दिल्ली सरकार ने जन्म से न सुनने वाले नवजात बच्चों को लेकर किया ये बड़ा ऐलान

दिल्ली में गुरुवार को जन्म से न सुनने वाले नवजात बच्चों के लिए केजरीवाल सरकार (Kejriwal Government) ने बड़ा फैसला किया है। दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन (Satyendra Jain) ने ऐलान किया कि जन्म के बाद सुनने में असमर्थ जरूरतमंद नवजात (Newborns) बच्चों को कॉक्लियर इंप्लांट (Cochlear Implant) की सुविधा मुफ्त उपलब्ध कराएगी। सत्येन्द्र जैन ने पूर्वी दिल्ली में कृष्णा नगर के चाचा नेहरु बाल चिकित्सालय में कॉक्लियर इंप्लांट सुविधा का उद्घाटन किया। दिल्ली सरकार के मुताबिक एक कॉक्लियर इंप्लांट में सरकार को लगभग 5 लाख का खर्च आता है, जिसे अब केजरीवाल सरकार द्वारा लोगों को मुफ्त में उपलब्ध कराई जाएगी। स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि ऐसे बच्चे, जो गंभीर रूप से सुनने में असमर्थ हैं, उन्हें सुनने की मशीन से ज्यादा फायदा नहीं होता है। गंभीर रूप से सुनने में असमर्थ बच्चों को कॉक्लियर इंप्लांट सुविधा से काफी ज्यादा लाभ मिलेगा।
कॉक्लियर इंप्लांट को आरोग्य कोष योजना के अंतर्गत किया जाएगा शामिल
दरअसल, दिल्ली सरकार कॉक्लियर इंप्लांट को आरोग्य कोष योजना के अंतर्गत शामिल करेगी। चाचा नेहरू बाल चिकत्सालय में जारी वर्ष में 100 बच्चों को इस तकनीक से लाभांवित करने का लक्ष्य रखा गया है। इस दौरान स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि दिल्ली सरकार इस योजना में आने वाले पूरे खर्च को उठाएगी और सभी लोगों इस योजना का लाभ उठा सकेंगे। सत्येंद्र जनै ने बताया कि भगवान ने मुनष्य को 5 इन्द्रियां दी हैं, जो मानव जीवन को सुचारू ढंग से चलने के लिए जिम्मेदार हैं। इन सभी पांच इन्द्रियों में सबसे पहला स्थान कान का है, जिसके बाद और सभी इन्द्रियों का स्थान आता है। प्रकृति द्वारा दिए गए सुनने की क्षमता बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन यह सभी प्राणियों के पास नहीं है।
इस योजना से सभी बच्चों में सुनने की क्षमता होगी
सत्येन्द्र जैन ने कहा कि नवजात बच्चों के जन्म के बाद परिवार वालों को खबर नहीं होती कि उनके बच्चे में सुनने की क्षमता है या नहीं है, लेकिन दिल्ली सरकार की यह प्राथमिकता रहेगी कि हर नवजात बच्चे को हॉस्पिटल से छुट्टी मिलने से पहले उसके सुनने की क्षमता की जांच होनी चाहिए, ताकि इस समस्या का हल निकल सके और सभी बच्चों में सुनने की क्षमता हो। उन्होंने कहा कि इसे प्रोटोकॉल बनाया जाना चाहिए, क्योंकि दिल्ली में हर साल सैकड़ों बच्चे सुनने की अक्षमता के साथ पैदा होते हैं, जो कभी-कभी माता-पिता को उस दौरान पता नहीं चल पाता है और बाद में सुनने की समस्या का इलाज मुश्किल हो जाता है, लेकिन यदि जन्म के तीन महीने के भीतर इसका इलाज किया जाए, तो यह समस्या ठीक हो सकती है।
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS