दिल्ली सरकार अपने 12 कॉलेजों के शिक्षकों का वेतन भी नहीं दे पाई

नई दिल्ली। दिल्ली के खर्चे अन्य राज्यों की तुलना में 60 फीसदी भी नहीं है लेकिन बावजूद दिल्ली सरकार अपने 12 कॉलेजों के शिक्षकों का वेतन भी नहीं दे पाई है। सेंटर फॉर सोशल डेवलपमेंट द्वारा प्रदेश भाजपा कार्यालय में आयोजित संवाद सभा में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने बुधवार को ये बातें कहीं। इस दौरान उन्होंने कहा कि दिल्ली नगर निगम चुनाव में शिक्षक भाजपा का साथ दें, 'जहां शिक्षक जाएंगे वहां समाज जाएगा'। उन्होंने यहां दिल्ली यूनिवर्सिटी के विभिन्न कॉलेज से आए शिक्षकों की समस्याओं को सुनते हुए आगामी नगर निगम चुनाव को लेकर विस्तृत चर्चा की।
इस मौके पर प्रधान ने शिक्षकों से संवाद के दौरान केजरीवाल सरकार पर दिल्ली की जनता के भरोसे का खून करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि केजरीवाल सरकार ने शराब नीति से जिस तरह भ्रष्टाचार किया है, उसे दिल्ली वाले कभी नहीं भूलेंगे। इस सरकार ने शिक्षा के फंड से चेहरा चमकाने का काम किया है। संवाद सभा के विशेष अतिथि के तौर पर भाजपा की राष्ट्रीय मंत्री एवं प्रदेश सह-प्रभारी डॉ अलका गुर्जर भी उपस्थित थीं। इस दौरान एनडीटीएफ के अध्यक्ष प्रो ए के भागी ने संवाद सभा में शिक्षकों की समस्याओं को विस्तृत तरीके से सबके सामने रखा। संवाद सभा में संबंधित व्यक्तित्व शामिल रहे।
शिक्षक जिस दिशा में जाएंगे समाज भी उसी दिशा में जाएगा
केंद्रीय शिक्षा मंत्री प्रधान ने शिक्षकों से अपील की कि वह आगामी नगर निगम चुनाव में भाजपा को अपना समर्थन दें क्योंकि शिक्षक जिस दिशा में जाएंगे समाज भी उसी दिशा में जाएगा। उन्होंने कहा कि निगम चुनाव में केजरीवाल सरकार की ठगाई और पाखंड उजागर होगा। प्रधान ने कहा कि समाजिक समरसता में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार ने जो काम किया है, वह किसी भी सरकार में नहीं हो पाया। लेकिन आज दिल्ली में एक ऐसी सरकार बैठी है जिसे समाज से ना कोई मतलब है और शिक्षा का सिर्फ दिखावा है। उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति सहित आर्थिक आधार पर मोदी सरकार ने सभी को मुख्य विकासधारा में जोड़ने का काम किया है। आने वाले समय में 10 लाख रिक्त पदों को भरके या नया पद सृजन करके नई पीढ़ी को काम का अवसर दिया जाएगा।
केजरीवाल सरकार कभी शिक्षकों की बात तक नहीं सुनी
धर्मेंन्द्र प्रधान ने कहा कि आज दिल्ली में एक ऐसी सरकार बैठी है जिसने शिक्षकों की एक भी समस्या का समाधान करना तो दूर उसने कभी शिक्षकों की बात तक नहीं सुनी। दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षक कई बार अपनी समस्याओं को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री के पास गए लेकिन उन्हें खाली हाथ वापस आना पड़ा, लेकिन हम आपके साथ मिलकर आपकी समस्याओं पर चर्चा करेंगे और आपकी अपेक्षाओं पर खरा उतरने की पूरी कोशिश भी करेंगे।
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