Delhi Riots: दिल्ली दंगे की जांच प्रक्रिया पर कोर्ट ने जताई नाराजगी, कहा- पुलिस कमिश्नर के दखल की जरूरत

Delhi Riots राजधानी में पिछले साल फरवरी में उत्तर पूर्वी हुई हिंसा (North East Violence) की जांच प्रक्रिया की सुनवाई कोर्ट में चल रही है। लेकिन इस जांच प्रक्रिया से कोर्ट (Delhi Court) ने नाराजगी जाहिर की है और उन्होंने कहा कि दंगे के बहुत सारे मामलों में जांच का मापदंड बहुत घटिया है और ऐसे में दिल्ली पुलिस कमिश्नर (Delhi Police Commissioner Rakesh Asthana) के दखल की जरूरत है। कोर्ट के जज ने अशरफ अली नामक एक व्यक्ति पर 25 फरवरी, 2020 को दंगे के दौरान पुलिस अधिकारियों पर तेजाब, कांच की बोतलें और ईंटे फेंकने को लेकर आरोप तय करते हुए यह टिप्पणी की। आपको बता दें कि फरवरी, 2020 में उत्तर-पूर्व दिल्ली में सीएए के समर्थकों और विरोधियों के बीच हिंसा के बाद सांप्रदायिक दंगा भड़क गया था जिसमें कम से कम 53 लोगों की जान चली गयी थी और 700 से अधिक घायल हुए थे।
दंगे के बहुत सारे मामलों में जांच का मापदंड बहुत घटिया
उन्होंने कहा कि यह कहते हुए पीड़ा होती है कि दंगे के बहुत सारे मामलों में जांच का मापदंड बहुत घटिया है। उन्होंने कहा कि ज्यादातर मामलों में जांच अधिकारी अदालत में पेश नहीं हो रहे हैं। न्यायाधीश ने कहा कि पुलिस आधे-अधूरे आरोपपत्र दायर करने के बाद जांच को तार्किक परिणति तक ले जाने की बमुश्किल ही परवाह करती है जिस वजह से कई आरोपों में नामजद आरोपी सलाखों के पीछे बने हुए हैं। एएसजे ने 28 अगस्त को अपने आदेश में कहा कि यह मामला इसका जीता-जागता उदाहरण है, जहां पीड़ित स्वयं ही पुलिसकर्मी हैं, लेकिन जांच अधिकारी को तेजाब का नमूना इकट्ठा करने और उसका रासायनिक विश्लेषण कराने की परवाह नहीं है। जांच अधिकारी ने चोट की प्रकृति को लेकर राय भी लेने की जहमत नहीं उठायी है।
इन मामलों में शामिल लोगों के साथ नाइंसाफी होने की संभावना
कोर्ट ने कहा कि इसके अलावा मामले के जांच अधिकारी इन आरोपों पर बहस के लिए अभियोजकों को ब्रीफ नहीं कर रहे हैं और वे सुनवाई की सुबह उन्हें बस आरोपपत्र की पीडीएफ प्रति मेल कर दे रहे हैं। एएसजे यादव ने इस मामले में इस आदेश की प्रति दिल्ली पुलिस के आयुक्त के पास उनके सदंर्भ एवं सुधार के कदम उठाने के वास्ते जरूरी निर्देश देने के लिए' भेजे जाने का भी निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि वे इस संबंध में विशेषज्ञों की राय लेने के लिए स्वतंत्र हैं, अन्यथा इन मामलों में शामिल लोगों के साथ नाइंसाफी होने की संभावना है।
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