कैंसर रोधी नकली दवाईयां बनाने के धंधे में शामिल एमबीबीएस डॉक्टर व इंजीनियर समेत सात गिरफ्तार

नई दिल्ली। क्राइम ब्रांच ने कैंसर की नकली दवाई बेचने के धंधे में शामिल सात लोगों को गिरफ्तार किया है। इनके पास से 8 करोड़ रुपये कीमत की दवाई बरामद हुई है। इस गिरोह के तार नेपाल, चीन व बांग्लादेश से जुड़े होने की बात भी सामने आई है। गिरफ्तार लोगों में एक एमबीबीएस डॉक्टर, एक एमबीए डिग्री धारक और एक इंजीनियर भी शामिल है। आरोपियों ने ट्रॉनिका सिटी, लोनी, गाजियाबाद में गोदाम बनाया हुआ था। वहीं सोनीपत में इसकी फैक्ट्री थी। यूपी और हरियाणा में बड़े स्तर पर नकली दवाईयां सप्लाई की जा रही थी।
स्पेशल सीपी रविंद्र सिंह यादव ने बताया कि आरोपी कैंसर मरीज के तीमारदारों से फोन पर संपर्क कर ऑनलाइन दवा भेजते थे। इसके अलावा भागीरथ पैलेस के दवा विक्रेताओं के जरिए भी नकली दवा बेची जा रही थी। आरोपियों के पास से अभी जो 20 इंटरनेशनल ब्रांड्स की दवाईयां पकड़ी है उसकी कीमत आठ करोड़ रुपये है। इस रैकेट में शामिल लोग तीन से चार वर्ष से इस धंधे में शामिल थे। पकड़े गये आरोपियों के नाम डॉक्टर पबित्रा नारायण प्रधान, शुभम मन्ना, पंकज सिंह बोहरा, अंकित शर्मा उर्फ अंकू, राम कुमार उर्फ हरबीर, आकांश वर्मा और प्रभात कुमार है। पबित्रा प्रधान और शुभम नोएडा सेक्टर 43 में रहते थे। वहीं से पूरे रैकेट का संचालन करते थे। पंकज और अंकित शर्मा का काम दवाईयों की डिलीवरी अलग अलग लोकेशन पर पहुंचाना था। देश के अन्य हिस्सों में दवाईयां भेजने के लिये वी फास्ट कूरियर सर्विस का सहारा लिया जाता था। पुलिस ने इस पूरे रैकेट का पर्दाफाश करने के लिये सबसे पहले पंकज बोहरा को प्रगति मैदान के पास से दवाईयों के एक बैग के साथ पकड़ा। वह स्कूटी पर सवार था। इसके बाद अन्य लोगों की गिरफ्तारियां हुई। पबित्रा प्रधान ने चीन से एमबीबीएस किया है। बांग्लादेश के डॉक्टर रसेल से उसे यह नकली दवाईयां बनाने का आईडिया मिला था। इसके अलावा चीन से ही एमबीबीएस करने वाले डॉक्टर अनिल ने भी इसमें मदद की थी। पबित्रा ने अपने चचेरे भाई शुभम के साथ मिलकर इस धंधे की शुरुआत की थी।
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