराम को बुलाकर सम्मान दिया जाता है। दरअसल, सड़क हाइसे में बेटे मुकेश की मौत के बाद सदमे से पत्नी ममता देवी की मौत ने 75 वर्षीय बुजुर्ग गंगाराम तोड़ दिया था। तब उन्होंने फैसला किया कि जो कुछ मेरे बेटे के साथ हुआ है वह किसी और के बेटे के साथ नहीं होने देंगे।

इसलिए गंगा राम बताते है कि सीलमपुर चौक से गुजरने वाले हर व्यक्ति में मुझे अपना बेटा नजर आता है। किसी और का बेटा हादसे का शिकार न हो, इसलिए मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ इस चौराहे पर मुस्तैद रहता हूं। गंगाराम ट्रैफिक कंट्रोल को एक इशारे में कंट्रोल कर देते है। यहां से गुजरने वाले ज्यादातर वाहन चालक गंगाराम को अच्छी तरह जानते हैं। उम्र के इस पड़ाव पर भी उनका हौंसला देखते बनता है। वे सुबह से रात तक यहां ट्रैफिक कंट्रोल करते हैं। ट्रैफिक पुलिस के अधिकारी भी उनका हौसला देखकर जवानों को नसीहत लेने के लिए कहते हैं।

गंगाराम बताते हैं मुझे वह दिन अच्छे से याद है जब एक बार ट्रैफिक पुलिस बड़े अधिकारियों ने चौक पर गाड़ी रोकी और उनके पास पहुंचे और गंगाराम को अपनी टॉपी पहनाकर उनको सैल्यूट किया। गंगाराम ने बताया कि तब उनको बहुत अच्छा लगा। आगे वह बताते है कि ट्रैफिक पुलिस के कर्मी उनकी मदद कर देते हैं। जिससे वह अपना खर्चा चला लेते है साथ अपने घर से खाना लाकर उनको खिला देते है। घर में बहू की सैलरी से खर्चा चल जाता है।

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