दिल्ली के मुख्य सचिव संवैधानिक व्यवस्था का कर रहे उल्लंघन, CM की जगह सीधे LG को भेज रहे फाइल

दिल्ली में मुख्य सचिव (Delhi Chief Secretary) संवैधानिक व्यवस्था की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं। सीएम को फाइल भेजने के बजाए सीधे उपराज्यपाल के पास भेज रहे हैं। मेयर (Mayor) डॉ. शैली ओबरॉय (Shelly Oberoi) के ‘एशिया पेशिफिक सिटिज समिट-2023’ (Asia Pacific Cities Summit 2023) में हिस्सा लेने के लिए आस्ट्रेलिया जाने की फाइल मुख्यमंत्री के बजाए मुख्य सचिव ने सीधे उपराज्यपाल (LG) को भेज दी। इसे बाद में एलजी कार्यालय की तरफ से उचित प्रक्रिया का पालन न करने पर लौटा दिया गया है। इसकी पुष्टि खुद एलजी कार्यालय की तरफ से की गई है।
दिल्ली की मेयर डॉ. शैली ओबरॉय को ‘एशिया पेशिफिक सिटिज समिट-2023’ में शामिल होने के लिए ब्रिस्बेन, आस्ट्रेलिया जाना है। इस समिट का आयोजन 11 से 13 अक्टूबर के बीच होना है। इसके संबंध में दिल्ली मेयर कार्यालय की तरफ से 15 जून को एमसीडी कमिश्नर को प्रस्ताव भेजा गया। जहां से उचित प्रक्रिया का पालन करते हुए शहरी विकास सचिव के जरिए मुख्य सचिव को फाइल भेजी गई, लेकिन इसके बाद मुख्य सचिव की तरफ से संवैधानिक व्यवस्था का पालन नहीं किया गया। मुख्य सचिव ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को फाइल भेजने के बजाए सीधे एलजी को भेज दी।
वहीं, एलजी कार्यालय की तरफ से इसके संबंध में आपत्ति दर्ज कराते हुए फाइल लौटा दी गई, क्योंकि उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। साथ ही निर्देश दिए गए कि उचित माध्यम से ही फाइल को भेजा जाए। एलजी कार्यालय की तरफ से कहा गया कि उपराज्यपाल ने प्रस्ताव का अवलोकन किया है और कहा है कि इस प्रस्ताव को मुख्यमंत्री के माध्यम से पुनः प्रस्तुत किया जाए। इससे साफ है कि मुख्य सचिव संवैधानिक व्यवस्था को नहीं मान रहे हैं और फाइलें सीधे उपराज्यपाल को भेज रहे हैं।
एमसीडी के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकती है समिट
एशिया पेसिफिक सिटीज समिट-2023 में 1 हजार से अधिक लोग जुटेंगे। इसमें मेयर, पॉलिसी मेकर, बिजनेस लीडर्स, स्टार्टअप, यंग लीटर और इंडस्ट्री से जुड़े प्रोफेशनल हिस्सा लेंगे। यह समिट ‘सेपिंग सिटिज फॉर आवर फ्यूचर’ थीम पर होगी जो कि एमसीडी के लिए काफी फायदे मंद साबित हो सकती है। इसमें मेयर कार्यालय ने एक एमसीडी के अधिकारी को भी साथ चलने का प्रस्ताव दिया है। लेकिन मुख्य सचिव के संवैधानिक व्यवस्था का पालन नहीं करने के कारण यह प्रस्ताव अटक गया है। करीब डेढ़ माह से ज्यादा का वक्त गुजरने के बाद भी फाइल को एलजी की मंजूरी नहीं मिल पायी है।
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