वायु प्रदूषण के चलते दिल्ली-NCR में कोयले के इस्तेमाल पर लगा प्रतिबंध, जानें किसको मिलेंगी छूट

वायु प्रदूषण के चलते दिल्ली-NCR में कोयले के इस्तेमाल पर लगा प्रतिबंध, जानें किसको मिलेंगी छूट
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बढ़ते वायु प्रदूषण को लेकर दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR) में उद्योगों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में कोयले समेत बिना मंजूरी वाले ईंधन के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और उससे सटे इलाकों में एक बार फिर वायु प्रदूषण (Air Pollution) का खतरा बढ़ गया है। जिसको लेकर दिल्ली-एनसीआर (Delhi-NCR) में उद्योगों और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों में कोयले समेत बिना मंजूरी वाले ईंधन के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। जो रविवार से लागू हो गया है। यह फैसला केंद्र सरकार के एयर क्वालिटी मैनेजमेंट कमीशन (सीएक्यूएम) ने लिया है।

यह प्रतिबंध सीएक्यूएम द्वारा पिछले साल जुलाई में जारी व्यापक नीति का हिस्सा है। इस नीति में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए अगले पांच वर्षों के लिए क्षेत्रवार कार्य योजनाओं को सूचीबद्ध करती है। हालांकि, ताप विद्युत संयंत्रों में कम सल्फर वाले कोयले के उपयोग की अनुमति गई है। अधिकारियों को बिना किसी कारण बताओ नोटिस के कोयले सहित गैर-अनुमोदित ईंधन का उपयोग करने वाले उद्योगों और वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों को बंद करने का निर्देश दिया गया है।

सीएक्यूएम (CAQM) के एक अधिकारी ने कहा कि नियमों का पालन नहीं करने वाली इकाइयों को बिना किसी चेतावनी के बंद कर दिया जाएगा। साथ ही ऐसी इकाइयों पर भारी जुर्माना भी लगाया जाएगा। उन्होंने कहा कि आयोग ने छह महीने पहले प्रतिबंध की घोषणा की थी, जिसने सभी उद्योगों को स्वच्छ ईंधन प्रणालियों पर स्विच करने के लिए पर्याप्त समय दिया था।

अधिकारी ने स्पष्ट किया कि निजी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए औद्योगिक या वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों द्वारा संचालित ताप बिजली संयंत्रों को भी कम सल्फर वाले कोयले के इस्तेमाल की अनुमति होगी। उन्होंने कहा कि "जहां भी प्राथमिक उद्देश्य बिजली उत्पादन है, कम सल्फर वाले कोयले का इस्तेमाल किया जा सकता है।"

अधिकारी के अनुसार, धार्मिक उद्देश्यों और दाह संस्कार के लिए लकड़ी और जैव-ईंधन के उपयोग की अनुमति दी जाएगी, जबकि होटल, रेस्तरां, बैंक्वेट हॉल (उत्सर्जन नियंत्रण प्रणाली के साथ), भोजनालयों और ढाबों के तंदूर और ग्रिल में लकड़ी या बांस के चारकोल का उपयोग किया जा सकता है। सीएक्यूएम (CAQM) ने कहा था कि कपड़े पर प्रेस करने के लिए चारकोल का इस्तेमाल किया जा सकता है। एक अनुमान के मुताबिक दिल्ली-एनसीआर में विभिन्न औद्योगिक कार्यों में सालाना करीब 17 लाख टन कोयले का इस्तेमाल होता है। इसमें से 1.4 मिलियन टन का उपयोग छह बड़े औद्योगिक जिलों में किया जाता है।

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