Delhi विधानसभा अध्यक्ष का एलजी पर तंज, कहा- LG दखल न देते तो दिल्ली विधानसभा हो चुकी होती पूर्ण डिजिटल

दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना (Lieutenant Governor VK Saxena) अगर दखल न देते तो अब तक दिल्ली विधानसभा (Delhi Assembly) पूर्ण डिजिटल हो चुकी होती। यह बात सोमवार को दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल (Ramniwas Goyal) ने कही। सोमवार को दिल्ली विधानसभा में एक प्रेस वार्ता में राम निवास गोयल ने दावा किया कि यदि प्रमुख सचिव वित्त हमें दिल्ली विधानसभा के डिजिटाइजेशन के लिए प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसलटेंट नियुक्त करने के निर्देश जारी करें तो हम तीन महीने में विधानसभा को पूरी तरह डिजिटल कर देंगे। गोयल ने बताया कि एलजी दफ्तर इस मामले पर पूरी तरह से राजनीति कर रहा है और उनके द्वारा दिये गये सारे तथ्य बेबुनियाद हैं।
एलजी दफ्तर ने बताई मनगढ़ंत कहानी
गोयल ने कहा कि ई विधान की प्रक्रिया 2015 में शुरू हुई थी जब इसका प्रभार केंद्रीय संचार व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के पास था। दिल्ली विधानसभा की सामान्य प्रयोजन समिति की एक उपसमिति ने 8 अक्टूबर 2015 को ई-विधान को लागू करने का अध्ययन करने के लिए हिमाचल प्रदेश का दौरा किया। इसके बाद सचिवालय ने अपनी एक विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट 16 अक्टूबर 2015 को केंद्रीय संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद को भेजी। विधानसभा अध्यक्ष गोयल ने कहा कि विधानसभा के काम में हस्तक्षेप करने के प्रयास के तहत एलजी दफ्तर ने मनगढ़ंत कहानी बतायी है कि केन्द्र सरकार के पूर्ण सहयोग और फंडिंग के बावजूद भी विधानसभा को पेपरलेस नहीं किया गया और इसके डिजिटलकरण में देरी हुई।
ई विधान प्रोजेक्ट शुरू करने की इजाजत नहीं
उन्होंने आगे बताया कि 2018 में यह प्रोजेक्ट केंद्रीय संचार और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय से लेकर संसदीय कार्य मंत्रालय को सौंप दिया गया। इसके बाद 26 फरवरी 2018 को एक संशोधित प्रोजेक्ट रिपोर्ट संसदीय कार्य मंत्रालय को सौंप दी गई और तीन साल की जद्दोजहद के बावजूद केन्द्र सरकार ने दिल्ली विधानसभा को ई विधान प्रोजेक्ट शुरू करने के लिए इजाजत नहीं दी। इस संदर्भ में फंड जल्दी जारी करने के लिए बार-बार संपर्क किया गया और रिमाइंडर भेजे, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद किसी सोची-समझी नीति के तहत संसदीय कार्य मंत्रालय ने ई विधान परियोजना को छोड़ दिया और एक नई पहल नेशनल ई विधान एप्लीकेशन शुरू की।
दिल्ली विधानसभा के अधिकारियों ने मंत्रालय द्वारा आयोजित मीटिंग व ट्रेनिंग में भाग लिया। हालांकि, यह पाया गया कि पिछली योजना के विपरीत नेवा ने कंटेंट का नियंत्रण विधानसभाओं व मंडलों के विपरीत संसदीय कार्य मंत्रालय को सौंप दिया। यहां बता दें कि इससे एलजी दफ्तर ने 8 साल बीत जाने के बावजूद दिल्ली विधानसभा को पेपरलेस व डिजिटाइज नहीं करने की बात कही थी। साथ ही कहा था कि केंद्र ने इस प्रोजेक्ट के लिए दिल्ली विधानसभा को 100 फंड देने की बात भी कही थी।
ये भी पढ़ें...Haribhoomi Explainer: दिल्ली अध्यादेश के सामने 'सुप्रीम' चुनौती, पढ़ें क्या SC बदल सकता है राष्ट्रपति का निर्णय
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS