2 सालों से जीत के लिए तरस गई BJP तो नेताओं ने अपने ही प्रबंधन पर उठाए सवाल, कहा- 'दिल्ली में ही क्यों...'

2 सालों से जीत के लिए तरस गई BJP तो नेताओं ने अपने ही प्रबंधन पर उठाए सवाल, कहा- दिल्ली में ही क्यों...
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भले ही देशभर में भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) का बोलबाला हो, लेकिन राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भाजपा (BJP) की स्थिति डामाडोल दिखती नजर आ रही है। यहां सिर्फ 'आम आदमी पार्टी' का ही सिक्का चल रहा है। बीते दिन हुए उपचुनाव (Delhi by-election) में अब ये साबित हो गया है कि दिल्ली में आप का ही बोलबाला है।

भले ही देशभर में भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) का बोलबाला हो, लेकिन राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में भाजपा (BJP) की स्थिति डामाडोल दिखती नजर आ रही है। यहां सिर्फ 'आम आदमी पार्टी' का ही सिक्का चल रहा है। बीते दिन हुए उपचुनाव (Delhi by-election) में अब ये साबित हो गया है कि दिल्ली में आप का ही बोलबाला है। यहां आप प्रत्याशी दुर्गेश पाठक (Durgesh Pathak) ने भाजपा के उम्मीदवार राजेश भाटिया (Rajesh Bhatia) को करारी मात देते हुए राजेंद्र नगर विधानसभा सीट (Rajendra Nagar assembly seat) पर 11,468 मतों से जीत हासिल की है।

भाजपा के लिए यह बड़ा झटका है। जिससे पार्टी के भीतर हलचल मच गई है। वही करारी हार के बाद कुछ नेताओं ने सोशल मीडिया (social media) के जरिए अपनी पार्टी प्रबंधन पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। पूर्व मीडिया पैनलिस्ट और बीजेपी नेता राहुल त्रिवेदी (Rahul Trivedi) ने ट्वीट किया है कि दिल्ली बीजेपी को बहुत आत्ममंथन की जरूरत है।

क्या कारण है कि हम देश के हर क्षेत्र में चुनाव जीत जाते हैं, लेकिन जब दिल्ली की बात आती है तो हमें हार का ही सामना करना पड़ता है। वोटर और पार्टी के बीच दूरियां बढ़ रही हैं, जिम्मेदारी तय की जाए। पार्टी के एक अन्य कार्यकर्ता केएस दुग्गल ने कहा है कि 'सभाओं पर नहीं, बल्कि राजेंद्र नगर विधानसभा की हार पर कार्रवाई होनी चाहिए'। बता दें जून 2020 से 2022 तक दिल्ली की 6 सीटों पर उपचुनाव हो चुके हैं।

बीजेपी अध्यक्ष आदेश गुप्ता (Adesh Gupta) की अध्यक्षता में पार्टी ने ये चुनाव लड़ा है और हार गई है। पिछले साल मार्च में एमसीडी उपचुनाव (MCD by-election) के दौरान भाजपा अपने गढ़ शालीमार बाग सहित सभी पांच सीटों पर हार गई थी। शालीमार बाग सीट भाजपा का गढ़ होने के बाद भी वह हार गई थीं। लगातार मभी हार के बाद अब पार्टी के भीतर असंतोष बढ़ने लगा है। इसलिए पार्टी के कई नेताओं ने अपने प्रबंधन पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

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