आईसीयू बेड्स को लेकर हाईकोर्ट ने दिल्ली के सभी अस्पतालों को दिए ये आदेश, कोरोना मरीज हो रहे परेशान

Delhi Coronavirus दिल्ली में कोरोना का सितम जारी है। अस्पताल (Delhi Hospitals) का हाल बुरा है। ऐसे में संक्रमण से पीड़ित (Corana Patients) लोगों को अस्पतालों में बेड्स या अन्य सुविधाओं के बारे में जानकारी नहीं मिल रही है। जिसे लेकर दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने संज्ञान लिया है। हाईकोर्ट ने दिल्ली के सभी अस्पतालों को निर्देश दिया कि वे हर दो घंटे में खाली और भरे हुए बिस्तरों (ICU Beds) की संख्या की ताजा जानकारी दें। अदालत ने कहा कि ऐसा करना मुश्किल काम नहीं है। पीठ ने कहा कि अस्पताल वास्तविक समय में खाली बिस्तरों की संख्या और भर्ती का रिकॉर्ड रखें। यह उनके लिए मुश्किल नहीं होगा कि संबंधित जानकारी दिल्ली सरकार या उसके नोडल अधिकारियों को दिया जाए।
कई अस्पताल मरीजों का हवाला देकर नहीं दे रहे सही जानकारी
न्याय मित्र और वरिष्ठ अधिवक्ता राजशेखर की रिपोर्ट का अवलोकन करने के बाद पीठ ने कहा कि अस्पताल मानवबल का हवाला देकर वास्तविक समय में खाली और भरे हुए बिस्तरों की जानकारी नहीं दे रहे हैं। अदालत ने कहा कि वह अस्पतालों की यह दलील स्वीकार नहीं करती। बिस्तरों के मुद्दे पर वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने अदालत को बताया कि केंद्र द्वारा उसके अस्पतालों में उपलब्ध कराए गए बिस्तरों की संख्या 3,861 से बढ़ाकर 4,091 कर दी गई है।
केंद्र सरकार के अस्पतालों में सैकड़ों बिस्तर खाली
उन्होंने कहा कि जब पिछले साल मौजूदा मामलों के मुकाबले मरीजों की संख्या चार गुना कम थी तब भी करीब इतनी ही संख्या में केंद्र द्वारा बिस्तर मुहैया कराए गए थे। मेहरा ने दावा किया कि केंद्र सरकार के अस्पतालों में सैकड़ों बिस्तर हैं जिनका इस्तेमाल नहीं हो रहा। इसके बाद अदालत ने केंद्र को निर्देश दिया कि वह दिल्ली सरकार द्वारा उठाए गए मुद्दे की जांच करे और पीठ को दिल्ली के लिए आवंटित बिस्तरों की श्रेणीवार जानकारी दे।
हाईकोर्ट का दिल्ली सरकार को निर्देश
दिल्ली उच्च न्यायालय ने ऑक्सीजन और सिलेंडर की कीमत तय करने से लेकर भविष्य में कोविड-19 मरीजों के इलाज में इस्तेमाल दवाओं की किसी भी कमी से निपटने की योजना को लेकर कई सुझाव दिए हैं। न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ ने ये निर्देश न्याय मित्र और वरिष्ठ अधिवक्ता राजशेखर राव द्वारा पेश रिपोर्ट में रेखांकित कमियों के आधार पर दिए। रिपोर्ट का अववलोकन करने के बाद पीठ ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि कि वह सुनिश्चित करे कि राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) के जरिये ऑक्सीजन और सिलेंडर की कीमत तय हो।
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