अब दिल्ली में घर-घर राशन योजना को लेकर केंद्र ने बताई कमी ये कमी, केजरीवाल सरकार ने साधा निशाना

केंद्र ने दिल्ली सरकार (Central Government) को घर घर राशन पहुंचाने (Door To Door Ration Scheme) की योजना को शुरुआत में प्रायोगिक आधार पर लागू करने का सुझाव दिया है। केन्द्र का कहना है कि इस योजना में कई बातों को लेकर स्पष्टता की कमी है, जैसे कि गेहूं का आटा और पैकिंग में दिये जाने वाला खाद्यान्न किस दर पर लाभार्थी को पहुंचाया जायेगा। इसके लिए लाभार्थियों की सहमति ली गई या नहीं। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (NFSA) के तहत, सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के तहत राशन दुकानों के जरिये तीन रुपये किलो (चावल), दो रुपये किलो (गेहूं) और एक रुपये प्रति किलो (मोटे अनाज) को अत्यधिक रियायती दर पर देशभर में उपलब्ध कराया जाता है। हालांकि, दिल्ली सरकार (Delhi Government) की प्रस्तावित योजना में गेहूं और चावल के बजाय गेहूं का आटा पैकिंग में वितरित किया जाना शामिल है। दिल्ली सरकार को 22 जून को लिखे एक पत्र में केंद्रीय खाद्य मंत्रालय ने प्रस्तावित होम डिलीवरी योजना में कई चुनौतियों और चिंताओं की ओर इशारा किया।
केंद्र की चिट्ठी आयी है। बेहद पीड़ा हुई। इस क़िस्म के कारण देकर हर घर राशन योजना ख़ारिज कर दी-
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) June 23, 2021
राशन गाड़ी ट्रैफ़िक में फँस गयी या ख़राब हो गयी तो
तीसरी मंज़िल तक राशन कैसे जाएगा
(21वीं सदी का भारत चाँद पर पहुँच गया, आप तीसरी मंज़िल पर अटक गए)
संकरी गली में कैसे जाएगा https://t.co/SiJKbBDbtU
होम डिलीवरी राशन के नाम पर गरीबों से भद्दा मजाक: दिल्ली भाजपा
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने बुधवार को आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया को निशाने पर लिया और कहा कि पिज्जा की होम डिलीवरी की तुलना गरीबों को घर तक राशन पहुंचाने से करना एक भद्दा मजाक है। इससे पहले दिल्ली के उप मुख्यमंत्री ने कहा था कि अगर पिज्जा, कपड़ों और अन्य चीजों की होम डिलीवरी हो सकती है तो राशन की क्यों नहीं। गुप्ता ने एक बयान में कहा कि पिज्जा की होम डिलीवरी की तुलना गरीबों के लिए राशन से करना एक भद्दा मजाक है। गुप्ता ने कहा कि सिसोदिया को पता होना चाहिए कि वे (गरीब) पिज्जा नहीं खाते। उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार का घर तक राशन पहुंचाने का दावा हास्यास्पद है क्योंकि वह अपने गोदामों से दुकानों तक राशन नहीं पहुंचा पा रहे हैं।
केंद्र ने इस योजना को प्रायोगिक तौर पर लागू करने का सुझाव दिया
मंत्रालय ने कहा कि प्रस्तावित योजना एनएफएसए की वैधानिक और कार्यात्मक आवश्यकता को पूरा नहीं करती है और इसलिए, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की सरकार द्वारा दिये गए प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया जा सकता है। हालांकि, पत्र में मंत्रालय ने राज्य सरकार को प्रस्तावित योजना को पहले प्रायोगिक तौर पर लागू करने का सुझाव दिया। मंत्रालय ने कहा कि इसमें कोई स्पष्टता नहीं है कि यह योजना चुनिंदा क्षेत्रों में प्रायोगिक रूप से शुरू की जा रही है या एक ही बार में पूरी दिल्ली में शुरू की जा रही है। पहले प्रायोगिक आधार पर शुरू करने का सुझाव दिया जाता है। मंत्रालय ने लाभार्थियों को राशन घर पर पहुंचाने की दरों पर स्पष्टता की कमी की ओर इशारा करते हुए कहा कि इस बात को रेखांकित किया गया है कि, एनएफएसए नियमों के अनुसार, गेहूं का आटा केवल लाभार्थियों की उचित सहमति लेने के बाद ही अधिक निर्गम मूल्य पर वितरित किया जा सकता है।
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