तेज तर्रार IAS अधिकारी को हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने दिया झटका, आदेश का उल्लघंन करना पड़ सकता है भारी

तेज तर्रार IAS अधिकारी को हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने दिया झटका, आदेश का उल्लघंन करना पड़ सकता है भारी
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इलाहाबाद हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी नोएडा अथॉरिटी (Noida Authority) की सीईओ और IAS अधिकारी रितु माहेश्वरी (Ritu Maheshwari) को बड़ा झटका दिया है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी नोएडा अथॉरिटी (Noida Authority) की सीईओ और IAS अधिकारी रितु माहेश्वरी (Ritu Maheshwari) को बड़ा झटका दिया है। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने जमानती वारंट के मामले में सुनवाई करते हुए आईएएस रितु माहेश्वरी को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सुनवाई के दौरान साफ कहा कि अगर आप हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं करते है तो इसके परिणाम झेलने होंगे।

बता दें कि, इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने अवमानना के मामले में पेश न होने पर रितु माहेश्वरी के खिलाफ गैर जमानती वारंट (Non Bailable Warrant) जारी किया गया था। इस मामले में राहत पाने के लिए आईएएस रितु माहेश्वरी (IAS Ritu Maheshwari) के वकील ने सु्प्रीम कोर्ट (Supreme Court) में एक याचिका दायर की थी। जिसपर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर आप हाईकोर्ट के आदेश का पालन नहीं करते तो इसका खामियाजा आपको भुगतना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि IAS अधिकारी होते हुए आपको नियम की जानकारी है, उसके बाद भी नियमों का पालन नहीं किया गया।

सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि इलाहाबाद High Court के आदेशों का उल्लंघन कर आए दिन एक अधिकारी (Officer) कोर्ट आ जाता है। यह एक दिनचर्या सी बन गई है। साफ है कि आप अदालत (Court) के आदेश का सम्मान नहीं करते हैं।

इस मामले में गिरफ्तारी का आदेश

नोएडा अथॉरिटी ने सेक्टर-82 में 30 नवंबर 1989 और 16 जून 1990 तक 'अर्जेंसी क्लॉज' ('Urgency Clause') लगाकर जमीन अधिग्रहण (Land Acquisition) की थी। अधिग्रहण के खिलाफ एक जमीन की मालकिन मनोरमा कुच्छल ने कोर्ट में 1990 में दायर याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने दिसंबर 2016 को अपना फैसला सुनाया। जिसमें हाईकोर्ट ने 'अर्जेंसी क्लॉज' के तहत अधिग्रहण को रद्द(Canceld) कर दिया। साथ ही सर्किल रेट (Circle Rate) से दोगुनी दरों पर मुआवजा देने का भी कोर्ट ने आदेश दिया था।

हाईकोर्ट (High Court) के फैसले के खिलाफ नोएडा अथॉरिटी (Noida Authority) सुप्रीम कोर्ट चली गई। वहां भी अथॉरिटी मुकदमा हार गई। अवमानना याचिका (Contempt Petition)पर सुनवाई करते हुए 27 अप्रैल 2022 को कोर्ट ने आदेश पारित किया था।

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