सेना के जवान सोशल मीडिया का नहीं कर सकते इस्तेमाल, दिल्ली हाई कोर्ट ने कहीं ये बात

सेना के जवान सोशल मीडिया का नहीं कर सकते इस्तेमाल, दिल्ली हाई कोर्ट ने कहीं ये बात
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याचिकाकर्ता लेफ्टिनेंट कर्नल पीके चौधरी ने कहा कि यह सीधे तौर पर जवानों के मौलिक अधिकारों का हनन है। याचिका में कहा गया था कि 6 जुलाई का भारतीय सेना का यह आदेश पूरी तरीके से मनमाना और असंवैधानिक है।

भारतीय सेना अपने जवानों पर सोशल मीडिया इस्तेमाल करने से मना किया था जिसको लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में उस आदेश को चुनौती दी गई थी। इस याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है और कहा कि हम सेना के किसी भी आदेश में दखल नहीं दे सकते। क्योंकि ये उनके जवानों की सुरक्षा और एजेंसियों की सूचनाओं को देखते हुये लिया गया था। कोर्ट ने कहा कि हालि में सेना से जुड़े की ऐसे मामले सामने आये है जिसे उनकी और देश की खुफिया एजेंसियों को खतरा हो गया था।

जैसे हनीट्रेप मामले है। इसिलए सेना ने अपने जवानों की सुरक्षा को लेकर सोशल मीडिया एप इस्तेमाल करने से रोका है। बढ़ती दुनिया में तकनीकों का इस्तेमाल भी बढ़ चुका है। आतंकवाद से लेकर खतरनाक हैकर्स भी इन सोशल मीडिया एप पर नजर गराये रखते है।

इसके अलावा खुफियां इंटेलिजेंट से मिलने वाली जानकारी भी सोशल मीडिया एप से सी दी जाती है जिन आतंकियों की नजरें लगी रहती है। साथ में जवानों से जुड़ी जानकारियों से लेकर उनकी सुरक्षा करना भी जरूरी हो जाती है। इन सोशल मीडिया एप को रोकना सेना के लिए भी बेहद जरूरी हो गया था। दरअसल सोशल मीडिया ऐप और वेबसाइट को सेना के जवानों को 15 जुलाई तक डिलीट करने के आदेश दिए थे।

इसके खिलाफ याचिका दायर की गई थी। याचिकाकर्ता लेफ्टिनेंट कर्नल पीके चौधरी ने कहा कि यह सीधे तौर पर जवानों के मौलिक अधिकारों का हनन है। याचिका में कहा गया था कि 6 जुलाई का भारतीय सेना का यह आदेश पूरी तरीके से मनमाना और असंवैधानिक है। क्योंकि जवानों की तैनाती अकसर दूरगामी इलाकों में की जाती है जहां वो अपने परिवार से सिर्फ सोशल मीडिया ऐप की वजह से जुड़ पाते है।

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