दिल्ली दंगों को लेकर दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल एक बार फिर आमने-सामने, जाने क्या है वजह

राजधानी में उत्तरी-पूर्वी दिल्ली में हुये दंगे को लेकर आम आदमी पार्टी और दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल में एक बार फिर से टकराव के हालात देखने को मिल रही है। आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह ने पार्टी के जरिये बयान में कहा है कि दिल्ली हिंसा और सीएए विरोध से संबंधित मामलों में न्यायिक प्रक्रिया में उपराज्यपाल लगातार हस्तक्षेप कर रहे है।
उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली पुलिस कुछ लोगों को फंसाने व कुछ को बचाने में जुटी है। वहीं उपराज्य अनिल बैजल ने सीएम अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर कहा कि दिल्ली पुलिस की ओर से प्रस्तावित 6 वकीलों की नियुक्ति दंगा मामलों में सुनवाई के लिए एक सप्ताह में किया जाएं। उपराज्यपाल ने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार के मंत्री मनीष सिसोदिया ने दिल्ली पुलिस के प्रस्ताव पर अभी तक सहमति नहीं दी है।
सांसद संजय सिंह ने कहा कि उपराज्यपाल और केंद्र सरकार द्वारा एक पैनल की नियुक्ति का दबाव बनाया जा रहा है। यह तब हो रहा है, जब दिल्ली पुलिस की प्रतिक्रिया पर बहुत गंभीर आरोप लगे हैं। यह दंगे दिल्ली और पूरे देश पर धब्बा थे। आप सरकार दंगों में शामिल लोगों को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग करती है। इसके लिए पुलिस द्वारा स्वतंत्र जांच के साथ निष्पक्ष परीक्षण आवश्यक है। इसलिए यह बेहद जरूरी है कि इन मामलों के लिए सरकारी वकील स्वतंत्र हों।
आम आदमी पार्टी प्रवक्ता और विधायक राघव चड्ढा ने कानून का हवाला देते हुए कहा है कि कानून के तहत, विशेष रूप से सीआरपीसी के तहत, यह बहुत स्पष्ट है कि लोक अभियोजक पुलिस का नहीं, बल्कि राज्य का प्रतिनिधि है. 2016 में दिल्ली के उच्च न्यायालय और 2017 में सर्वोच्च न्यायालय (डिवीजन बेंच) के आदेशों द्वारा इसी सिद्धांत को बरकरार रखा गया है और लोक अभियोजकों को नियुक्त करने की शक्ति पूरी तरह से दिल्ली सरकार को दी गई है।
दिल्ली पुलिस जांच एजेंसी है, इसलिए वकीलों को तय करने में कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए।उन्होंने कहा जब दिल्ली के गृहमंत्री मनीष सिसोदिया ने केंद्र सरकार द्वारा सुझाए वकीलों के पैनल को नियुक्त करने पर कड़ी आपत्ति जताई।
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