दिल्ली सरकार के 80% स्कूलों में नहीं हैं प्रिंसिपल, NCPCR की रिपोर्ट में दावा

दिल्ली सरकार (Delhi Government) सरकारी स्कूलों (Government Schools) को वर्ल्ड क्लास (World Class) लेवल का बनाने का दावा करते नहीं थक रही है। सरकार के इन दावों पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (National Commission for Protection of Child Rights) ने सवाल उठाए हैं। एनसीपीसीआर (NCPCR) ने केजरीवाल सरकार (kejriwal Government) को पत्र लिखकर दावा किया है कि दिल्ली के 80% से अधिक सरकारी स्कूलों में प्रिंसिपल नहीं हैं।
स्कूलों में बड़ी संख्या में पदों पर वैकेंसी को लेकर एनसीपीसीआर (NCPCR) ने दिल्ली सरकार (Delhi Government) से जवाब मांगा है। एनसीपीसीआर ने कहा कि दिल्ली सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि स्कूलों में प्रिंसिपल के रिक्त पदों को भरने के लिए उसकी वास्तविक स्थिति के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। आयोग ने साफ तौर पर कहा है कि इन सभी सवालों की जानकारी दिल्ली सरकार को दी जानी चाहिए।
मुख्य सचिव को लिखे एक अन्य पत्र में, एनसीपीसीआर (NCPCR) ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के सांसद मनोज तिवारी (Manoj Tiwari) ने सर्वोदय कन्या विद्यालय, सब्जी मंडी, तिमारपुर, दिल्ली का दौरा किया। यहां उन्होंने स्कूल भवन में साफ-सफाई से जुड़ी कई समस्याएं देखीं। एनसीपीसीआर के अनुसार, दिल्ली शिक्षा निदेशालय के तहत आने वाले 1027 स्कूलों में से केवल 203 स्कूलों में ही प्रिंसिपल हैं।
एनसीपीसीआर के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने कहा कि स्कूल में प्रिंसिपल की अहम भूमिका होती है। विद्यालय में प्रिंसिपल के न होने से बच्चों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने के साथ-साथ शिक्षक की कार्यशैली में भी कमी आती है। उन्होंने स्कूलों में खाली पड़े प्रिंसिपल के पदों और क्या कदम उठाए गए हैं, इसकी जानकारी के संबंध में 19 अप्रैल तक रिपोर्ट मांगी है। हालांकि दिल्ली सरकार (Delhi Government) ने इस मामले पर अपना पल्ला झड़ते हुए कहा कि उनके स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती सेवा विभाग द्वारा की जाती है, जो सीधे उपराज्यपाल अनिल बैजल के अधीन आता है, जिन्हें केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता है।
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