दिल्ली में यूपी-उत्तराखंड और हरियाणा की पुरानी रोडवेज बसों की एंट्री बैन, जानिए क्यों उठाना पड़ा ये कदम

राजधानी दिल्ली (Delhi) में सर्दियों में होने वाले वायु प्रदूषण (air pollution) से निपटने के लिए हर साल कड़े कदम उठाए जाते हैं। इस बार दिवाली से पहले ही दिल्ली सरकार (Delhi Government) ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। इसी क्रम में दिल्ली सरकार ने फैसला किया है कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड (Uttarakhand) और हरियाणा (Haryana) सहित अन्य राज्यों से दिल्ली आने वाली आठ साल पुरानी और बिना वैलिड पॉल्यूशन सर्टिफिकेट (without pollution certificate) वालों बसों (buses) को राजधानी में एंट्री नहीं दी जाएगी। इन राज्यों से रोजाना दिल्ली में करीब 1500 बसें आतीं हैं। हालांकि दूसरे राज्यों के रोडवेज अधिकारियों ने दिल्ली सरकार के फैसले पर कोई आपत्ति नहीं जताई है और इस मामले में दिल्ली सरकार का सहयोग करने की बात कही है।
क्या है पूरा मामला
मिली जानकारी के अनुसार पिछले सप्ताह दिल्ली परिवहन निगम (DTC) के अधिकारियों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये दूसरे राज्यों के परिवहन विभाग के अधिकारियों से मीटिंग हुई थी। मीटिंग में DTC के अधिकारियों ने दूसरे राज्यों के अधिकारियों से गुजारिश की थी कि वे आठ साल पुरानी और बिना वैलिड पॉल्यूशन सर्टिफिकेट वाली बसों को दिल्ली न भेजें, जिससे दिल्ली को वायु प्रदूषण से बचाया जा सके। इसके बाद यूपी (UP) और उत्तराखंड के अधिकारियों ने ऐसा ना करने और दिल्ली सरकार का सहयोग करने के भरोसा दिलाया। दिल्ली परिवहन विभाग का कहना है कि दूसरे राज्यों से आने वाली आठ साल पुरानी बसें और बिना वैध प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण पत्र (PUCC) के आने वाली बसों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसकी जांच लिए दिल्ली के सभी बड़े बस अड्डों सहित कई और जगहों पर टीम तैनात कर दी गई हैं।
दिल्ली में रोजाना आती हैं 1500 बसें
DTC के अधिकारीयों के मुताबिक, दिल्ली में दूसरे राज्यों से रोजाना औसतन 1500 बसें आती हैं। इनमें यूपी और हरियाणा की बसों की संख्या सबसे ज्यादा है। इन सभी बसों की PUCC की जांच के लिए हमारी टीमों को इस सप्ताह से सभी अंतर राज्यीय बस अड्डों (ISBT) पर तैनात कर दिया गया है। हालांकि अभी तक आनंद विहार बस अड्डे पर कोई भी बस बिना PUCC के नहीं पकड़ी गई है। आपको बता दें कि आनंद विहार दिल्ली से सबसे ज्यादा प्रदूषित इलाकों में से एक है। इसका कारण वहां औद्योगिक क्षेत्र के साथ-साथ ISBT का होना भी है।
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