रोडरेज मामले में कांग्रेस नेता सिद्धू को SC से बड़ा झटका, कोर्ट ने सुनाई कठोर कारावास की सजा

रोडरेज मामले में कांग्रेस नेता सिद्धू को SC से बड़ा झटका, कोर्ट ने सुनाई कठोर कारावास की सजा
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कांग्रेस (Congress) नेता नवजोत सिंह सिद्धू ( Navjot Singh Sidhu) को गुरूवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से बड़ा झटका लगा है। 33 साल पुराने रोडरेज मामले (Road Rage Case) में सिद्धू को कोर्ट ने एक साल जेल की सजा सुनाई गई है। नवजोत सिंह सिद्धू को इससे पहले इस मामले में राहत मिली थी।

कांग्रेस (Congress) नेता नवजोत सिंह सिद्धू ( Navjot Singh Sidhu) को गुरूवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से बड़ा झटका लगा है। 33 साल पुराने रोडरेज मामले (Road Rage Case) में सिद्धू को कोर्ट ने एक साल जेल की सजा सुनाई गई है। नवजोत सिंह सिद्धू को इससे पहले इस मामले में राहत मिली थी। लेकिन रोड रेज में मारे गए शख्स के परिवार ने रिव्यू पिटीशन (Review Petition) दाखिल की थी।

अब कोर्ट ने उनकी सुनवाई करते हुए सिद्धू को एक साल के कठोर कारावास (Rigorous Imprisonment) की सजा सुनाई है। बता दें इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में सिद्धू को महज एक हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई थी।

पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय तीन साल की सजा

कोर्ट ने 15 मई 2018 को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के उस आदेश को रद्द कर दिया था, जिसमें सिद्धू को एक रोड रेज मामले में गैर इरादतन हत्या का दोषी ठहराया गया था और उन्हें तीन साल कैद की सजा सुनाई गई थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को 65 वर्षीय वरिष्ठ नागरिक को जानबूझकर चोट पहुंचाने का आरोपी माना था लेकिन कोर्ट ने उन्हें जेल की सजा नहीं सुनाई थी केवल 1,000 रुपये का जुर्माना लगाया था।

ये है मामला

यह मामला दिसंबर 1988 का है। पटियाला में कार से जाते समय सिद्धू बुजुर्ग गुरनाम सिंह से भीड़ गए थे। गुस्से में सिद्धू ने उन्हें घूंसा मारा दिया था जिसके बाद गुरनाम सिंह की मौत हो गई थी। जिसके बाद पटियाला पुलिस ने सिद्धू और उसके दोस्त रूपिंदर सिंह के खिलाफ IPC की धारा 323 के तहत गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया था।

सिद्धू को निचली अदालत ने 1999 में बरी कर दिया था, लेकिन पंजाब हरियाणा उच्च न्यायालय ने 2006 में सिद्धू को मामले में तीन साल कैद की सजा सुनाई थी। सिद्धू उस समय अमृतसर से बीजेपी सांसद थे। सजा के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया। इसके बाद सिद्धू ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

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