अरविंद केजरीवाल की बेटी को ठगने वाले भरतपुर-मथुरा बॉर्डर से गिरफ्तार, सोफा बेचने के नाम पर बनाया था निशाना

अरविंद केजरीवाल की बेटी को ठगने वाले भरतपुर-मथुरा बॉर्डर से गिरफ्तार, सोफा बेचने के नाम पर बनाया था निशाना
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पुलिस ने सोमवार को बताया कि इस मामले में तकनीकी निगरानी के आधार पर भरतपुर-मथुरा सीमा से आरोपियों को पकड़ा गया है। इनकी पहचान साजिद (26), कपिल (18) और मनविंदर सिंह (25) के तौर पर हुई हैं। फिलहाल मुख्य आरोपी वारिस (25) फरार है। जिसकी तलाश पुलिस कर रही है।

दिल्ली पुलिस (Delhi Police) को बड़ी कामयाबी मिली है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की बेटी (हर्षिता) Harshita को साइबर क्राइम (Cyber Crime) के माध्यम से ठगने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है। जिसके बाद ठगी करने वाले तीन लोगों को गिरफ्तार (Three People Arrested) किया गया है। पुलिस ने सोमवार को बताया कि इस मामले में तकनीकी निगरानी के आधार पर भरतपुर-मथुरा सीमा से आरोपियों को पकड़ा गया है। इनकी पहचान साजिद (26), कपिल (18) और मनविंदर सिंह (25) के तौर पर हुई हैं। फिलहाल मुख्य आरोपी वारिस (25) फरार है। जिसकी तलाश पुलिस कर रही है।

पकड़े गये तीनों आरोपी वारिस के लिए करते थे काम

दरअसल, सीएम अरविंद केजरीवाल की बेटी को साइबर ठगी के माध्यम से इन चारों ने 34 हजार रूपये ठग लिये थे। आरोपियों ने एक ई-कॉमर्स प्लेटफार्म पर खरीददार के रूप में मुख्यमंत्री की बेटी से संपर्क किया था जिन्होंने एक सोफा बिकी के लिए इस मंच पर डाला था। अधिकारी ने कहा कि तीनों कमीशन की खातिर वारिस के लिए काम करते थे। मनविंदर ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कपिल एवं साजिद के लिए बैंक खाते खुलवाये जिसके लिए उसे कमीशन मिला। ठगी गयी राशि वारिस के खाते में अंतरित की गयी।

इस संबंध में सात फरवरी को करायी गयी थी एफआईआर दर्ज

पुलिस के अनुसार पीड़िता ने ई-कॉमर्स पर सोफा बिक्री के लिए डाला था। एक व्यक्ति ने इसे खरीदने की बात करते हुए पीड़िता से संपर्क किया था। इस व्यक्ति ने पीड़िता के खाते विवरण की पुष्टि के लिए प्रारंभ में मामूली राशि उनके खाते में अंतरित की। अधिकारी के मुताबिक इस व्यक्ति ने विक्रेता (मुख्यमंत्री की बेटी) को क्यूआर कोड भेजा और उसे स्कैन करने के लिए कहा ताकि निर्धारित मूल्य उनके खाते में भेजा जा सके, लेकिन पैसा आने के बाद उसके खाते से 20 हजार रुपये कट गये। अधिकारी के अनुसार जब विक्रेता ने यह बात खरीददार को बतायी तो उसने विक्रेता से कहा कि उसने गलती से उसे गलत क्यूआर कोड भेज दिया, इसलिए अब वह उन्हें एक अन्य लिंक भेजेगा तथा वह उसी प्रक्रिया को दोहराएं। विक्रेता द्वारा अन्य क्यूआर कोड को स्कैन करने पर फिर 14 हजार रुपये कट गये।

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